×

TRENDING TAGS :

Aaj Ka Rashifal

भारत से प्रतिभा-पलायन कैसे रुके ?

अमेरिका के ट्रंप प्रशासन ने शीर्षासन करने में ज़रा भी देर नहीं लगाई। हमारे जो भी छात्र अमेरिका में पढ़ रहे थे, वे यदि अपनी शिक्षा ई-क्लासेस के द्वारा ले रहे थे तो ट्रंप प्रशासन ने उनके वीजा रद्द कर दिए थे और उन्हें भारत लौटने का आदेश दे दिया गया था।

Newstrack
Published on: 18 July 2020 12:18 PM IST
भारत से प्रतिभा-पलायन कैसे रुके ?
X

डॉ. वेदप्रताप वैदिक

अमेरिका के ट्रंप प्रशासन ने शीर्षासन करने में ज़रा भी देर नहीं लगाई। हमारे जो भी छात्र अमेरिका में पढ़ रहे थे, वे यदि अपनी शिक्षा ई-क्लासेस के द्वारा ले रहे थे तो ट्रंप प्रशासन ने उनके वीजा रद्द कर दिए थे और उन्हें भारत लौटने का आदेश दे दिया गया था। मैंने उसका स्पष्ट विरोध किया था। मुझे खुशी है कि ट्रंप ने अपना आदेश वापस ले लिया है। ट्रंप को भारत की नहीं, दोस्ती की नहीं, सिर्फ अपनी चिंता है। उन्हें यह चिंता भी नहीं थी कि लाखों विदेशी छात्रों से मिलनेवाले करोड़ों डालरों से अमेरिकी शिक्षा-संस्थाएं वंचित हो जाएंगी। उन्हें तो अपने गोरे अमेरिकी मतदाताओं को यह कहकर लुभाना था कि देखो, मैं तुम्हारे रोजगारों की रक्षा के लिए इन विदेशियों को निकाल बाहर कर रहा हूं।

ये भी पढ़ें:रोशनी नादरः देश की सबसे अमीर महिला, क्या आप इनकी ये खासियत जानते हैं

यह काम तो अभी रुक गया लेकिन यह हमें यह सोचने के लिए मजबूर कर रहा है कि हमारे लाखों छात्र-छात्राएं अपनी पढ़ाई पूरी करके अमेरिका और यूरोप क्यों चले जाते हैं और वहां जाकर एक-दो परीक्षाएं पास करके वहीं नौकरी क्यों करने लगते हैं और वहीं क्यों बस जाते हैं। इस समय अमेरिका में 38 लाख के करीब भारतीय हैं। इनमें से 9 लाख 50 हजार तो वैज्ञानिक और इंजीनियर्स ही हैं। अमेरिका में पढ़नेवाले हमारे छात्र लगभग 11 बिलियन डाॅलर फीस अमेरिकी संस्थाओं को देते हैं। वे जाते हैं, पढ़ने के लिए लेकिन उनका असली उद्देश्य वहां जाकर मोटी कमाई करने का होता है। भारत में उनके माता-पिता जब तक जीवित होते हैं तो कुछ लोग डॉलर वगैरह भारत भेजते रहते हैं लेकिन बाद में उन लोगों की दूसरी पीढ़ी भारत को लगभग भूल जाती है। इस समय सारी दुनिया में ऐसे लगभग दो करोड़ भारतीय बसे हुए हैं।

हमारे जो मजदूर और कर्मचारी खाड़ी देशों में हैं, वे तो अपनी बचत का हिस्सा भारत भेजते रहते हैं लेकिन अमेरिका और यूरोप में रहनेवाले भारतीयों को बस अपनी ही चिंता रहती है। यह कितने दुख की बात है कि भारत उनकी शिक्षा और पालन-पोषण पर इतना पैसा खर्च करता है और उनका फायदा विदेशी उठाते हैं। विदेशी सरकारें और कंपनियां भी भारतीयों को नौकरी देना इसलिए ज्यादा पसंद करती हैं कि वे कम पैसों पर राजी हो जाते हैं।

ये भी पढ़ें:गहलोत की ये गलती! फोन टैपिंग कांड में फंसे ऐसे, BJP ने की CBI जांच की मांग

अब से 50 साल पहले जब मैं न्यूयार्क की कोलंबिया युनिवर्सिटी में पढ़ता था, तब मुझे भी कई प्रस्ताव मिले, राजनीतिक पदों के लिए भी, लेकिन मैंने साफ मना कर दिया लेकिन मेरे साथ के कई ईरानी और जापानी छात्रों ने अपने लिए कुछ काम पकड़ लिए, क्योंकि शाह के ईरान और तत्कालीन जापान में अमेरिका की भोगवादी संस्कृति की पकड़ बढ़ती जा रही थी। यदि हम भारतीय संस्कृति के मूल्यों की रक्षा करना चाहते हैं और भारत की सर्वविध उन्नति चाहते हैं तो इस प्रतिभा-पलायन (ब्रेन-ड्रेन) पर रोक लगाने या इसे बहुत सीमित करने पर सरकार को विचार करना चाहिए।

देश दुनिया की और खबरों को तेजी से जानने के लिए बनें रहें न्यूजट्रैक के साथ। हमें फेसबुक पर फॉलों करने के लिए @newstrack और ट्विटर पर फॉलो करने के लिए @newstrackmedia पर क्लिक करें।



\
Newstrack

Newstrack

Next Story