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सर्वस्पर्शी एवं सर्वांगीण विकास को समर्पित बजट

बजट के प्रस्तुत होने से पहले ऐसी आशंकाएं व्यक्त की गयीं थी ,कि बजट में अनेकों नये व कड़े टैक्स लगाये जायेंगें। इस बजट में कोई भी नया टैक्स नहीं लगाया गया है। कोरोना महामारी के अनुभवों ने सारे विश्व को स्वास्थ्य सुविधाओं पर ध्यान देने की आवश्यकता स्पष्ट की है।

Ashiki
Published on: 22 Feb 2021 8:43 PM IST
सर्वस्पर्शी एवं सर्वांगीण विकास को समर्पित बजट
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सर्वस्पर्शी एवं सर्वांगीण विकास को समर्पित बजट’

omprakash mishra ओमप्रकाश मिश्र

पिछले वर्ष विश्वव्यापी महामारी कोरोना से जूझ रही मानव जाति के लिए जो त्रासदी प्रस्तुत हुई वैसी विपदा सदियों के बाद आती हैं। ऐसी विश्वव्यापी महामारी से पूरी विश्व अर्थव्यवस्था में जो संकट आया, पिछले अनेको दशकों में (यहाँ तक कि 1930 के दशक की महान-मन्दी से भी भयावह) दृष्टिगत नहीं हुई।

आशावाद को जागृत कराने वाला बजट

जैसे कि आशंका थी कि केन्द्रीय बजट (2021-2022) एक बहुत कष्टदायी प्रकृति का होगा, किन्तु बजट प्रस्तावों के अध्ययन से यह एक आशावाद को जागृत कराने वाला बजट है। शेयर बाजार, बजट प्रस्तुत होने के दिन से ही अत्यन्त उत्साहित हुआ है, स्थिति यह थी कि वित्तमंत्री द्वारा बजट भाषण पूरा करते-करते बीएसई का 30 शेयरों वाला सेंसेक्स करीब 1000 अंको की बढ़त ले चुका था। कारोबार खत्म होते-होते यह 2,314 अंको यानी पाँच प्रतिशत वृद्धि पर बन्द हुआ।

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यह पिछले 10 महीनों में बजट के दिन पिछले 24 वर्षों और शेयर मार्केट के इतिहास में दूसरी सबसे बड़ी बढ़ोत्तरी है। नेशनल स्टाॅक एक्सचेंज (एन0एस0ई0) का निफ्टी 646 अंको वाली यानी 4.74 प्रतिशत वृद्धि के साथ 14,281 पर पहुँच गया। यह अभूतपूर्व उत्साह अर्थव्यवस्था को गति प्रदान करेगा।

अर्थव्यवस्था के लिए महत्वपूर्ण यन्त्र

किसी भी वर्ष का आम बजट, देश की अर्थव्यवस्था के लिए महत्वपूर्ण यन्त्र के रूप में देखा जाता रहा हैं। इसके साथ ही, बजट आने वाले वित्तीय वर्ष में होने वाले व्यय ताकि सरकारी खजाने की आय का आकलन करने का उपकरण भी हैं। वर्तमान प्रस्तुत बजट, कोरोना काल को आर्थिक संकटो से छुटकारे के साथ ही साथ, एक सशक्त प्रयास है, जिसके अर्थव्यवस्था को पटरी पर लाया जा सकें। कोरोना काल के कारण, लम्बे समय तक चले लाकडाउन के कारण, कमजोर हुई आर्थिक गतिविधियों के तीव्र गति से संचालन के प्रयास इस बजट में किए गये है। इस बजट में भविष्य के आत्मनिर्भर भारत देश की संकल्प शक्ति भी स्पष्टतः परिलक्षित होती है।

पिछले वर्ष से 137 प्रतिशत अधिक

इस बजट के प्रस्तुत होने से पहले ऐसी आशंकाएं व्यक्त की गयीं थी ,कि बजट में अनेकों नये व कड़े टैक्स लगाये जायेंगें। इस बजट में कोई भी नया टैक्स नहीं लगाया गया है। कोरोना महामारी के अनुभवों ने सारे विश्व को स्वास्थ्य सुविधाओं पर ध्यान देने की आवश्यकता स्पष्ट की है। इस वर्ष के बजट में स्वास्थ्य क्षेत्र को 2.23 लाख करोड़ रूपये दिए गये हैं। यह पिछले वर्ष से 137 प्रतिशत अधिक है। स्वास्थ्य के क्षेत्र में यह अभी तक सबसे बड़ा आवण्टन है। यह हमारे समग्र घरेलू उत्पाद (जी0डी0पी0) का 1.8 प्रतिशत है। बजट में टीकाकरण के लिए 35,000 करोड़ रूपये का प्राविधान किया गया है।

स्वास्थ्य प्रणाली और भी विकसित होगी

हमारे देश के गतिशील नेतृत्व के कारण, राष्ट्रव्यापी टेस्टिंग नेटवर्क,पी0पी0ई0 किट का बडे़ पैमाने पर उत्पादन नहीं करते थे और आज न केवल पी0पी0ई0 किट बल्कि कोरोना नियन्त्रण की दवाइयाँ भी विदेशों में भेजी। आज भारत में विकसित कोरोना की वैक्सीन, अनेकों देशों को भेजी जा रहीं है। उम्मीद है, स्वास्थ्य क्षेत्र में बजट आवण्टन बढ़ाने से हमारी प्रतिरोधक स्वास्थ्य प्रणाली और भी विकसित होगी यह सुनहरे भविष्य की तस्वीर देगी।

सरकार ने खजाना खोल दिया है....

ढांचागत (इन्फ्रास्ट्रक्टर) विकास के लिए, सरकार ने खजाना खोल दिया है। आगामी वित्त वर्ष (2021-22) के लिए ढांचागत विकास के लिए पूँजीगत खर्च के रूप में 5.54लाख करोड़ रूपये का प्राविधान किया गया है। जो पिछले वर्ष की तुलना में 34.5 प्रतिशत अधिक हें बजट में सभी प्रकार के ढांचागत विकास पर ध्यान दिया गया है। इनमें सड़के, रेलवे, हाइवे, इन्फ्रास्ट्रक्चर, बिजली, बंदरगाह व शिपिंग को प्रमुखतः शामिल किया गया है। आम बजट में रेलवे के लिए रिकार्ड 1.10 लाख करोड़ रूपये का आवण्टन किया गया है। इसमें 1.07 लाख करोड़ पूँजीगत व्यय के लिए होगा। रेलवे द्वारा माल की ढुलाई के लिए विशेष गलियारों (डेडिकेटेड कारिडोर) पर विशेष ध्यान दिया जायगा।

पोषण से जुड़ी समस्याओं को दूर करने में सहायता

ढांचागत विकास पर होने वाले व्यय से संपदा के सृजन के साथ-साथ आमजन के जीवन को आसान बनाने व औद्योगिक विकास को बढ़ावा मिलता है। ढांचागत विकास से रोजगार सृजन भी होता है। बजट के प्रस्तावों से बुनियादी ढ़ाँचे के वित्त पोषण से जुड़ी समस्याओं को दूर करने में सहायता करेगी।

किसानों की आय दुगनी

कृषि क्षेत्र पर बजट में बनियादी संरचना को सुदृढ़ करने के लिए और किसानो की आय दुगनी करने के लिए सरकार ने कृषि इन्फ्रास्ट्रक्चर फंड को 30 से 40 करोड़ रूपये करने, लघु सिचाई परियोजनाओं के लिए 10 हजार करोड़ रूपये की व्यवस्था की गयी है। बजट से स्पष्ट हे कि किसानों की उपज लागत से डेढ़ गुने अधिक एम.एस.पी. पर खरीदी जायेगी।

कृषि ऋण के लिए 16.5 लाख रूपये का प्राविधान

सरकार ने इस बजट में कृषि ऋण के लिए, वृद्धि करते हुये, 16.5 लाख रूपये का प्राविधान किया है। कुल मिलाकर, खेती, किसानी के लिए , बुनियादी ढ़ाँचे के लिए बजट में एक लाख करोड़ की व्यवस्था की गयी है। वस्तुतः, कृषि क्षेत्र पर ध्यान देने के कारण ही, कोरोना महामारी के दौर में भी, भारत में कृषि क्षेत्र में 3.4 प्रतिशत की दमदार विकास दर प्राप्त की। इसे और आगे बढ़ाने तथा बजट के केन्द्र में गाँव को रखने का प्रयास किया गया है। इस बजट में 1000 गाड़ियो की इलेक्ट्रानिक नेशनल एग्रीकल्चर मार्केट (ई0 नाम) से जोड़ा जायेगा।

शिक्षा के क्षेत्र में बदलाव

शिक्षा के क्षेत्र में, बदलाव की जमीन तैयार करने में, बजट में व्यवस्था की गयी है। राष्ट्रीय शिक्षा नीति को मंजूरी मिलने की महत्वपूर्ण कड़ी के रूप में एनसीईआरटी को 500 करोड़ रूपये दिये गये है। एनसीईआरटी पर फोकस इस लिए भी क्यों कि वर्ष 2022 से स्कूली बच्चों को नये पाठ्यक्रम से पढ़ाई कराई जानी है। मिड डे मील की राशि में करीब 500 करोड़ की वृद्धि की गयी है। इसमेें बच्चों को कुपोषण से बचाने में मदद मिलेगी। बजट में उच्च शिक्षा में गुणवत्ता की मजबूती देने की मुहिम तेज होगी। इसके साथ ही सभी उच्च शिक्षा संस्थानों को पीएम-ई-विद्या के जरिये आॅनलाइन शिक्षा से जोड़ने के लिए प्राविधान किये गये है।

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शिक्षा क्षेत्र में यह प्रस्ताव है कि 15000 स्कूलों को नई शिक्षा नीति के आलोक में मजबूत किया जायेगा, जो अन्य स्कूलों हेतु आदर्श होगा। 100 सैनिक विद्यालय खोलने के लिए गैर सरकारी संस्थाओं व निजी संगठनों के साथ जन भागीदारी के अनुरूप बनाया जायेगा। लेह में एक केन्द्रीय विश्वविद्यालय की स्थापना का प्रस्ताव है। 750 करोड़ रूपये से आदिवासी छात्रों के लिए आवासीय विद्यालय बनवाने की योजना है। इस बजट में इंजीनियरिंग, डिप्लोमा प्रशिक्षियों हेतु 3000 हजार करोड़ ंरूपये की व्यवस्था की गयी है। कुल मिलाकर शिक्षा क्षेत्र की महत्ता बजट में मानी गयी है।

रक्षा के क्षेत्र में इस बजट में तीनो सेनाओं के पूँजीगत आवंटन में पिछले बजट की तुलना में लगभग 19 प्रतिशत की बढोत्तरी की गयी है। यह वृद्धि रूस से एस-400 एयर डिफेन्स मिसाइल सिस्टम लडाकू विमानों तथा अन्य आधुनिक हथियारो की खरीद के लिए भी आवश्यक है। वर्तमान आर्थिक संकट के दौर में यह वृद्धि आशा का संचार करती है।

2022 तक प्रत्येक पात्र परिवार को घर उपलब्ध कराने का लक्ष्य

शहरी आबादी और शहरी जीवन के लिए इस बजट में लगभग साढे चार हजार शहरी निकायों के लिए 20000 बसों का प्रबन्ध किया जायेगा। करीब 3 लाख करोड़ की मदद से शहरों में लगभग 3 करोड़ घरों को नल से जल पहुँचाया जायेगा। लगभग 8500 किलोमीटर सड़को का निर्माण भारत माला कार्यक्रम के अन्तर्गत किया जायेगा।

करीब 11000 करोड़ रूपये सार्वजनिक परिवहन सेवाआंे पर खर्च होंगे। पर्यावरण मंत्रालय के लिए 2,869 करोड़ रूपये आवंटित किये गये है, यनि पर्यावरण मंत्रालय का बजट 42 प्रतिशत की वृद्धि की गयी है। सस्ते आवासो पर 1.50 लाख की छूट 1 वर्ष तक जारी रहेगी। वर्ष 2022 तक प्रत्येक पात्र परिवार को घर उपलब्ध कराने का लक्ष्य है। प्रधानमंत्री शहरी आवास योजना के लिए 18,000 करोड रूपये आवंटित किये गये है।

भारत का पहला पेपर लेस बजट

यह बजट एक अर्थ में विशिष्ट हैं कि यह भारत का पहला पेपर लेस बजट था। यानि इस वर्ष बजट की छपाई नहीं हुई है, एक मोबाइल एप के जरिये सभी को उपलब्ध कराया गया है। डिजिटल पेमेण्ट को बढावा देने के लिए 1500 करोड रूपये का प्रावधान है। उद्योग जगत को आशा है कि छोटे शहरों में भी इससे ई-पेमेण्ट को प्रोत्साहन मिलेगा। यह एक अत्यन्त स्वागत योग्य कदम है।

रिसर्च और इनोवेशन के लिए इतने करोड़

रिसर्च और इनोवेशन के लिए, इस बजट में 50,000 करोड व्यय करने का प्रावधान है। यह एक स्वागत योग्य कदम हैं। वस्तुतः 50 करोड का व्यय अगले 5 साल में किया जाना है अभी तक शोध व इनोवेशन पर जीडीपी का एक प्रतिशत से भी कम खर्च होती थी। वर्तमान समय में यह जीडीपी का केवल 0.7 प्रतिशत है। ऐसे में सरकार ने इस पर जीडीपी का 2 प्रतिशत खर्च करने की योजना बनाई है।

इनोवेशन के क्षेत्र में भारत अब वैश्विक रैकिंग में अब 48वें स्थान पर आ गया है। वर्ष 2015 में हम 81वें स्थान पर ही थे। शोध व इनोवेशन से जुड़ी हमारी प्रतिभाओं का पलायन रोकने में मदद मिलेगी। इस दशक में भारत टेक्नाॅलाँजी के विकास में छलांग लगाने को तैयार करने में इस बजट से मदद मिलेगी। वर्तमान कोरोना काल खण्ड के तुरन्त बाद, भारतीय अर्थ तन्त्र में नई जान फूकने के उद्देश्य से, जो बजट लाया गया है, उसकी पृष्ठ भूमि में यह महत्वपूर्ण है कि कोरोना काल में हमने डेढ़ गुना अधिक आनाज निर्यात किया है।

कृषि क्षेत्र में बम्पर पैदावार

कोरोना काल में भी कृषि क्षेत्र में बम्पर पैदावार हुई। अप्रैल 2020 से दिसम्बर 2020 के दौरान 49,832 करोड़ का अनाज निर्यात हुआ, जो पिछले वर्ष की इसी अवधि की तुलना में 52.81 प्रतिशत अधिक था। हमें यह भी नहीं भूलना चाहिए की इसी करोना काल में सरकार ने 80 करोड़ गरीबों को मुफ्त खाद्यान उपलब्ध कराया। फसल बीमा योजना से 9 करोड़ किसानो को लाभ मिला।

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कोरोना काल की विश्व व्यापी भयावह तसवीर के बावजूद आज भारत पर कुल कर्ज 554 अरब डालर है। जब कि हमारा विदेशी मुद्रा भण्डार 590 अरब डाॅलर है। यानि यह पिछले साल की तुलना में भारी सुधार है। वित्त राज्यमंत्री अनुराग ठाकुर ने 06 फरवरी 2021 को हैदराबाद में कहा था कि भारत आज कर्जदाता की भूमिका में आ गया है। उनके अनुसार, शुद्ध कर्जदाता होना ऐसी स्थिति को कहाँ जाता है, जब विदेशी मुद्रा भण्डार कुल विदेशी कर्ज से अधिक हो जाय।

जनवरी में देश का जीएसटी संग्रह 1.20 लाख करोड़ रूपये के आसपास

आज देश महामारी के बाद इकोनामी में वी0-शेप की रिकवरी देख रहा है, जो 4 महीनो के जी0एस0टी0 संग्रह से स्पष्ट है। जनवरी में देश का जी0एस0टी0 संग्रह 1.20 लाख करोड़ रूपये के आसपास रहा। इसमें अब कोई संदेह नहीं है कि देश ने आर्थिक मोर्चे पर अनुमान से कहीं अधिक तेज वापसी हुई है। राष्ट्र में कोविद-19 चक्र से राष्ट्र को काफी हद तक सुरक्षित रख सका है। विश्व की अनेक संस्थाओं ने भारत के बारे में यह अनुमान लगाया है कि अगले वर्ष भारत की विकास दर दहाई अंको की होगी।

कोरोना काल के बाद, बजट बनाना एक कठिन कार्य था, परन्तु कर दाताओं पर प्रत्यक्ष कर में कोई वृद्धि न करके और कोरोना सेस भी नहीं लगाया तथापि विकास दर बढने की सम्भावना राष्ट्र के विश्वास को जताता हैं। बजट, पूँजी के सृजन और बुनियादी ढाँचे पर केन्द्रित है। यह बजट स्वागत योग्य है।

-ओमप्रकाश मिश्र

पूर्व प्रवक्ता, अर्थशास्त्र विभाग

इलाहाबाद विश्वविद्यालय



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