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सुरवारी का साग, बरसात में मिलता है इसका स्वाद, क्या खाया है आपने
पूर्वी उत्तरप्रदेश के कई जिलों में किसान अब इसकी खेती करने लगे है और बाज़ारों में कभी कभी मिल जाता है। यह बिना कीटनाशक के पैदा होता है जिसे लोग बरसात में खाते थे। आज की आधुनिकता में गावों में भी इस साग को लोग भूलते जा रहे हैं।
ब्रजलाल, पूर्व एडीजी
आमतौर पर लोग पालक, चौलाई, मरसा, कुल्फा,मेथी , सरसों और नारी के साग के बारे में जानते हैं। बरसात में साग नही मिलता और मिले भी तो नहीं खाना चाहिये।
वैसे बरसात के समय भी सब्ज़ी की दुकानों पर पालक मिल जाती है और साग के शौक़ीन खाते भी है। लेकिन बरसात में किसान पालक के सागों पर कई बार कीटनाशक डालते है नही तो बरसाती कीड़ों से इनकी बचत नही हो पायेगी।
अगर ये साग खा रहे हैं तो ये है जहर
अगर आप बरसातों में पालक के साग खाते है, तो आप साग नहीं ज़हर खा रहे है। हमें सीजनल सब्ज़ियाँ ही खानी चाहिये क्योंकि इस समय मिलने वाली गोभी भी ज़हरीली है।
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इस समय किसान ऊँची जगहों पर गोभी लगा देते है, जो सितम्बर में मिलने लगती है। इसे कीटों से बचाने के लिए किसान कई बार दवा डालता है।
मैं कुदरत की देन सुरवारी के साग के बारे में बताना चाहता हूँ जो मैंने अपने ग्रीनगार्डेन में बोया था और अब तैयार हो गया है।
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यह साग बरसात में अरहर और गन्ने के खेतों में कुदरती तौर पर उगता है और बहुत ही स्वादिष्ट होता है। इसके पत्ते मिर्च के पत्तों जैसे होते है और मुलायम डंठलों के साथ खाये जाते है।
सुरवारी के साग को भूलते जा रहे लोग
बचपन में मेरी माँ अरहर के खेतों से सुरवारी का साग लातीं थी और बरसात में कई बार हमें इसका स्वाद मिल जाता था। मार्च में मैं अपने गाँव सिद्धार्थनगर गया था और सुरवारी के बीज लाकर बोया।
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पूर्वी उत्तरप्रदेश के कई जिलों में किसान अब इसकी खेती करने लगे है और बाज़ारों में कभी कभी मिल जाता है। यह बिना कीटनाशक के पैदा होता है जिसे लोग बरसात में खाते थे। आज की आधुनिकता में गावों में भी इस साग को लोग भूलते जा रहे हैं।