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नई शिक्षा नीति 2020: 34 साल का लंबा अंतराल, भविष्य में कितना होगा लाभदायक

ये हमारे लिए बड़े गर्व की बात है कि लगभग 34 वर्षों के लम्बे अन्तराल के बाद छह वर्षों के गहन अध्ययन और दो लाख से भी अधिक विद्वानों, योजनाकारों के कुशल नेतृत्व में देश के सुदूर अंचलों तक किये गए सर्वेक्षण के आधार पर नीति गढ़ी गई।

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Published on: 1 Aug 2020 4:55 PM IST
नई शिक्षा नीति 2020: 34 साल का लंबा अंतराल, भविष्य में कितना होगा लाभदायक
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प्रोफेसर संजय सिंह

कुलपति

बाबासाहेब भीमराव अम्बेडकर

विश्वविद्यालय, लखनऊ

नये युग में नये संधान के साथ हमारे देश की नई शिक्षा नीति को विश्व पटल पर लाने के लिए मैं सर्वप्रथम अपने माननीय प्रधानमंत्री जी एवं अपने मानव संसाधन विकास मंत्री जी को बधाई देता हूँ। राष्ट्रीय शिक्षा नीति-2020 में शिक्षा की पहुँच, समानता, गुणवत्ता, वहनीय शिक्षा और उत्तरदायित्व जैसे मुद्दों पर विशेष ध्यान दिया गया है। राष्ट्रीय शिक्षा नीति (NEP) 2020 वर्ष 1968 और वर्ष 1986 के बाद स्वतंत्र भारत की तीसरी शिक्षा नीति होगी।

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लगभग 34 वर्षों के लम्बे अन्तराल के बाद

ये हमारे लिए बड़े गर्व की बात है कि लगभग 34 वर्षों के लम्बे अन्तराल के बाद छह वर्षों के गहन अध्ययन और दो लाख से भी अधिक विद्वानों, योजनाकारों के कुशल नेतृत्व में देश के सुदूर अंचलों तक किये गए सर्वेक्षण के आधार पर नीति गढ़ी गई। इस नई शिक्षा नीति के माध्यम से नवीन समृद्ध भारत के निर्माण की नींव पुष्ट होगी।

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नई नीति का उद्देश्य

नई शिक्षा नीति 2020 देश में स्कूली और उच्च शिक्षा में परिवर्तनकारी सुधारों का मार्ग प्रशस्त करेगी। नई नीति का उद्देश्य 2030 तक स्कूली शिक्षा में 100% GER (Gross Enrolment Ratio) के साथ में पूर्व-विद्यालय से माध्यमिक स्तर तक शिक्षा के सार्वभौमिकरण का लक्ष्य है। इससे छात्रों में रचनात्मक सोच, तार्किक निर्णय और नवाचार की भावना को बल मिलेगा। नई शिक्षा नीति में स्कूली शिक्षा में बदलाव करते हुए अपनी मातृभाषा को महत्व देते हुए स्वाभाविक तरीके से नींव को मजबूत करने के पश्चात् छात्रों को अपनी रूचियों के अनुसार विषय चयन की स्वतंत्रता होगी।

चार स्तरीय स्वरूप में होगी

नई शिक्षा नीति में स्कूली शिक्षा अब 5+3+3+4 के चार स्तरीय स्वरूप में होगी जो कि एक सराहनीय पहल है। राज्य स्कूल स्टैंडड्र्स अथाॅरिटी (State School Standards Authority) का गठन करेंगे। सभी राज्य अपना पाठ्यक्रम तैयार करेंगे। नई शिक्षा नीति से फीस की सीमा तय होगी एवं इसका मानक तैयार होगा।

अधिकतम फीस तय की जाएगी

साथ ही अधिकतम फीस तय की जाएगी, यह सीमा उच्च शिक्षा और स्कूली शिक्षा दोनों के लिए होगी। इसके दायरे में निजी और सरकारी दोनों की संस्थान आएंगे। राज्य सरकारों द्वारा वर्ष 2025 तक प्राथमिक विद्यालयों में सभी बच्चों में बुनियादी साक्षरता और संख्यात्मक ज्ञान प्राप्त करने हेतु इस मिशन के क्रियान्वयन की योजना तैयार की जाएगी। छात्र इंटर्नशिप के माध्यम से प्रारम्भ से ही व्यावहारिक शिक्षा की ओर अग्रसर होंगे।

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असाधारण व्यवस्था लागू की गयी

उच्च शिक्षा में भी Multiple Entry और Multiple Exit की एक असाधारण व्यवस्था लागू की गयी है। इस दस्तावेज में उत्कृृष्ट अनुसंधान के साथ ही छात्र की रचनात्मकता और मौलिक सोच को पुष्ट करने की व्यवस्था है। उच्च शिक्षा में National Academic Credit Bank की व्यवस्था विद्यार्थियों के लिए बहुत हितकारी है।

विषयों को चुनने की स्वस्वतंत्रता अभिरूचि प्रशस्त करने का मार्ग प्रदान करती है। सभी विश्वविद्यालयों के लिए एक प्रवेश परीक्षा होगी, जिससे छात्रों का समय व धन बचेगा। नेशनल रिसर्च फाउंडेशन NRFऔर भारतीय उच्च शिक्षा आयोग HECI का गठन उच्च शिक्षा को और समृद्ध करेगा।

यह बदलाव देश को उज्जवल भविष्य देगा

नवीन शिक्षा नीति, अपनी विशिष्ट और मौलिक संरचना के द्वारा नए, सुदृढ़ और सशक्त भारत बनाने की दिशा में नींव का पत्थर बनेगा। यह बदलाव देश को उज्जवल भविष्य देगा और इसे समृद्धि की ओर ले जाएगा, ऐसा मेरा दृढ़ विश्वास है।

रिपोर्ट- श्रीधर अग्निहोत्री, लखनऊ

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