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तालाबंदी उठाने पर विचार करें

अगर तबलीगी जमात आपराधिक लापरवाही नहीं करती तो हम लोग अब तक यह सोचना शुरु कर देते कि इस तालाबंदी से कैसे छुटकारा पाया जाए! किन-किन मामलों में कितनी-कितनी ढील दी जाए।

Shreya
Published on: 4 April 2020 10:15 AM IST
तालाबंदी उठाने पर विचार करें
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तालाबंदी उठाने पर विचार करें

डॉ. वेदप्रताप वैदिक

अगर तबलीगी जमात आपराधिक लापरवाही नहीं करती तो हम लोग अब तक यह सोचना शुरु कर देते कि इस तालाबंदी से कैसे छुटकारा पाया जाए! किन-किन मामलों में कितनी-कितनी ढील दी जाए, किन क्षेत्रों में कितनी-कितनी छूट दी जाए, किन रोगियों का कैसा उपचार किया जाए और लोग फिर से अपना रोजमर्रा का ढर्रा कैसे पकड़ लें। ये वे मुद्दे हैं, जिन पर हमें 14-15 अप्रैल से नहीं, अभी से सोचना शुरु कर देना चाहिए। यदि स्थिति अमेरिका की तरह बिगड़ती है तो हमारी रणनीति कुछ और ही होगी लेकिन फिलहाल हमें निम्न मुद्दों पर जोर देना चाहिए।

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ऐसे शब्दों का प्रयोग न करें, जिन्हें भारतीय समझते ही नहीं

पहला, सभी टीवी चैनलों और अखबारों के पत्रकारों से मेरा निवेदन है कि कोरोना के बारे में बोलते और लिखते समय वे ऐसे शब्दों का प्रयोग न करें, जिन्हें लगभग 100 करोड़ भारतीय समझते ही नहीं हैं। जैसे लाॅकडाउन, क्वारंटाइन, इम्युनिटी, आइसोलेशन, फ्यूमिगेशन, वाइरस आदि। इनके हिंदी पर्याय सरल हैं और सबके समझ में आनेवाले हैं। हमारे नेता लोग नौकरशाहों की नकल करते हैं। हमारे पत्रकार भी उन नकलचियों की नकल क्यों करें?

नागरिकों की प्रतिरोध-शक्ति बढ़ाने का प्रयत्न

दूसरा, सारा देश नागरिकों की प्रतिरोध-शक्ति बढ़ाने का प्रयत्न करे। उसके लिए घरेलू नुस्खों, परहेजों, आसन-प्राणायाम, व्यायाम आदि का जमकर प्रचार किया जाए। तीसरा, सरकार लोगों से शारीरिक दूरी बनाए रखने का आग्रह जरुर करे लेकिन लोगों की खाद्यान्न, दवा और इलाज की जरुरतों को पूरा करने के लिए पर्याप्त सुविधाएं जुटाएं। ट्रकों और रेलों को चलाए। चौथा, डाॅक्टरों, नर्सों, पुलिसकर्मियों, ड्राइवरों और अन्य सेवाकर्मियों के साथ जनता बहुत ही आदरपूर्ण व्यवहार करे।

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तालाबंदी को उठाने का फैसला जरुरी

पांचवां, नौटंकियों और निंदा-कर्म में लगे नेताओं से निवेदन है कि वे चुनाव में जैसे घर-घर जाकर वोट मांगते थे, अब वे घर-घर जाकर लोगों को खाद्यान्न पहुंचाने की तकलीफ क्यों नहीं करते ? छठा, कोरोना-मरीजों की जांच और इलाज के लिए हमारे वैज्ञानिक जी-जान से शोध कर रहे हैं लेकिन ये सुविधाएं लोगों को अभी से निःशुल्क मिलनी चाहिए। सातवां, किसानों को अपनी फसलें काटने तथा फलों और सब्जियों को बाजारों तक पहुंचाने की सुविधा दी जाएं। आठवां, यदि अप्रैल का यह पहला हफ्ता मार्च के पहले हफ्ते की तरह हो जाए तो फिर इस तालाबंदी को कहीं से धीरे-धीरे और कहीं से तेजी से उठाने का फैसला जरुरी है, वरना यह कोरोना से भी अधिक दुखदायी हो सकती है।

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