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अभी-अभी नमाज के बाद फिर से इस शहर में CAA के खिलाफ प्रदर्शन, मची भगदड़

नागरिकता संशोधन कानून और एनआरसी के खिलाफ लगातार दूसरे शुक्रवार को दोपहर की नमाज के बाद दिल्ली में जामा मस्जिद के बाहर, सीलमपुर, जोर बाग और जाफराबाद में प्रदर्शन हुए।

Aditya Mishra
Published on: 27 Dec 2019 10:21 AM GMT
अभी-अभी नमाज के बाद फिर से इस शहर में CAA के खिलाफ प्रदर्शन, मची भगदड़
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नई दिल्ली: नागरिकता संशोधन कानून और एनआरसी के खिलाफ लगातार दूसरे शुक्रवार को दोपहर की नमाज के बाद दिल्ली में जामा मस्जिद के बाहर, सीलमपुर, जोर बाग और जाफराबाद में प्रदर्शन हुए।

इसमें भीम आर्मी के कार्यकर्ता भी शामिल हुए। हजारों लोगों ने सरकार के खिलाफ नारे लगाए। इस दौरान कुछ जगहों से धक्कामुक्की और भगदड़ की भी खबरें आई। हिंसा की आशंका को देखते हुए दिल्ली में पुलिस मुस्तैद थी। हर मस्जिद के बाहर 10-10 वॉलंटियर तैनात किए गए थे। बता दें कि आजाद को हिंसा भड़काने के आरोप में गिरफ्तार किया गया है।

पिछले शुक्रवार को यहां प्रदर्शन हिंसक हो गया था जिसके बाद 15 लोगों को गिरफ्तार किया गया था और पुलिस को कार्रवाई करनी पड़ी थी। आज भी दिल्ली के संवेदनशील इलाकों में पुलिस ने फ्लैगमार्च किया और ड्रोन के जरिए भी निगरानी की गई।

दिल्ली पुलिस ने बताया कि सुरक्ष व्यवस्था के लिए सीलमपुर, वेलकम, जामा मस्जिद, मुस्तफाबाद समेत कई संवेदनशील इलाकों में पुलिस तैनात है और लागातार शांति की अपील की जा रही है। दिल्ली के आसपास के इलाकों में शुक्रवार को इंटरनेट सेवा बंद कर दी गई है।

भीम आर्मी के नेता के लिए प्रदर्शन

भीम आर्मी के नेता चंद्रशेखर की रिहाई के लिए दिल्ली के जोरबाग में प्रदर्शन हुआ। पिछले शुक्रवार को जामा मस्जिद पर प्रदर्शन के दौरान वह संविधान की कॉपी लेकर वहां पहुंचे थे।

बाद में उनके समर्थकों ने पुलिस से उन्हें बचा लिया। शाम को प्रदर्शन हिंसक होने के बाद कई लोगों को गिरफ्तार किया गया था। देर रात चंद्रशेखर को भी गिरफ्तार किया गया। उन्हें न्यायिक हिरासत में जेल भेजा गया है।

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प्रधानमंत्री आवास की तरफ बढ़ रहे प्रदर्शनकारियों को रोका गया

जोरबाग में सीएए के खिलाफ प्रदर्शन कर रहे लोगों ने लोककल्याण मार्ग की ओर बढ़ने की कोशिश की लेकिन पुलिस ने उन्हें रास्ते में ही रोक लिया।

जामिया मिल्लिया यूनिवर्सिटी में अनशन पर बैठे छात्र

जामिया मिल्लिया इस्लामिया यूनिवर्सिटी में छात्र अनशन पर बैठ गये। उनकी मांग थी कि पिछले दिनों प्रदर्शन के दौरान पुलिस की ओर से की गई बर्बरता की निष्पक्ष जांच की जाए।

उन्होंने इस अनशन का आयोजन गांधी जी के सत्याग्रह की तर्ज पर किया है। देशभर में नागरिकता कानून के खिलाफ चल रहे प्रदर्शन के मद्देनजर केंद्रीय मंत्री मुख्तार अब्बास नकवी के आवास पर एक बैठक बुलाई गई। इस दौरान शाहनवाज हुसैन और राष्ट्रीय अल्पसंख्यक समिति के अध्यक्ष गैयूरुल हसन रिजवी के अलावा कई लोग उपस्थित रहे।

जामा मस्जिद पहुंचीं अलका लांबा

संशोधित नागरिकता कानून के खिलाफ प्रदर्शन करने के लिए शुक्रवार को पुरानी दिल्ली में जामा मस्जिद के बाहर ढेर सारे लोग जमा हुए। कांग्रेस नेता अलका लांबा और दिल्ली के पूर्व विधायक शोएब इकबाल भी इन प्रदर्शनों में शामिल हुए।

लांबा ने भाजपा सरकार पर निशाना साधा। उन्होंने कहा, ‘बेरोजगारी देश के सामने असल मुद्दा है। लेकिन आप (प्रधानमंत्री) एनआरसी के लिए लोगों को उसी तरह कतार में लगाना चाहते हैं जैसा नोटबंदी के दौरान किया था।’

लखनऊ में 82 लोगों को रिकवरी नोटिस

उत्तर प्रदेश शासन की तरफ से प्रदेश के 9 प्रमुख जिलों के डीएम को धरना प्रदर्शन के दौरान हुए उपद्रव में सार्वजनिक संपत्ति के नुकसान का निधार्रण करें। इस निर्देश पर इन जिलों के डीएम ने क्षतिपूर्ति के लिए कुल 498 लोगों को चिन्हित किया है और रिपोर्ट शासन को भेज दी है। जानकारी के अनुसार मेरठ में सबसे ज्यादा 148 लोगों को चिन्हित किया गया है।

उसके बाद लखनऊ में 82 लोगों को रिकवरी नोटिस के लिए चिन्हित किया गया है। इसी तरह रामपुर में 79, मुजफ्फरनगर में 73, कानपुर नगर में 50, संभल में 26, बुलंदशहर में 19, फिरोजाबाद में 13 और मऊ में 8 लोगों रिकवरी के लिए चिन्हित किया गया है।

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लखनऊ में रिटार्य आईजी समेत कई को नोटिस

बता दें लखनऊ में जिन्हें नोटिस जारी किया गया है उसमें प्रमुख रूप से रिटायर्ड आईजी एसआर दारापुरी कांग्रेस नेता सदफ जफर और रिहाई मंच के मोहम्मद शोएब प्रमुख हैं।

यह नोटिस हजरतगंज पुलिस द्वारा तैयार बलवाइयों की सूची पर जिला प्रशासन ने जारी की है। बता दें एक अनुमान के मुताबिक उत्तर प्रदेश के कई जिलों में हुए हिंसक प्रदर्शन के दौरान 3 करोड़ से ज्यादा की संपत्ति के नुकसान होने का अनुमान है।

मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ ने हिंसा में हुए नुकसान की भरपाई बलवाइयों से करने के निर्देश दिए थे। जिसके बाद से ही जिला प्रशासन सूची को चिन्हित कर उन्हें नोटिस भेजकर एक सप्ताह के अंदर जवाब देने को कहा है।

इसके बाद अगर वो खुद को निर्दोष साबित नहीं कर पाते हैं तो उन्हें एक तय राशि का भुगतान सरकार को क्षतिपूर्ति के तौर पर करना होगा. निर्धारित राशि न देने वालों पर कानूनी कार्रवाई होगी, जिसमें जेल जाना भी शामिल है।

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