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राम जन्मभूमि मंदिर भूमिपूजनः मुहूर्त विवाद नाहक, राम नाम से कट जाते हैं संकट

आज़ादी के 73 सालों बाद कोई प्रधानमंत्री मंदिर के शिलान्यास के लिए तैयार होने की लोकतांत्रिक शक्ति जुटा पाया है। यह भी कम शुभ नहीं है। फिर अशुभ शुभ क्यों हमारे यहाँ कहा गया है शुभ लाभ। पर जो लोग अशुभ की बात कर रहे हैं लगता है वे सब के सब सिर्फ़ शुद्ध लाभ (नेट प्राफिट) की बात करने वाली जमात के हैं।

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Published on: 27 July 2020 3:53 PM IST
राम जन्मभूमि मंदिर भूमिपूजनः मुहूर्त विवाद नाहक, राम नाम से कट जाते हैं संकट
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योगेश मिश्र

पाँच अगस्त को प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी द्वारा अयोध्या में राम मंदिर के गर्भ गृह के भूमि पूजन को लेकर विवाद खड़ा कर दिया गया है। शुभ अशुभ की बात कही जा रही है। इस तिथि को लेकर ज्योतिषियों व विद्वानों में मतभेद हैं। बहुत से विद्वान इस तिथि को शुभ नहीं मानते।

कुछ विद्वानों और ज्योतिषाचार्यों का कहना है कि मन्दिर के लिए 5 अगस्त, 2020 दिन मे 12 बजकर 15 मिनट 15 सेकेंड से 12 बजकर 15 मिनट 47 सेकेंड का जो मुहूर्त निकाला गया है वह सही नहीं। इनमें काशी के कुछ विद्वानों के साथ ही साथ द्वारिका पीठाधीश्वर शंकराचार्य स्वामी स्वरुपानंद सरस्वती व शुमेरुपीठ के पीठाधीश्वर स्वामी नरेंद्रानंद सरस्वती भी हैं।

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इन्होंने भी भूमि पूजन के मुहूर्त पर सवाल उठाए हैं। उन्होंने कहा कि पंचांग की गणना के अनुसार पांच अगस्त को भूमि पूजन का मुहूर्त नहीं है। उन के मुताबिक़ प्रस्तावित भूमि पूजन शास्त्र सम्मत नहीं है।

लेकिन कुछ विद्वानों का मानना है कि जिस दिन भूमि पूजन का पवित्र मुहूर्त निकाला गया है। उस दिन अभिजीत मुहूर्त मिल रहा है। जिसमें कोई भी शुभ काम किया जा सकता है। अभिजीत मुहूर्त में किया गया कार्य कभी अशुभ नही होता। यह मुहूर्त इतना शुभ है कि भगवान श्रीराम ने जब पृथ्वी पर अवतार लिया था उस समय अभिजित मुहूर्त ही था। अभिजीत मुहूर्त ख़ुद प्रभु श्रीराम को प्रिय है।

रामचरितमानस मे तुलसी दास जी लिखते हैं।

ज़ोग लगन ग्रह बार तिथि सकल भये अनुकूल।

चर अरू अचर हर्षजुत राम जन्म सुखमूल।

“ नौमी तिथि मधुमास पुनीता।

सुकल पच्छ अभिजित हरिप्रीता ।।

मध्य दिवस अति सीत न घामा ।

पावन काल लोक विश्रामा ।।

जिस शुभ मुहूर्त में प्रभु ने अवतार लिया वह समय अशुभ कैसे हो सकता है।

रामचरितमानस और वाल्मीकि रामायण मे अभिजित मुहूर्त का बड़ा महत्व बताया गया है ।

जब भगवान राम के चारों भाईयों के साथ पहली बार शिक्षा हेतु गुरूकुल जाने के लिए घर से निकले उस समय भी अभिजित मुहूर्त था। प्रभु श्रीराम के जीवन काल में यह मुहूर्त बहुत ही शुभ रहा है।

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दूसरी बात की जब किसी कार्य का शुभारंभ राजा के हाथों किया जाए तो मुहूर्त कोई भी हो वह शुभ माना जाता है। क्योंकि राजा ईश्वर के समान होता है। यह शिलान्यास प्रधान मंत्री नरेन्द्र भाई दामोदर दास मोदी के हाथों रखा जा रहा है। जो देश के लोकतांत्रिक राजा हैं।

यही नहीं बहुत से विद्वानों का मानना है कि इस दिन दुर्लभ संधिकरण योग का मुहूर्त मिलता है। जो भूमि पूजन के लिए ठीक है। अधिकांश विद्वान यह मानते हैं कि जिस भगवान राम के नाम से बड़ी से बड़ी बाधा कट जाती है। उसके लिए सभी मुहूर्त शुभ हैं।

भद्राकाल फला मोदी को

नरेंद्र मोदी ने वाराणसी से चुनाव के लिए जिस समय के दौरान पहली बार नामजदगी का पर्चा भरा था। उसे भी काशी के पंडितों ने भद्रा काल कहा था। लेकिन इसके बाद भी वह नाबाद दूसरी पारी खेल रहे हैं। देश में उनकी लोकप्रियता के ग्राफ़ के बराबर कोई नेता नहीं है।

यहीं नहीं, त्रेता काल में जब मुनि वशिष्ठ से राम के राज्याभिषेक के लिए मुहूर्त के बारे में पूछा गया तब उन्होंने कहा कि शुभ अशुभ सब भगवान राम से प्रकाशित होते हैं। राम का जिस दिन राज्याभिषेक होगा वह शुभ दिन बन जायेगा। ऐसे ही जिस भी दिन राम मंदिर का शिलान्यास होगा वहीं दिन शुभ हो जायेगा।

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मोदी अभी तक वह अयोध्या नहीं गये। पहली बार अयोध्या पहुँचेंगे तो मंदिर की सौग़ात लेकर। उस राम मंदिर की सौग़ात लेकर जो भारतीय जनता पार्टी के घोषणा पत्र का हिस्सा रहा है।

1989 में हिमाचल के पालमपुर अधिवेशन में राम मंदिर पर प्रस्ताव पास हुआ।जो राष्ट्रीय स्वयंसेवक संघ के लिए सांस्कृतिक राष्ट्रवाद का विषय रहा है। जो आज़ादी के बाद से भारतीय समाज व राजनीति के सबसे ज्वलंत मुद्दे के तौर पर रहा है।

इसके चलते भाजपा ने राजनीतिक नुक़सान व फ़ायदा दोनों झेला है। तमाम अवरोधों से निपटने के बाद जब मंदिर का सपना साकार होने का समय आया तब कुछ मुट्ठी भर लोग मुहूर्त को लेकर सवाल खड़ा करने में जुट गये हैं।

500 साल इंतजार

हालाँकि आज़ादी के समय से चल रही लंबी अदालती लड़ाई के बाद यह अवसर मिल रहा है। यहाँ तक पहुँचने के लिए राम और मीर बाक़ी को बराबर करने वाली ताक़तों से पाँच सौ साल लोहा लेना पड़ा है। राम की अयोध्या है इसका प्रमाण देना पड़ा है।

वह भी तब जब राम भारतीय जन मानस के आदर्श हैं। भारतीय संस्कृति के प्रतीक हैं। आज़ादी की लड़ाई में हमारा लक्ष्य ही राम राज्य की स्थापना करना था। हमारा सुराज, हमारी स्वतंत्रता राम राज्य के लिए थक हार कर 1986 में तीस अक्टूबर से अशोक सिंहल की अगुवाई में मंदिर आंदोलन लगातार चलाना पड़ा।

अनगिनत लोग इस लंबी चली प्रक्रिया में काल कवलित हो गये। हिंदुओं को लंबे समय तक हिंदुस्तान में तिरस्कार के भाव में जीना पड़ा। धर्म निरपेक्षता व सांप्रदायिक की स्वहितपोषी परिभाषा गढ़ी गयी। सेकुलर शब्द बेमानी बना दिया गया।

द्रविड़ के मुहूर्त को चुनौती मुमकिन नहीं

नरेंद्रानंद सरस्वती ने कहा कि 5 नवंबर, 1990 को विश्व हिंदू परिषद, राष्ट्रीय स्वयं सेवक संघ और बीजेपी के शीर्ष नेताओं की मौजूदगी में अयोध्या में मंदिर का भूमि पूजन और शिलान्यास का कार्य पूर्ण हो चुका है। लेकिन काशी के प्रख्यात ज्योतिषाचार्य गणेश्वर शास्त्री द्रविड़ ने भूमि पूजन का मुहूर्त निकाला है। उनकी विद्वता भी कम नहीं है। उसे भी चुनौती नहीं दी जा सकती है।

उन्होंने मंदिर के भूमि पूजन के लिए अभिजीत मुहूर्त निकाला है। जो 12 बजकर 15 मिनट 15 सेकेंड से शुरू होगा। 32 सेकेंड तक रहेगा। इसी बीच प्रधानमंत्री को भूमि पूजन की ईंट रखनी होगी। हालाँकि पूजन पाठ सुबह आठ बजे से शुरू हो जायेगा।

राम भक्तों ने ३४ किलो की तीस चाँदी की ईंटें दान में पहले से दे रखी है। एक शंकराचार्य ने भूमि पूजन किसी धर्माचार्य द्वारा कराने की बात कही है। पर ऐसा कहने व सोचने वालों को यह नहीं भूलना चाहिए कि नरेंद्र मोदी प्रधानमंत्री नहीं होते तो यह फ़ैसला इतनी जल्दी नहीं आता। जिसका काम। उसका नाम।

दावा ये भी है

कर्नाटक के बेलागावी कस्बे में रहने वाले हिंदू पुजारी एन आर विजेंद्र शर्मा ने दावा किया है कि उन्होंने अयोध्या में राम मंदिर शिलान्यास के लिए चार अन्य मुहूर्त भी निकाले थे। 75 साल के शर्मा ने दावा किया है कि उन्होंने सभी पांच मुहूर्त की पूरी जानकारी प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी तक भेजी थी। जिसमें से 5 अगस्त वाले मुहूर्त को प्रधानमंत्री ने चुना है।

बेलगावी के विद्या विहार विद्यालय में कुलपति श्री शर्मा ने बताया कि उन्होंने 29 जुलाई को 9:00 बजे सुबह 31 जुलाई को 7:00 बजे सुबह और 9:00 बजे सुबह के साथ ही 3 अगस्त को सुबह 10:00 बजे के बाद का मुहूर्त निकाला था।

हरिद्वार के भारत माता मंदिर के पुजारी स्वामी गोविंद देव गिरी जी महाराज का प्रधानमंत्री से निकट का संबंध है प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने स्वामी गोविंद देव गिरी जी महाराज से मुहूर्त के बारे में अनुरोध किया था उन्हें राम जन्मभूमि न्यास का सदस्य भी बनाया गया है।

विजेंद्र शर्मा का दावा है कि स्वामी जी महाराज ने इस बारे में उनसे संपर्क स्थापित किया जिसके बाद उन्होंने सभी पांच मुहूर्त की जानकारी उनको दी। उन्होंने बताया कि इस बारे में सारी बातचीत महाराज जी के जरिए ही हुई प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी से उनका कोई सीधा संपर्क नहीं है।

पीछे क्यों हटे कोई

यह तो आदि काल से चला आ रहा है। और राम काज करने से कोई पीछे क्यूं हटेगा। किसी को अवसर मिलने पर पीछे क्यूं हटना चाहिए। हर काम को विवाद में घसीटने की प्रकृति व प्रवृत्ति से बचना चाहिए। धर्म को विवाद का विषय नहीं बनाना चाहिए। यह सब नहीं करने की वजह से रामजन्म भूमि ही नहीं कृष्ण जन्म भूमि तक को लुटेरों ने निशाना बनाया।

सोमनाथ मंदिर लूटा। काशी विश्वनाथ व मथुरा में लूट पाट की निशानी अभी भी देखी जा सकती है। साफ़ दिखती है। हम अपने शक्ति स्थलों को आज़ाद नहीं करा पाये। हमारे यहाँ मुट्ठी भर इतिहासकारों ने अकबर को महान भले मान लिया हो पर ये सब काल हमारी ग़ुलामी के ही थे।

जब सोमनाथ मंदिर का जीर्णोद्धार किया जा रहा था तब प्रधानमंत्री जवाहर लाल नेहरु ने कार्यक्रम में शरीक होने से मना कर दिया। उस समय के राष्ट्रपति डॉ. राजेंद्र प्रसाद नेहरू के न चाहने के बाद अभी शरीक हुए।

आज़ादी के 73 सालों बाद कोई प्रधानमंत्री मंदिर के शिलान्यास के लिए तैयार होने की लोकतांत्रिक शक्ति जुटा पाया है। यह भी कम शुभ नहीं है। फिर अशुभ शुभ क्यों हमारे यहाँ कहा गया है शुभ लाभ। पर जो लोग अशुभ की बात कर रहे हैं लगता है वे सब के सब सिर्फ़ शुद्ध लाभ (नेट प्राफिट) की बात करने वाली जमात के हैं।

योगेश मिश्र

(लेखक वरिष्ठ पत्रकार व न्यूजट्रैक के संपादक हैं।)

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