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कोरोना से मौत नहीं जिंदगी लीजिए जनाब, तुरंत कराएं जांच

मेरा अपना अनुभव कुछ ऐसा ही रहा। तीन दिसंबर को कार्यालय में मुझे कुछ अनइजी फील हुआ। क्या दिक्कत है समझ में नहीं आ रहा था। मैने अपने निकट बैठे साथी से बात की और घर चला आया।

Roshni Khan
Published on: 5 Jan 2021 1:07 PM IST
कोरोना से मौत नहीं जिंदगी लीजिए जनाब, तुरंत कराएं जांच
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यूपी में स्वास्थ्य सेवा कर्मियों और फ्रंटलाइन वर्कस को सबसे पहले प्राथमिकता दी जाएगी। सभी से सतर्क रहने और वायरस के खिलाफ सावधानी बरतने की बात कही गई है।

रामकृष्ण वाजपेयी

लखनऊ: कोविड-19 जानलेवा नहीं है। अगर हम लक्षण प्रकट होते ही जांच करा लेते हैं। और कोविड डाक्टरों की टीम की सलाह पर अमल करना शुरू कर देते हैं। यदि डॉक्टर अस्पताल में भर्ती होने की सलाह दें तो बिना तर्क उस पर अमल करें। कोविड-19 से होने वाली मौतों की बड़ी वजह लोगों का हालत बिगड़ने के बाद जांच कराना या अस्पताल में भर्ती न होना है। कारण जब एक बार हालत बिगड़नी शुरू हो जाती है तो आपकी समझ से ज्यादा तेजी से बिगड़ती है इसीलिए लोग कई बार खुद चलकर अस्पताल जाते हैं जहां कुछ घंटों में उन्हें आक्सीजन सपोर्ट या वेंटीलेटर की जरूरत पड़ जाती है।

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तीन दिसंबर को कार्यालय में मुझे कुछ अनइजी फील हुआ

मेरा अपना अनुभव कुछ ऐसा ही रहा। तीन दिसंबर को कार्यालय में मुझे कुछ अनइजी फील हुआ। क्या दिक्कत है समझ में नहीं आ रहा था। मैने अपने निकट बैठे साथी से बात की और घर चला आया। अगले दिन चार दिसंबर को मेरी पत्नी के पोते का जन्मदिन था। शाम को हम लोग सीडीआरआई कैम्पस गए। उस समय तक वहां कोई मेहमान नहीं आया था। मै अकेले टेंट के नीचे बैठ गया। सड़क के दूसरी तरफ डेक बज रहा था। वहीं खाने की व्यवस्था थी।

मुझे उस समय तक कोई दिक्कत नहीं थी। शाम को अचानक जब ठंडी हवा चली मेरी कनपटी की नस जोर जोर से तपकने लगी। तबियत बिगड़ने की आशंका से बिना किसी से मिले हम लोग घर लौट आए । अगले दिन मुझे जुकाम महसूस हुआ। डाक्टर से बात की उन्होंने गरम भाप लेने को कहा। मुझे छाती में कंजक्शन महसूस हो रहा था।

दस तारीख को मेरी पत्नी की बहन के बेटे की शादी थी

दस तारीख को मेरी पत्नी की बहन के बेटे की शादी थी। इसलिए पत्नी और बड़ा बेटा शादी में चले गए। घर में मैं और छोटा बेटा रह गए। आठ तारीख तक मेरी वीकनेस काफी बढ़ गई। इसलिए मैने कोविड-19 की जांच कराई। तत्काल रिपोर्ट एंटीजन निगेटिव आई। मुझे लगा हो सकता है सीजनल जुकाम हो। मुझे बुखार नहीं आया।

नौ तारीख की शाम को छोटे बेटे के साथ मै उन्नाव के लिए बस से रवाना हुआ। नवाबगंज के पास अचानक मेरा फोन बजा। हेलो कहते ही उधर से नाम पूछा गया और बताया गया कि मै कोरोना पॉजिटिव हूं। हम दोनो उन्नाव बाईपास पर उतर गए। बेटा उन्नाव से मोटरसाइकिल लेकर आया और हम वापस लखनऊ रवाना हुए। रात में कोहरा तेज पड़ रहा था। अगले दिन यानी दस तारीख को सीएमओ कार्यालय की सलाह पर मै एरा मेडिकल कालेज में भर्ती होने के लिए लालकुआ चौराहा से एम्बुलेंस में बैठ गया।

एम्बुलेंस में एकाकी बैठकर अस्पताल तक का सफर किसी तरह खत्म हुआ

एम्बुलेंस में बैठने के लिए जाते वक्त पांच मिनट के सफर में काफी कुछ मेरे दिमाग में घूम गया। मै बुरी तरह से दहशत में था। यह लग रहा था कि छोटे बेटे को आखिरी बार देख रहा हूं। क्योंकि कोरोना से मरने वालों का शरीर घर वालों को नहीं मिलता है , ऐसी तमाम खबरें मैने पढ़ी थीं।एम्बुलेंस में एकाकी बैठकर अस्पताल तक का सफर किसी तरह खत्म हुआ। अस्पताल में पहुंचते ही पहले मुझे जूस और बिस्कुट खाने को दिये गए फिर मेरे खून की जांच हुई। छाती का एक्सरे हुआ। इसके बाद मुझे कोरोना वार्ड ले जाया गया।

वहां का दृश्य काफी भयावह था

वहां का दृश्य काफी भयावह था। तमाम मरीज आक्सीजन व वेंटीलेटर पर थे। सबकी हालत काफी खराब थी। मुझे एक बेड पर बैठा दिया गया। फिर वहां के ड्यूटी डाक्टरों ने बुलाकर पूछा कोई दिक्कत। मेरी उन मरीजों को देखकर हवा इतनी खराब हो गई थी मैने कहा नहीं। उन्होंने मुझे दूसरे वार्ड में भेजा। वहां डाक्टर दीपिका ने मेरी रिपोर्ट देखी। मेरा चेहरा देखकर उन्होंने कहा आप अस्पताल क्यों आ गए। मैने कहा सीएमओ की सलाह पर। उन्होने मुझे आइसोलेशन वार्ड में भेज दिया।

आइसोलेशन वार्ड में एकदम बदला माहौल था मुझे अपने से बेहतर तमाम लोग दिखे

यकीन कीजिए आइसोलेशन वार्ड में एकदम बदला माहौल था मुझे अपने से बेहतर तमाम लोग दिखे। जो घूम रहे थे टहल रहे थे। वहां बहुत आत्मीयता का माहौल था। कुछ प्रशासन को गरिया रहे थे कि बेवजह उन्हें रोका गया है। कुछ कह रहे थे एक कोरोना मरीज पर अस्पताल को डेढ़ लाख मिलते हैं इसलिए जबरन पाजिटिव घोषित करने का खेल चल रहा है। खैर, मुझे यहां पर पलंग मिलने के कुछ देर बाद नाश्ता, काली चाय, लौकी का जूस दिया गया। फिर लंच आ गया। जिसमें दाल चावल रोटी सब्जी व एक सब्जी पनीर की थी।

कोविड-19 का लक्षण मेरी भूख मर चुकी थी

अब इसे चाहे मेरा भय मानें या वास्तविकता या कोविड-19 का लक्षण मेरी भूख मर चुकी थी। मुंह का स्वाद खराब हो गया था। गंध की अनुभूति गायब थी। लेकिन मै अस्पताल की नर्सों और आया लोगों को जिन्हें बुआ कहकर बुलाया जा रहा था धन्यवाद दूंगा। उन्होंने घर परिवार के सदस्यों की तरह ब्रेन वाशिंग शुरू की। क्या घर की बहुत याद आ रही है। पहली बार घर से अलग हुए हैं क्या। जो मिले उसे खाइए जरूर। लेटे मत रहिये थोड़ा टहलिये। हर दो घंटे पर दालचीनी, अश्वगंधा व अदरक का चूर्ण, बीच में भुना जीरा का चूर्ण, तिल्ली व कद्दू के भुने बीज इसके अलावा ब्रोंकली व लौकी का सूप दिया जाता था।

दस तारीख को कुछ मरीज मेरे वार्ड से डिस्चार्ज हुए

दस तारीख को कुछ मरीज मेरे वार्ड से डिस्चार्ज हुए। अगले दिन से मेरी कोरोना की दवा कोवि फ्लू शुरू हुई जिसके पैसे मुझसे लिए गए यह दवा 1200 रुपये की थी। पहले दिन नौ नौ गोली और फिर 13 दिन चार चार गोली खानी थीं। इस बीच मुझे सांस लेने में तकलीफ शुरू हो गई थी। जिसके लिए पानी में एक से डेढ़ ग्राम कलौंजी डालकर उसकी भाप लेने को कहा गया। दो दिन मुझे पॉटी नहीं हुई। जिसके लिए दवा दी गई। इसके बाद मुझे भूख लगने लगी। प्रति दिन चार पांच बार ब्लड प्रेशर व आक्सीजन लेबल की जांच की जाती थी। मुझे अस्पताल आने पर पता चला की 94 से नीचे ऑक्सीजन लेबल खतरनाक है। मेरा लगातार 99 आक्सीजन लेबल रहा।

16 दिसंबर को मेरी पुनः कोविड की जांच हुई जो पाजिटिव आयी

दस तारीख के बाद 16 दिसंबर को मेरी पुनः कोविड की जांच हुई जो पाजिटिव आयी। इसके बाद 19 तारीख को जांच हुई ये भी पाजिटिव आई। लेकिन मेरे मित्र नवल ने पहले ही कह दिया था कि पाजिटिव रिपोर्ट पर घबड़ाइएगा नहीं। उनकी पांचवी रिपोर्ट निगेटिव आई थी। और उनके एक मित्र की छठी रिपोर्ट निगेटिव आई थी।

14 दिन पूरे कर लेने पर मुझे अस्पताल से डिस्चार्ज कर दिया गया

खैर 14 दिन पूरे कर लेने पर मुझे अस्पताल से डिस्चार्ज कर दिया गया। दस दिन घर में होम कोरंटाइन करवाया गया। दस दिन पूरे हो जाने पर मैने पुनः जांच कराई। दिल घबड़ा रहा था पता नहीं निगेटिव हूं या पाजिटिव। ईश्वर का शुक्र है। मेरी रिपोर्ट निगेटिव आई।

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मैं एक बात कहना चाहूंगा कि कोविड-19 का नया स्ट्रेन आने के बाद एक बार फिर सरकार की मुसीबत बढ़ गई है। आश्चर्य की बात ये है कि इसे लेकर सरकार जितना परेशान और सतर्क है। आम आदमी पर इसका असर होता नहीं दिख रहा है। सड़कों पर मात्र दस फीसदी लोग मास्क लगाकर निकल रहे हैं बाकी लोग बिना मास्क व दूरी बरकरार रखने के प्रति लापरवाह हैं। जिन लोगों में कोरोना के लक्षण प्रकट भी हो रहे हैं। वह कोरोना जांच से भाग रहे हैं और मेडिकल स्टोरों के स्वयंभू डॉक्टरों को हाल बताकर दवा ला रहे हैं। ये गलत है। इसमें आपकी आपके परिवार और समाज की सुरक्षा है कि कोविड-19 का लक्षण दिखते ही तुरंत जांच कराएं। ये आपका खुद पर बड़ा उपकार होगा।

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