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मेरे गार्डेन में मुनिया का घोंसला, आप इसे पहचान सकते हैं क्या

गौरैया भी लुप्त हो चली है। जबकि अपने रंग रूप सुरीली आवाज से मुनिया प्रकृति को बहुत मनमोहक बनाती है। मैं खुश हूं कि मुनिया ने मेरे गार्डेन में घर बनाया है। उनका सुर संगीत बहता रहता है।

Newstrack
Published on: 1 July 2020 3:16 PM IST
मेरे गार्डेन में मुनिया का घोंसला, आप इसे पहचान सकते हैं क्या
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ब्रजलाल, पूर्व डीजीपी

मेरे गार्डेन में गौरैया के अलावा मुनिया (white throated Indian Finch) भी काफ़ी संख्या में रहती है और गौरैया के साथ ही दाना भी चुगती है। इन्होंने झाड़ियों में घोंसला बना रखा है। एक जोड़े ने AC की बाहरी unit में घोंसला पिछले दो सालों से बना रखा है और कई बार बच्चे भी तैयार किए।

गौरैया तो हमारे बिल्कुल आसपास रहती है, परंतु मुनिया अधिकतर झाडियों में घोंसला बनाती है। आमतौर पर इसकी और प्रजातियाँ को लाल चिड़िया( ललमुनिया ) भी कहा जाता है। हालांकि मुनिया की चार-पाँच उपजातियाँ हैं: श्वेतपृष्ठ मुनिया, श्वेतकंठ मुनिया, कृष्णसिर मुनिया, बिंदुकित (spotted) मुनिया तथा लाल मुनिया।

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वैसे मुनिया भारत, श्रीलंका, इण्डोनेशिया, फिलिपीन्स तथा अफ्रीका में पाई जाती है। ये अपने आकार से पहचानी जाती है इसका आकार गौरैया से कुछ छोटा होता है। यह छोटे छोटे झुंडों में घास के बीच खाने निकलती है।

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मुनिया दाना चुगती है

गांव में किसान जब फसल काटते हैं तो मुनिया खेतों में जमीन पर गिरे बीजों को खाती है। मंद-मंद कलरव करती मुनिया का झुंड किसी संगीत की तान छे़ड़े प्रतीत होता है। यह छोटी झाड़ियों या वृक्षों में 5-10 फुट की उँचाई पर घोसला बनाती है। मेरे गार्डेन में AC की बाहरी unit में इनके एक जोडे़ ने अपना ठिकाना बनाया हुआ है।

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अधिकांशतः मुनिया की लंबाई 10-12 सेमी होती है। आमतौर पर मुनिया की रंगत में भूरे, काले और सफेद रंग का मिश्रण होता है। मुनिया पक्षियों की विलुप्त होती प्रजातियों में एक हैं। इसकी वजह है मुनिया की विदेशों में काफी अधिक डिमांड का होना। आज लोग इसे देख कर भी पहचान नहीं पाएंगे। क्योंकि गौरैया भी लुप्त हो चली है। जबकि अपने रंग रूप सुरीली आवाज से मुनिया प्रकृति को बहुत मनमोहक बनाती है। मैं खुश हूं कि मुनिया ने मेरे गार्डेन में घर बनाया है। उनका सुर संगीत बहता रहता है।



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