राज्यसभा उपचुनाव: नीरज शेखर ही होंगे भाजपा प्रत्याशी

उत्तर प्रदेश से होने वाले राज्यसभा के उपचुनाव में नीरज शेखर ही भारतीय जनता पार्टी के प्रत्याशी होंगे नीरज शेखर ने हाल ही में समाजवादी पार्टी को अलविदा कहते हुए राज्यसभा की सदस्यता से भी इस्तीफा दे दिया है। उनका कार्यकाल नवंबर 2020 तक था। उनके इस्तीफे के बाद इस सीट पर उपचुनाव होना तय है।

Dharmendra kumar
Published on: 20 July 2019 1:59 PM GMT
राज्यसभा उपचुनाव: नीरज शेखर ही होंगे भाजपा प्रत्याशी
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योगेश मिश्र

लखनऊ: उत्तर प्रदेश से होने वाले राज्यसभा के उपचुनाव में नीरज शेखर ही भारतीय जनता पार्टी के प्रत्याशी होंगे नीरज शेखर ने हाल ही में समाजवादी पार्टी को अलविदा कहते हुए राज्यसभा की सदस्यता से भी इस्तीफा दे दिया है। उनका कार्यकाल नवंबर 2020 तक था। उनके इस्तीफे के बाद इस सीट पर उपचुनाव होना तय है।

लोकसभा चुनाव से ही समाजवादी पार्टी से क्षुब्ध चल रहे नीरज शेखर की जड़ें भाजपा में रोपने में उनके पिता व पूर्व प्रधानमंत्री चंद्रशेखर के सलाहकार की महत्वपूर्ण भूमिका रही है। राज्यसभा में एनडीए का बहुमत जुटाने में जी जान से जुटी भारतीय जनता पार्टी ने यह फार्मूला तैयार किया है कि जो भी नेता अपनी पार्टी व राज्यसभा की सदस्यता से इस्तीफा देगा उसे ही भाजपा के टिकट पर उपचुनाव में उतारा जाएगा। इससे न केवल इस्तीफा देने वाले नेताओं की तादाद में इजाफे की उम्मीद देखी जा रही है। बल्कि इसी साल राज्यसभा में बहुमत जुटाने का भरोसा भी भारतीय जनता पार्टी को है। नीरज शेखर के पार्टी में शरीक होने के ठीक बाद अब भाजपा चंद्रशेखर मय होती हुई भी दीख रही है।

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राज्यसभा के उप सभापति हरिवंश नारायण सिंह की चंद्रशेखर पर लिखी गई एक किताब का आगामी 24 तारीख को प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी और गृह मंत्री अमित शाह विमोचन करने वाले हैं। द लास्ट आइडियो लाजिस्ट्स ऑफ पालिटिक्स है। जदयू नेता हरिवंश नारायण सिंह प्रभात खबर अखबार के ख्याति प्राप्त संपादक रहे हैं समाजवादी आंदोलन से जुड़े हरिवंश नारायण सिंह पूर्व प्रधानमंत्री चंद्रशेखर के खासे निकट के माने जाते हैं। चंद्रशेखर से जुड़ी तमाम घटनाओं के वह खुद साक्षी रहे हैं। प्रधानमंत्री रहने के दौरान वह चंद्रशेखर के सलाहकारों में शुमार रहे हैं।

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नीरज शेखर की अहमियत भारतीय जनता पार्टी में समाजवादी पार्टी को डेंट करने के साथ-साथ ही एक पढ़े लिखे समाजवादी नेता की है। नीरज शेखर अखिलेश यादव के बेहद करीबियों में थे। अखिलेश को उत्तर प्रदेश का मुख्यमंत्री बनाने का प्रस्ताव समाजवादी पार्टी के पार्लियामेंट्री बोर्ड में रखने वाले नीरज शेखर ही थे। बाद में रामगोपाल व अन्य लोगों ने इस प्रस्ताव पर मोहर लगाई। यह भी कम दिलचस्प नहीं है कि इस पार्लियामेंट्री बोर्ड की बैठक के दिन नीरज शेखर को अपनी गाड़ी में अखिलेश यादव पार्टी आफिस लेकर गए थे।

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नीरज शेखर बीते लोकसभा में बलिया से समाजवादी पार्टी के टिकट पर चुनाव लड़ना चाहते थे पर अखिलेश यादव ने राज्यसभा के उपचुनाव होने की स्थिति में इस सीट के भाजपा के खाते में चले जाने के भय से उन्हें टिकट देने से कन्नी काट लिया था। हालांकि नीरज शेखर ने बाद में अपनी पत्नी का नाम सुझाया। सूत्रों की मानें तो अखिलेश यादव की सहमति के बाद उनकी पत्नी बलिया से लखनऊ आ भी गई थीं। लेकिन अखिलेश यादव ने मुलाकात का अवसर ही नहीं दिया। यह बात नीरज शेखर को काफी खल गई और वह अपने लिए अलग मुकाम तलाशने लगे।

Dharmendra kumar

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