×

TRENDING TAGS :

Aaj Ka Rashifal

मोतीलाल वोराः बड़े आदमी

कांग्रेस पार्टी के वे 18 वर्ष तक कोषाध्यक्ष भी रहे। असलियत तो यह कि ज्यादातर नेताओं की तरह उनमें न तो अहंकार था और न ही पदलिप्सा।

Newstrack
Published on: 23 Dec 2020 12:11 PM IST
मोतीलाल वोराः बड़े आदमी
X
मोतीलाल वोरा पर डॉ. वेदप्रताप वैदिक का लेख (PC: social media)

डॉ. वेदप्रताप वैदिक

लखनऊ: 20 दिसंबर को कांग्रेस के नेता मोतीलाल वोरा का 93 वाँ जन्म दिन था और 21 दिसंबर को उनका निधन हो गया। वे न तो कभी राष्ट्रपति बने और न ही प्रधानमंत्री लेकिन क्या बात है कि लगभग सभी राजनीतिक दलों ने उनके महाप्रयाण पर शोक व्यक्त किया ? यह ठीक है कि वे देश या कांग्रेस के किसी बड़े (सर्वोच्च) पद पर कभी नहीं रहे लेकिन वे आदमी सचमुच बड़े थे। उनके- जैसे बड़े लोग आज की राजनीति में बहुत कम हैं। वोराजी जैसे लोग दुनिया के किसी भी स्वस्थ लोकतंत्र में आदर्श नेता की तरह होते हैं। वे अपनी पार्टी और विरोधी पार्टियों में भी समान रुप से सम्मानित और प्रिय थे। वे नगर निगम के पार्षद रहे, म.प्र. के राज्यमंत्री रहे, दो बार वहीं मुख्यमंत्री बने, उ.प्र. के राज्यपाल बने और चार बार राज्यसभा के सांसद रहे।

ये भी पढ़ें:लद्दाख में 22 साल बाद ऐसा: खुली रहेगी बुगड़ियार चौकी, खतरों से खेलेंगे 25 जवान

कांग्रेस पार्टी के वे 18 वर्ष तक कोषाध्यक्ष भी रहे

कांग्रेस पार्टी के वे 18 वर्ष तक कोषाध्यक्ष भी रहे। असलियत तो यह कि ज्यादातर नेताओं की तरह उनमें न तो अहंकार था और न ही पदलिप्सा। उन्हें जो मिल जाए, उसी में वे खुश रहते थे। उनकी दीर्घायु और सर्वप्रियता का यही रहस्य है। उनका-मेरा संबंध पिछले लगभग 60 वर्ष से चला आ रहा था। वे रायपुर में सक्रिय थे और मैं इंदौर में। मैं कभी किसी दल में नहीं रहा लेकिन वोराजी डॉ. राममनोहर लोहिया की संयुक्त समाजवादी पाटी के कार्यकर्ता थे। मुझे जब अखिल भारतीय अंग्रेजी हटाओ सम्मेलन का मंत्री बनाया गया तो मैंने वोराजी को म.प्र. का प्रभारी बना दिया। जब मैंने नवभारत टाइम्स में काम शुरु किया तो उन्हें अपना रायपुर संवाददाता बना दिया।

Motilal Vora Motilal Vora (PC: social media)

ये भी पढ़ें:वाराणसी में तैयार गरीबों के सपनों का आशियाना, नए साल पर सौगात देंगे PM मोदी

वे इतने विनम्र और सहजसाधु थे कि जब भी मुझसे मिलने आते तो मेरे कमरे के बाहर चपरासी के स्टूल पर ही बैठ जाते थे। मुख्यमंत्री के तौर पर वे बिना सूचना दिए ही मेरे घर आ जाते थे। 1976 में मैंने जब हिंदी पत्रकारिता का महाग्रंथ प्रकाशित किया तो उन्होंने आगे होकर सक्रिय सहायता की। स्वास्थ्य मंत्री के तौर पर उन्होंने पत्रकारों के इलाज में सदा फुर्ती दिखाई। वे उम्र में मुझसे काफी बड़े थे लेकिन राज्यपाल बन जाने पर भी मुझे भरी सभा में ‘बाॅस’ कहकर संबोधित करते थे। वे मेरे संवाददाता थे और मैं उनका सम्पादक लेकिन मैं हमेशा उनके गुण एक शिष्य या छोटे भाई की तरह ग्रहण करने की कोशिश करता था। वोराजी को मेरी हार्दिक श्रद्धांजलि!

दोस्तों देश दुनिया की और खबरों को तेजी से जानने के लिए बनें रहें न्यूजट्रैक के साथ। हमें फेसबुक पर फॉलों करने के लिए @newstrack और ट्विटर पर फॉलो करने के लिए @newstrackmedia पर क्लिक करें।



\
Newstrack

Newstrack

Next Story