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प्रवासी श्रमिकों के लिए फायदेमंद गरीब कल्याण रोजगार अभियान

प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी के नेतृत्व में सरकार लगातार कोरोना संकट से ग्रस्त श्रमिकों के कल्याण के लिए तथा उनको आत्मनिर्भर बनाने हेतु सक्रिय है।

Aradhya Tripathi
Published on: 23 Jun 2020 1:14 PM GMT
प्रवासी श्रमिकों के लिए फायदेमंद गरीब कल्याण रोजगार अभियान
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यूँ तो कोरोना संकट ने विकसित देशों के हौंसले पस्त कर दिये हैं। इनको आगे की राह नही सूझ रही है। भारत भी कोरोना संकट से जूझ रहा है। भारत ने कोरोना संकट की अनिष्चितता के बीच अपनी रणनीति को आकार और धार देना प्रारम्भ कर दिया था वह भी तब जब भारत में कोरोना संकट का आगाज पूरी तरह नहीं था। इसके लिए भारत सरकार ने दो माह से अधिक का पूरे देश में लॅाक डाउन लगाया जिससे देश भर के आर्थिक क्रिया कलाप एक दम से ठप हो गए। आवागमन के साधन भी बन्द हो गए। अत्याधिक जरूरी सेवाओं को छोडकर सब प्रकार की सामाजिक आर्थिक गतिविधियां ठप हो गईं थीं।

प्रवासी मजदूरों को लौटना पड़ा गृह राज्य

ऐसे वातावरण में घर से सैकड़ों-हजारों मील दूर नौकरी कर रहे श्रमिक या फिर छोटे स्तर पर स्वरोजगार में संलग्न लोग आय से वंचित हो गए। इनके पास आजीविका का साधन ठप हो गया। इनको वहां की कम्पनियों व सरकारों से भी कोई सहयोग न मिल पाने की वजह से इन श्रमिकों को हताशा में अपने मूल स्थान जीवन बचाने के लिए वापस आना पड़ा। यह श्रमिक मुख्यतया बिहार, उत्तर प्रदेष, मध्य प्रदेष, राजस्थान, उड़ीसा तथा झारखण्ड़ जैसे राज्यों में वापस लौटे। वैसे तो इन राज्यों की सरकारों ने अपने-अपने स्तर पर इस तरह के प्रवासी श्रमिकों को तात्कालिक राहत के लिए कई तरह की योजनाएं प्रारम्भ की हैं।

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इनमें राशन की मुफ्त व्यवस्था तो है ही, इसके साथ ही प्रति माह इनके खातों में कुछ धन भेजने का भी निर्णय किया गया है। साथ ही मनरेगा के तहत इनको रोजगार देकर आय के साधन भी उपलब्ध कराए गए हैं। उत्तर प्रदेश सरकार ने तो यह सब कार्य बहुत ही द्रुत गति से किया है ताकि लोग भूख व लाचारी का शिकार न हो सकें। साथ ही दीर्धकालीन रणनीति के अन्तर्गत रोजगार के सृजन से इनकी आजीविका को प्रदान करने की रणनीति पर भी व्यापक काम हो रहा है।

प्रधानमंत्री ने किया 'गरीब कल्याण रोजगार योजना' का शुभारंभ

केन्द्र सरकार ने भी इन प्रवासी मजदूरों तथा अन्य गरीबों के लिए प्रारम्भ से ही कई कदम उठाए हैं ताकि इनको भुखमरी व लाचारी की ज्वाला से बचाया जा सके। इससे कोरोना से जंग लड़ना सुगम हो जाएगा। इस कड़ी में भारत के प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी ने हाल ही में एक बड़ी पहल की है। उन्होनें प्रवासी श्रमिकों के छः प्रमुख राज्यों बिहार, उत्तर प्रदेश, मध्य प्रदेश, राजस्थान, उड़ीसा तथा झारखण्ड़ के 116 जिलों में ’गरीब कल्याण रोजगार योजना’ का शुभारम्भ् 20 जून 2020 को किया।

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इन छः राज्यों के 116 जिलों में लगभग 67 लाख प्रवासी श्रमिक हैं। इनमें से बिहार के 32 जिले, उत्तर प्रदेश के 31 जिले, मध्य प्रदेश के 24 जिले, राजस्थान के 22 जिले, उड़ीसा के 4 जिले तथा झारखण्ड़ के 3 जिले शामिल हैं। इन 116 जिलों में 27 जिले ऐसे हैं जो कि नीति आयोग के अनुसार अति पिछड़े अथवा महत्वाकांक्षी जिलों की श्रेणी में आते हैं। दरअसल इन जिलों का चयन बहुत कुशलता से किया गया है।

125 दिन में सरकार लाएगी 25 नई योजनाएं- वित्त मंत्री

वित्त मंत्री निर्मला सीतारमण के अनुसार गरीब कल्याण रोजगार अभियान के अन्तर्गत 125 दिनों में सरकार की करीब 25 योजनाओं को एक साथ लाया जाएगा। इन 25 योजनाओं में जिसको भी काम की जरूरत होगी उसको काम देने की योजना है। इस प्रकार कामगारों की कुशलता के अनुसार उनको कार्य मिल सकेगा। इसके लिए केन्द्र सरकार के लगभग एक दर्जन विभाग इस अभियान में शामिल होगें। इस तरह की योजनाओं के द्वारा व्यापक स्तर पर प्रवासी श्रमिकों की कुशलता के आधार पर रोजगार उपलब्ध कराने के लिए 50,000 करोड़ रुपए की राशि की व्यवस्था की गई है। इस प्रकार लाखों कुशल श्रमिकों को रोजगार मिल सकेगा।

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यह दरअसल आत्मनिर्भर भारत अभियान का ही एक हिस्सा है जो लोगों को अपने पैरों पर खड़ा करने में मील का पत्थर साबित होगा। दरअसल जिन जिलों का चयन किया गया है वहां पर 25,000 प्रवासी श्रमिक व उससे अधिक हैं। इस योजना की अवधि 125 दिनों की है। इस प्रकार यदि 50,000 करोड़ की इतनी बड़ी धनराषि का निवेष बेहतर तरीके से किया जाए तो काफी बेहतर परिणाम प्राप्त हो सकते हैं। राज्य सरकारों को चाहिए की वे अपनी रणनीतियों को इनके साथ जोड़ दें ताकि परिणाम हमेशा के लिए उत्साहवर्द्धक हो सकते हैं। इस ओर राज्यों को विषेष ध्यान देना होगा।

केंद्र व राज्य सरकार कोरोना संकट से निपटने में प्रयत्नशील

उत्तर प्रदेश के जिन 31 जिलों को इस गरीब कल्याण रोजगार अभियान के अन्तर्गत शामिल किया गया है, उनमें 3 जिले ऐसे हैं जो नीति आयोग के अनुसार महत्वाकांक्षी जिले हैं जो अति पिछड़े की श्रेणी में आते हैं। इन 31 जिलों में 2 जिले बुन्देलखण्ड के हैं जबकि पश्चिम लगभग नही है। शेष जिले पूर्वी उत्तर प्रदेश तथा सेन्ट्रल उत्तर प्रदेश के हैं। ऐसे में राज्य सरकार के सामने एक ऐसा अवसर है कि वह केन्द्र के साथ तालमेल बिठाकर इन पिछड़े क्षेत्रों में नई आर्थिक रणनीति से बेहतर आर्थिक परिणाम प्राप्त कर सकती है। योगी सरकार इस दिशा में काम भी कर रही है।

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इस प्रकार हम देखते हैं कि प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी के नेतृत्व में सरकार लगातार कोरोना संकट से ग्रस्त श्रमिकों के कल्याण के लिए तथा उनको आत्मनिर्भर बनाने हेतु सक्रिय है। इसी प्रकार उत्तर प्रदेश में भी योगी सरकार लगातार प्रयत्नशील है कि किस प्रकार कोरोना संकट को अवसर में बदला जाए। इसके लिए गरीब किसानों, प्रवासी श्रमिकों तथा मजदूरों आदि को सशक्त व आत्मनिर्भर बनाने का कार्य चल रहा है। इसी कड़ी में गरीब कल्याण रोजगार अभियान काफी अहम् भूमिका निभा सकेगा।

Aradhya Tripathi

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