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आर्थिक पैकेज- नीतिगत सुधारों से मिलेगी विकास को नई दिशा और गति
मोदी सरकार ने प्रारम्भ से ही ' प्रो- एक्टिव ' ढंग से अर्थवयवस्था के विभिन्न क्षेत्रों को सुद्रढ़ करने के लगातार प्रयास किये हैं। इसी कड़ी में 12 मई 2020 को प्रधानमंत्री श्री मोदी ने एक व्यापक आर्थिक प्रोत्साहन पैकेज की घोषणा की।इसका आकर भी बहुत विशाल है। देश की सकल घरेलू उत्पाद (GDP)का 10 % अर्थात 20 लाख करोड़ रुपए का पैकेज है।
प्रोफेसर यशवीर त्यागी
(भूतपूर्व अध्यक्ष अर्थशास्त्र विभाग, लखनऊ विश्वविद्यालय)
कोविड-19 या कोरोना महामारी ने सम्पूर्ण विश्व को प्रभावित किया है | भारत में भी इसका प्रकोप है | इस महामारी की रोकथाम हेतु लॉक डाउन करना आवश्यक था , परन्तु इसके फलस्वरूप सामाजिक और आर्थिक गतिविधयां बाधित हों गयीं | अभी लॉक डाउन 4 चालू हैं ,परन्तु अब इसमें आवश्यकता अनुसार ढील दी जा रही है | आज देश के सामने बड़ी चुनौती है कि किसप्रकाऱ अर्थव्यस्था को फिर से पटरी पर लाया जासके। सरकार का प्रयास है कि जीवन को भी बचाया जा सके और रोज़ी -रोटी को भी।
आत्मनिर्भर भारत अभियान को एक नई दिशा देगा
मोदी सरकार ने प्रारम्भ से ही ' प्रो- एक्टिव ' ढंग से अर्थवयवस्था के विभिन्न क्षेत्रों को सुद्रढ़ करने के लगातार प्रयास किये हैं। इसी कड़ी में 12 मई 2020 को प्रधानमंत्री श्री मोदी ने एक व्यापक आर्थिक प्रोत्साहन पैकेज की घोषणा की।इसका आकर भी बहुत विशाल है। देश की सकल घरेलू उत्पाद (GDP)का 10 % अर्थात 20 लाख करोड़ रुपए का पैकेज है। इसके उद्देश्यों को स्पष्ट करते हुए प्रधानमंत्री ने कहा ,‘‘यह पैकेज 2020 में देश की विकास यात्रा को एक नई रफ्तार और आत्मनिर्भर भारत अभियान को एक नई दिशा देगा.’’
यह रणनीति पांच स्तंभों पर टिकी है । पहला स्तम्भ है- अर्थव्यवस्था (Economy ) को मज़बूत करना ; दूसरा स्तम्भ है - विश्व स्तरीय आधारभूत ढांचे का निर्माण (infrastructure ), तीसरा स्तम्भ- कुशल तंत्र (system ), चौथा स्तम्भ - भारत की विशिष्ट जनांकिकी का प्रतिफल (demography ) और पांचवा स्तम्भ है - मांग में वृद्धि (demand ) | अतः इस पैकेज में हमेंजहाँ एक ओर हमें समग्रता और व्यापकता देखने को मिलती है वहीँ हमें तात्कालिक और दीर्घकालिक उद्देश्यों के बीच सामंजस्य स्थापित करने का भी प्रयास परिलक्षित होता है|
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इस पैकेज के अन्तर्गत कृषि , किसान ,प्रवासी मजदूर ,गरीब , माइक्रो ,लघु,मध्यम एंटरप्राइज (MSME ) कोअनेक प्रकार की सुविधायें और सहायता देने की घोषणाएं वित्त मंत्री श्रीमती निर्मला सीतारमन ने आर्थिक पैकेजका विस्तारण करते हुए की हैं। इन कदमों का उद्देश्य विभिन वर्गों और क्षेत्रों को तात्कालिक राहत देना है जिससे कि वह पुनः अपनी सामान्य आर्थिक क्रियाऐं चालू कर सके।
इस पैकेज का एक महत्वपूर्ण अंग संरचनात्मक नीतिगत सुधारों का विस्तार और उनमे तेज़ी लाना है। सरकार ने आठ क्षेत्रों पर फोकस किया है। जैसा कि वित्त मंत्री ने कहा है कि हमें 'सुधार ,निष्पादन और परिवर्तन' (Reform Perform and Transform ) पर बल देना है। इन क्षेत्रों के लिए निम्नलिखित प्रमुख नीतिगत सुधारों की घोषणा की गई है –
कोयला के क्षेत्र में सरकार का एकाधिकार समाप्त होगा
कोयला क्षेत्र में निजी कंपनियों को वाणिज्यिक खनन शुरू करने के लिए प्रारम्भ में करीब 50 ब्लॉक पेश किए जाएंगे। सरकार का एकाधिकार समाप्त होगा। कोयला क्षेत्र में वाणिज्यिक खनन के लिए प्रति टन शुल्क की व्यवस्था के बजाय राजस्व-भागीदारी व्यवस्था पेश की जायेगी। खनिज क्षेत्र में खोज-खनन-उत्पादन एक समग्र अनुमति की व्यवस्था की शुरुआत की जाएगी। खदानों से निकाले गये कोयले के उठाव कीबुनियादी सुविधाओं पर सरकार 50 हजार करोड़ रुपये खर्च करेगी। 500 ब्लॉकों की नीलामी पारदर्शी ढंग से की जायेगी।
खनिज सेक्टर को मिलेगा बढ़ावा
सरकार का खनिज सेक्टर में विकास और रोजगार बढ़ाने पर जोर है. इस सेक्टर में संरचनात्मक सुधर किए जाएंगे और आधुनिक तकनीक इस्तेमाल होगी. 500 माइनिंग ब्लॉक की नीलामी की जाएगी. इसमें बॉक्साइट और कोयले के ब्लॉक की साथ में नीलामी हो, इसकी कोशिश की जाएगी. मिनरल सेक्टर में निजी निवेश बढ़ाया जाएगा।
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रक्षा-उत्पादन क्षेत्र में आत्मनिर्भरता की ओर कदम
सरकार ने रक्षा क्षेत्र में आत्मनिर्भर होने की दिशा में बड़ा कदम उठाया है। इस क्षेत्र में प्र्त्यक्ष विदेशी निवेश ( FDI ) की सीमा 49 फीसदी से बढ़ाकर 74 फीसदी कर दी गई है।
जब तक रक्षा क्षेत्र में देश आत्मनिर्भर नहीं हो जाता है तो तब तक हथियारों की खरीद प्रक्रिया समय बद्ध होगी। ऱक्षा अनुबंधों के प्रबंधन के लिए प्रोजेक्ट मैनेजमेंट यूनिट (PMU) का गठन किया जाएगा।
रक्षा क्षेत्र में' मेक इन इंडिया' को गति देने के लिए हथियारों की सूची तैयार की जाएगी और साल-दर-साल इनके आयात को कम किया जाएगा। कोशिश होगी कि समय रहते इसका निर्माण अपने देश में हो जिससे रक्षा आयात बिल को कम किया जा सके। ऑर्डिनेंस फैक्ट्री बोर्ड का निगमीकरण करने का विचार किया जा रहा है।
नागरिक उड्डयन क्षेत्र में सुधार हेतु कार्यक्रम
सरकार ने देश के एयरस्पेस में विस्तार करने फैसला किया है। अब तक केवल 60% एयरस्पेस का उपयोग होता है। एयरस्पेस बढ़ाने से सरकार को 1000 करोड़ की आय होगी। 6 और हवाईअड्डों की नीलामी की जाएगी। साथ ही पीपीपी मॉडल से इनका विकास किया जाएगा। देश के 12 हवाईअड्डों पर निजी निवेश से लगभग 13 हजार करोड़ रुपये खर्च किए जाएंगे।
देश में एक भी एयरक्रॉफ्ट मेंटिनेंस सेंटर नहीं है ऐसे में हवाई जहाज़ों को बाहर मेंटिनेंस के लिए ले जाना पड़ता है, जिससे खर्च भी बढ़ता है और रोजगार के मौके भी जाते हैं। भारत को एयरक्रॉफ्ट मेंटिनेंस, रीपेयर ऐंड ओवरहॉल (MRO) का केंद्र बनाया जाएगा। इसको प्रोत्साहन देने के लिए टैक्स व्य वस्था को सरल बनाया गया है।
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ऊर्जा वितरण क्षेत्र में सुधार
केंद्र शासित प्रदेशों में बिजली कंपनियों का निजीकरण होगा। इसके लिए सुसंगत टैरिफ पॉलिसी को लागू किया जाएगा।इस बात का ध्यान रखा जायेगा कि डिस्कॉम की अक्षमता का बोझ बिजली उपभोक्ता पर नहीं पड़े ।इससे बिजली उत्पादन को बढ़ावा मिलेगा। डिस्कॉम कंपनियों में प्रतिस्पर्धा बढ़ेगी और बिजली क्षेत्र में स्थिरता आएगी।
परमाणु ऊर्जा क्षेत्र में प्राइवेट पब्लिक साझेदारी (PPP)
पब्लिक प्राइवेट पार्टनरशिप (PPP )पद्धति पर रिसर्च रिएक्टर स्थापित किया जायेगा इसका उद्देशय मेडिकल आइसोटॉप बनाना होगा। इसके द्वारा देश में कैंसर समेत अन्य बीमारियों के लिए सस्ता उपचार उपलब्ध कराया जाएगा। भारत के उभरते स्टार्टअप का इसमें भरपूर योगदान होगा। टेक्नोलॉजी डिवेलपमेंट कम इन्क्यूबेशन केंद्रों की मदद से रिसर्च और टेक्नॉलजी का उचित और महत्वपूर्ण इस्तेमाल किया जाएगा।
अंतरिक्ष क्षेत्र में निजी क्षेत्र का प्रवेश
इस क्षेत्र में भारत एक अग्रगण्य देश है इसरो (ISRO) ने काफ़ी नाम कमाया है। अंतरिक्ष कार्यक्रमों में निजी क्षेत्र को भी अवसर मिलेगा। निजी कंपनियां भी इसरो की सुविधा का इस्तेमाल कर सकती हैं।
सामाजिक अधोसंरचना पर फोकस
अस्पताल और स्कूल जैसे सामाजिक बुनियादी ढ़ाचे में निजी निवेश को आकर्षित करने के लिए वायबिलिटी गैप फंडिंग (VGF ) में बदलाव किया गया है.सरकार ने इसे 20 फीसदी से बढ़ाकर 30 फीसदी कर दिया है. इससे निजी निवेश आएगा. इसके लिए 8100 करोड़ रुपए का प्रावधान किया गया है|
इन सुधारों के अतिरिक्त सरकार ने कृषि में भी कुछ बुनियादी सुधार किये है। इनमे मुख्य हैं – आवश्यक वस्तु अधिनियम में संशोधन तथा कृषि उत्पाद विपणन समिति अधिनियम में बदलाव। इनसे किसानों को अपना उत्पादन कहीं पर भी बेचने का अधिकार होगा। फलस्वरूप किसानो को अपनी उपज का सही मूल्य मिलेगा ,बिचौलियों की समाप्ति होगी। कृषि में बुनियादी ढांचे को मजबूत करने के लिए एक लाख करोड़ रुपए के निवेश की व्यवस्था करना प्रस्तावित है।
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आर्थिक सुधारों के निहितार्थ
उपरोक्त सुधारों के निम्नलिखित समग्र निहितार्थ हैं :
-निवेश ,उत्पादन और रोज़गार सृजन प्रक्रिया को बुनियादी रूप में सुदृढ़ करना और तेज़ गति से संचालित करना।
-रणनीतिक क्षेत्रों यथा -परमाणु ऊर्जा ,अन्तरिक्ष और रक्षा में भी सार्वजनिक और निजी कंपनियों के बीच साझेदारी को प्रोत्साहन।
-उदारीकरण, निजीकरण और विदेशी निवेश को बढ़ावा देना।
-'भारत में निर्माण '(मेक इन इंडिया ') प्रोग्राम को विस्तार देना और भारतीय उत्पादों की गुणवत्ता में सुधार। भारतीय कंपनियों की विश्व में प्रतिस्पर्धा करने की क्षमता को बढ़ाना।
-व्यवसाय को सुगम बनाना (Ease of Doing Business ) और सुधार लाना जिससे घरेलू और विदेशी निवेशकों को आकर्षित करने में सहायता मिलेगी। यहाँ ये उल्लेखनीय है कि ईज ऑफ डूइंग बिज़नेस की रैंकिंग में काफ़ी उछाल आया है। आज इसमें भारत का स्थान 63 वां है।
-स्थानीय उत्पादों की देश और विदेशों में खपत को बढ़ाना ('Going Vocal about Local ' ) इससे भारत को आत्मनिर्भर, विशेषकर महत्त्वपूर्ण वस्तुओं के उत्पादन में,होने में मदद मिलेगी।
-कृषि को आधुनिक और लाभदायक बनाना। कृषकों की आय में वृद्धि।
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नीतिगत आर्थिक सुधारों के लिए ये समय उपयुक्त नहीं-आलोचक
कतिपय आलोचक यह कह रहें हैं कि नीतिगत आर्थिक सुधारों के लिए ये समय उपयुक्त नहीं है। परन्तु विचारणीय पहलू यह है कि अधिकांश नीतिगत सुधारों की आवश्यकता एक लंबे समय से अनुभव की जा रही थी,यदि सुधारों की दिशा सही है तो शुभस्य शीघ्रं। इनको लागू करने में परहेज़ क्यों ? बड़ी चुनौती ये है कि इन नीतिगत सुधारों को एक निश्चित समय-सीमा में सुचारु रूप से लागू किया जाये जिससे इनका लाभ विभिन्न क्षेत्रों को शीघ्र मिल सके।
निष्कर्ष में यह कहा जा सकता है कि सरकार के आर्थिक प्रोत्साहन पैकेज से अर्थव्यवस्था को जहाँ एक और संजीवनी मिलेगी वहीं नीतिगत सुधारों से अर्थव्यवस्था को नई दिशा और ऊर्जा मिलेगी। श्रेठ भारत ,समृद्ध और आत्मनिर्भर भारत का सपना अवश्य साकार होगा।
(यह लेखक के निजी विचार है )