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वोटबैंक की राजनीति में जनता के मुद्दों को भूल गया विपक्ष
नागिरकता संशोधन कानून को लेकर देश भर में विरोध प्रदर्शन हो रहा है। कई जगहों पर तो इस कानून के खिलाफ हिंसक प्रदर्शन हुए जिसमें जान और माल का नुकसान भी हुआ है। नागिरकता संशोधन कानून के खिलाफ हो रहे विरोध प्रदर्शन को कांग्रेस समेत ज्यादातर विपक्ष का समर्थन है।
धर्मेंद्र कुमार सिंह
लखनऊ: नागिरकता संशोधन कानून को लेकर देश भर में विरोध प्रदर्शन हो रहा है। कई जगहों पर तो इस कानून के खिलाफ हिंसक प्रदर्शन हुए जिसमें जान और माल का नुकसान भी हुआ है। नागिरकता संशोधन कानून के खिलाफ हो रहे विरोध प्रदर्शन को कांग्रेस समेत ज्यादातर विपक्ष का समर्थन है। कांग्रेस की अंतरिम अध्यक्ष और यूपीए की चेयरपर्सन सोनियां गांधी ने संदेश जारी कर हो रहे प्रदर्शन को अपना समर्थन दिया था।
कांग्रेस के अलावा ममता बनर्जी, असदुद्दीन ओवैसी, शरद पवार, लालू की पार्टी आरजेडी, वामपंथी पार्टियों और तमाम विपक्षी दल इस कानून का विरोध कर रहे हैं। विपक्षी पार्टियों का आरोप है कि केंद्र सरकार लोगों को धार्मिक आधार पर बांटने का काम कर रही है। उन्होंने नागिरकता संशोधन कानून को संविधान के खिलाफ बताया है।
तो वहीं सरकार का कहना है कि इस कानून में कुछ भी ऐसा नहीं जिससे किसी को डरने की जरूरत है। प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी और गृह मंत्री अमित शाह ने कहा है कि विपक्ष लोगों में भय और अफवाह फैला रहा है। गृह मंत्री अमित ने कहा कि कांग्रेस अफवाह फैला रही है कि यह अल्पसंख्यकों और मुस्लिमों की नागरिकता ले लेगा। उनका है कि यह कानून किसी की नागरिकता लेने वाला नहीं है, बल्कि यह नागरिकता देने वाला है।
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नागरिकता संशोधन कानून 2019 में अफगानिस्तान, बांग्लादेश और पाकिस्तान से आए हिंदू, ईसाई, सिख, पारसी, जैन और बौद्ध धर्म के लोगों को भारत की नागरिकता दी जाएगी, लेकिन इस कानून में मुस्लिमों को शामिल नहीं किया गया है। 31 दिसंबर 2014 तक भारत आए अब पाकिस्तान, अफगानिस्तान, बांग्लादेश के हिंदू, ईसाई, सिख, पारसी, जैन और बौद्ध धर्म के लोग भारत की नागरिकता के लिए आवेदन कर सकेंगे।
इस कनून का विरोध करने वाले विपक्ष का कहना है कि सिर्फ गैर मुस्लिम लोगों को नागरिकता देने की बात कही गई है, इसलिए ये धार्मिक भेदभाव वाला कानून है जो कि संविधान के अनुच्छेद 14 का उल्लंघन करता है। अब सवाल खड़ा हो रहा है कि आखिर जब यह कानून किसी भारतीय नागरिक की नागरिकता नहीं ले सकता, तो विपक्ष इसका क्यों विरोध कर रहा है? क्या विपक्ष सिर्फ वोटों को राजनीति कर रहा है?
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यह भी सवाल खड़ा हो रहा है कि जब देश में महंगाई, अर्थव्यवस्था, बेरोजगारी समेत जनहित के इतने मुद्दे हैं, तो विपक्ष सिर्फ नागरकिता संशोधन कानून को लेकर क्यों हो हल्ला मचा रहा है? जबकि इस कानून में देश के मुस्लिमों के खिलाफ कुछ नहीं है। प्याज की कीमत 100 के पार है, जीडीपी लगातार गिर रही है और बेरोजगारी दर भी बढ़ रही है, लेकिन विपक्ष इन मुद्दों को भूलकर सिर्फ और सिर्फ नागिरकता संशोधन कानून के मुद्दे को उठा रहा है। अब इससे साफ है कि विपक्ष जनता नहीं बल्कि अपने फायदे की राजनीति कर रहा है। विपक्ष के विरोध से साफ है कि वह सिर्फ वोटबैंक की राजनीति कर रहा है। क्योंकि कभी विपक्ष के बड़े नेताओं ने घुसपैठिए और नागरिकता के मुद्दे को उठाया था जो अब इसी पर सवाल खड़ा कर रहा है।
पश्चिम बंगाल में जब ममता बनर्जी में विपक्ष में थीं, तो वह घुसपैठियों का मुद्दा खूब जोर शोर से उठाती थीं। एक बार तो उन्होंने लोकसभा में इस मुद्दे को उठाते हुए स्पीकर के ऊपर पेपर तक फेक दिया था। तो वहीं पूर्व प्रधानमंत्री और कांग्रेस के वरिष्ठ नेता मनमोहन सिंह ने पाकिस्तान और बांग्लादेश जैसे देशों में अल्पसंख्यकों के साथ हो रहे अत्याचार का मुद्दा उठाया था।
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2003 में जब बीजेपी की अगुवाई वाले एनडीए की सरकार थी तब मनमोहन सिंह ने राज्यसभा में तत्कालीन उप प्रधानमंत्री आडवानी को संबोधित करते हुए कहा था कि बांग्लादेश जैसे देशों में अल्पसंख्यकों को अत्याचार का सामना करना पड़ रहा है। उन्होंने उस समय कहा था कि यह हमारी नैतिक जिम्मेदारी है कि अगर बुरे हालातों के कारण लोगों को अपना देश छोड़कर भारत में शरणार्थी बनकर आना पड़ रहा है, तो ऐसे लोगों को भारतीय नागरिकता देने की प्रक्रिया अधिक उदार होनी चाहिए। उन्होंने कहा कि मुझे उम्मीद है कि उप प्रधानमंत्री इस पर ध्यान देंगे और भविष्य में नागरिकता पर कदम उठाएगी।
नागिरकता संशोधन कानून के खिलाफ विपक्ष के विरोध प्रदर्शन को देखकर तो यही लग रहा है कि वह अपने बिखरे मुस्लिम वोटों को बटोरने में लगा हुआ है। पश्चिम बंगाल में कभी वामपंथी पार्टियों को मुस्लिमों का समर्थन हासिल था, तो अब वहीं ममता की पार्टी टीएमसी को उनका समर्थन है। देश में कभी कांग्रेस को एकमुश्त वोट देने वाले मुस्लिम बिखर चुके हैं जिसे कांग्रेस बटोरने में लगी हुई है। असदुद्दीन ओवैसी भी देश भर में अपना जनाधार बढ़ाने में लगे हैं। सभी पार्टियां अपने वोटबैंक को मजबूत करने में लगी हैं।