×

TRENDING TAGS :

Aaj Ka Rashifal

भारत से दिख रहे सहमे-सहमे चीन-पाक

विगत बीस फरवरी को भारत-चीन कोर कमांडर स्तर की बैठक का 10वां दौर निर्णायक रहा। इसमें दोनों पक्षों की सीमा पर अग्रिम फौजों की वापसी पर आपसी सहमति बन गई।

Roshni Khan
Published on: 28 Feb 2021 3:45 PM IST
भारत से दिख रहे सहमे-सहमे चीन-पाक
X
पड़ोसी देश चीन और पाकिस्तान के साथ भारत के संबंध पर आर.के. सिन्हा का लेख (PC: social media)

rk-sinha

आर.के. सिन्हा

लखनऊ: बीते कुछ समय के दौरान दो महत्वपूर्ण और सकारात्मक घटनाएं देश की कूटनीति के मोर्चे पर सामने आईं। इनका संबंध भारत के चिर 'शत्रु पड़ोसियों' क्रमश: चीन और पाकिस्तान से है। इन दोनों के साथ भारत के बेहद खराब रिश्ते पिछले साठ दशकों से चलते ही रहे हैं। बीते कुछेक महीनों के दौरान सीमा पर गोलीबारी से लेकर युद्ध जैसे हालात भी बने। जब सारी दुनिया कोरोना वायरस से लड़ रही थी तब भारत को चीन से अपनी हजारों किलोमीटर लंबी सीमा पर दो-दो हाथ करना पड़ रहा था। पहले डोकलाम और फिर लद्दाख में दोनों देशों के सैनिकों के बीच तेज झड़पें भी हुईं। दोनों ओर से अनेकों जाने भी गईं।

ये भी पढ़ें:ममता पर टिप्पणी कर विवाद में आए बाबुल सुप्रियो, ट्वीट किया डिलीट, जानें क्या है मामला

बहरहाल, विगत बीस फरवरी को भारत-चीन कोर कमांडर स्तर की बैठक का 10वां दौर निर्णायक रहा। इसमें दोनों पक्षों की सीमा पर अग्रिम फौजों की वापसी पर आपसी सहमति बन गई। उसके बाद से स्थितियां अचानक से बेहतर होती दिखाई दे रही हैं। चीन ने भी कहीं न कहीं समझ लिया है कि भारत से पंगा लेना उचित नहीं होगा।

अब भारत 1962 का दब्बू नेहरु का भारत नहीं रहा। अब तो भारत 2021 के स्वाभिमानी राष्ट्रवादी मोदी का भारत बन चुका है। चीन को जब यह लगा कि उसने कोई हरकत की तो उसे लेने के देने प़ड़ जाएंगे, इसलिए उसने अपनी फौजों को पीछे करना या हटाना चालू कर दिया है। चीन ने भारत के विदेश मंत्री एस.जयशंकर के भारत-चीन संबंधों को सुधारने के सुझावों का संज्ञान भी लिया है।

मतभेदों को दूर करने के लिए सकारात्मक प्रयासों का सिलसिला जारी रहेगा

याद रखा जाना चाहिए कि द्विपक्षीय संबंधों में तनाव का कारण सीमा विवाद ही रहता है। अब यह उम्मीद बंधी हैं कि मतभेदों को दूर करने के लिए सकारात्मक प्रयासों का सिलसिला जारी रहेगा। भारत को आशा है कि चीन मतभेदों को दूर करके व्यवहारिक सहयोग को बढ़ावा देने का काम करेगा। बेशक, लद्दाख में पिछले वर्ष हुई घटनाओं ने दोनों देशों के संबंधों को गंभीर रूप से प्रभावित किया। मधुर संबंधों को आगे तब ही तो बढ़ाया जा सकता है जब वे आपसी सम्मान, संवेदनशीलता, साझा हित जैसी परिपक्वता पूर्ण संबंधों और आपसी व्यवहारों पर आधारित हों।

भारत और चीन के संबंध ऐसे दोराहे पर पहुंच गए थे

भारत और चीन के संबंध ऐसे दोराहे पर पहुंच गए थे जहाँ आपसी टकराव ही एकमात्र रास्ता दिखता था। अब दोनों देशों को वास्तविक नियंत्रण रेखा यानी एलएसी का कड़ाई से पालन और सम्मान करना होगा। इसके साथ ही चीन को यह अच्छी तरह समझ लेना होगा कि वास्तविक नियंत्रण रेखा पर भारत को यथास्थिति को बदलने का चीन का कोई भी एकतरफा प्रयास स्वीकार्य नहीं है। यदि अब बात होगी तो 1962 के पूर्व की स्थिति पर ही बात होगी। दोनों देशों का सीमा पर चल रहे विवाद के बहुत दूरगामी असर हो रहे थे। भारत सरकार ने चीन से आने वाले सभी निवेशों पर रोक लगा दी थी, साथ ही 200 से अधिक चीनी ऐप्स पर सुरक्षा का कारण बता कर पाबंदी लगा दी गई थी, जिनमे लोकप्रिय ऐप टिकटोक, वीचैट और वीबो आदि भी शामिल थे।

फिर व्यापार रहा अप्रभावित

हालांकि यह भी सच है कि दोनों पड़ोसियों के बीच द्विपक्षीय व्यापार आगे बढता ही रहा। प्राप्त आँकड़ों के अनुसार पिछले साल भारत और चीन के बीच द्विपक्षीय व्यापार 77.7 अरब डॉलर का था। चीन ने 2013 से 2020 के बीच भारत में 2.174 अरब डॉलर निवेश किया था। हालाँकि यह राशि भारत में विदेशी निवेश का एक छोटा हिस्सा है। भारत-चीन में तनाव बढ़ने से वे चीनी नागरिक भी खासे परेशान रहे जो भारत में रहकर कारोबार कर रहे थे।

भारत का पाकिस्तान के साथ युद्ध विराम संबंधी समझौता भी हो गया

अगर भारत- चीन के बीच तनाव घटा तो दूसरी तरफ भारत का पाकिस्तान के साथ युद्ध विराम संबंधी समझौता भी हो गया। इससे तो निश्चित रूप से दक्षिण एशिया में शांति एवं स्थिरता की दिशा में एक बेहतर माहौल बनेगा। हालांकि एक राय यह भी है कि भारत-चीन के बीच समझौता होते ही पाकिस्तान कांपने लगा था । उसे लगने लगा था कि अगर उसका स्थायी मित्र चीन भी भारत से दोस्ती का हाथ बढ़ा रहा है तो उसे भी अपनी रणनीति तत्काल बदल ही लेनी चाहिए। वर्ना पाकिस्तान तो लगातार भारत की आंख में उँगली देकर लड़ने की कोशिश कर रहा था। पाकिस्तान के कर्णधार भूल रहे थे कि वे भारत से तो पहले हुई सभी जंगों में घुटने पर आ गए थे। फिर भी कुछ लोग ऐसे भी होते हैं जो पिटते भी रहते हैं और दूर जाकर गली देने से बाज नहीं आते।

बहहराल, भारत-पाकिस्तान के बीच हुए समझौते का स्वागत होना चाहिए। भारत और पाकिस्तान नियंत्रण रेखा पर संघर्ष विराम का सख्ती से पालन करने पर सहमत हुए हैं और यह समझौता 25 फरवरी से प्रभावी भी हो गया है। दक्षिण एशिया में शांति एवं स्थिरता के लिए जरूरी है कि दोनों देश अपने मसले आपस में मिलकर हल करें।

भारत से स्थायी दुश्मनी न करे पाक

पाकिस्तान को अपनी जनता के हितों के बारे में भी सोचना होगा। वह भारत से स्थायी दुश्मनी नहीं रख सकता। इसमें उसे सिर्फ नुकसान ही होगा। अब एक उदाहरण लें। वह कोरोना संक्रमण के टीके चीन से ले रहा है। हालांकि उसे उन टीकों को भारत से लेना चाहिए था। सारे संसार को पता है कि कोरोना पर विजय पाने में भारत ने दुनिया को संजीवनी बूटी दी है। भारत से कोरोना के टीके संसार के अनेकों छोटे-बड़े देश ले रहे हैं। इनमें कनाडा और ब्राजील भी हैं। कोरोना का टीका ईजाद करके भारत ने सिद्ध कर दिया है वह मानव जाति की सेवा के लिए वचनबद्ध है। अगर पाकिस्तान भी भारत से कोरोना का टीका लेता तो वह एक बेहतर संदेश देता। भारत की तरफ से तो पाकिस्तान के साथ दोस्ती का हाथ बढ़ाए जाने की पहल हमेशा से होती ही रही है।

रिश्तों को एक नई दिशा देने की कोशिश की

पाकिस्तान के प्रधानमंत्री इमरान खान को भारत ने उनकी हालिया श्रीलंका यात्रा के दौरान भारतीय सीमा से गुजरने की इजाजत देकर रिश्तों को एक नई दिशा देने की कोशिश की। पर इमरान खान बाज कहां आए। वे श्रीलंका में जाकर भी यही कहते रहे कि भारत-पाकिस्तान के बीच सिर्फ कश्मीर ही एकमात्र मसला है। अब भारत को उन्हें कायदे से बता देना चाहिए कि बेहतर यही होगा कि पाकिस्तान कश्मीर के उन इलाकों को भारत को तत्काल सौंप दे जो उसने बेशर्मी से कब्जा किया हुआ हैं।

भारत-पाकिस्तान आदर्श पड़ोसी की तरह से रह सकते हैं

तभी तो भारत भी दोनों देशों के संबंधों को सौहार्दपूर्ण बनाने में अहम रोल अदा करेगा। इसके साथ ही पाकिस्तान बिना और किसी नुक्ताचीनी के मुंबई हमलों के गुनाहगारों को कठोर दंड भी दे। अगर वह इन दोनों कदमों को अविलंब उठा ले तो भारत-पाकिस्तान आदर्श पड़ोसी की तरह से रह सकते हैं। पाकिस्तान समझ ले कि भारत को पाकिस्तानी जनता से किसी भी तरह का बैर नहीं है। भारत तो उसकी जनता को लेकर साहनुभूति का भाव ही रखता है। पाकिस्तानी अवाम तो आज अशिक्षा और दरिद्रता के घोर अंधकार में रह रहा है।

ये भी पढ़ें:पुलिस का चला एक्शन वाला डंडा, 24 घंटे में 45 अपराधियों को किया गिरफ्तार

देखिए पाकिस्तानी हुक्मरान किस तरह से आगे चलकर भारत के साथ संबंधों को सामान्य करने की दिशा में कदम उठाते हैं। इस बीच, भारत की कूटनीति पर पैनी नजर रखने वाले सही ही कह रहे हैं कि चीन और पाकिस्तान अचानक से भारत से संबंध सुधारने को लेकर गंभीर इसलिए हो गए हैं क्योंकि उन्हें पता है कि अब जंग हुई तो भारत बीजिंग से लेकर इस्लामाबाद तक में घुस जाएगा इतनी ताकत और राजनीतिक इच्छा शक्ति आज के दिन भारत के पास है ।

(लेखक वरिष्ठ संपादक, स्तभकार और पूर्व सांसद हैं।)

(यह लेखक के निजी विचार हैं)

दोस्तों देश दुनिया की और खबरों को तेजी से जानने के लिए बनें रहें न्यूजट्रैक के साथ। हमें फेसबुक पर फॉलों करने के लिए @newstrack और ट्विटर पर फॉलो करने के लिए @newstrackmedia पर क्लिक करें।



\
Roshni Khan

Roshni Khan

Next Story