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हजारों साल पहले ऋषि मुनियों ने कहा जल प्रलय आएगी, हम आज तक न समझे

इस सम्मेलन को कॉन्फ्रेंस ऑफ पार्टीज (कोप) नाम दिया गया। 1995 में पहला कोप सम्मेलन आयोजित किया गया। 1995 से 2018 तक कुल 24 कॉन्फ्रेंस ऑफ पार्टीज आयोजित किये जा चुके हैं।

Shivakant Shukla
Published on: 31 May 2023 1:34 PM IST
हजारों साल पहले ऋषि मुनियों ने कहा जल प्रलय आएगी, हम आज तक न समझे
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रामकृष्ण वाजपेयी

धरती की कोख जल रही है। अगर ऐसा है तो इसमें कोई संदेह नहीं कि वह आग ही प्रसव करेगी। ऊपर से आकाश का सीना भी जल रहा है। यानी ऊपर से भी आग का बारिश होनी है। ऐसे में धरती पर रहने वाले इंसान का क्या होगा इसकी सिर्फ कल्पना ही की जा सकती है।

मोटे तौर पर आज धरती का जो तापमान है यदि इसमें दो-तीन डिग्री सेल्सियस भी बढ़ता है तो भारी तबाही तय है। तेजी से गर्म हो रही धरती को लेकर हम अभी तक सतर्क नहीं हुए हैं। धरती को गर्म करने वाली गैसों का उत्सर्जन लगातार जारी है। ग्लेशियर तेजी से पिघल रहे हैं। समुद्र का जलस्तर बढ़ रहा है।

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इस दिशा में ठोस उपायों के प्रति कोई गंभीर नहीं

एक दशक पहले तक समुद्र का जलस्तर बढ़ने की जोर रफ्तार थी अब वह उससे दोगुनी तेजी से बढ़ रहा है। इससे बचने के लिए हमारे पास उपाय के नाम पर सिर्फ जुबानी जुमले हैं। इस दिशा में ठोस उपायों के प्रति कोई गंभीर नहीं है। सोमवार से ही जलवायु परिवर्तन पर विशेष सम्मेलन शुरू हो रहा है। खास बात यह है कि इस सम्मेलन में बोलने की अनुमति उन्हीं देशों को मिलेगी जो सकारात्मक योजना के साथ आएंगे। जलवायु परिवर्तन से निपटने का ब्राजील, पोलैंड और सऊदी अरब का प्रस्ताव नाकाम हो गया है, इसलिए वे सम्मेलन के कार्यक्रम में शामिल नहीं हो पा रहे हैं।

विश्व मौसम विज्ञान संगठन (डब्ल्यूएमओ) की एक रिपोर्ट में कहा गया है कि पिछले पाँच साल अब तक रिकॉर्ड में दर्ज सबसे गर्म साल रहे, यानी 2014 से 2019 के बीच रिकॉर्ड गर्मी रही। इसमें पिछले कई बरसों के दौरान ग्लोबल वॉर्मिंग, समुद्र स्तर में वृद्धि और कार्बन प्रदूषण के बढ़ने का जिक्र किया गया है।

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समस्या विस्फोटक हालात में पहुंच गई

वास्तव में जलवायु परिवर्तन किसी एक देश या दुनिया के किसी खास हिस्से की समस्या नहीं है। यह सभी की समस्‍या है और इस समस्‍या के लिए जिम्मेदार हम खुद हैं। इसके अलावा इसका निदान भी हमें ही निकालना है। अभी तक इस गंभीर विषय पर जितनी भी बातचीत हुई हैं। उनमें किसी का भी नतीजा संतोषजनक नहीं रहा है। इसी के चलते समस्या आज विस्फोटक हालात में पहुंच गई है।

संयुक्त राष्ट्र महासचिव एंतोनियो गुतारेस चाहते हैं कि 2050 तक सभी राष्ट्र 'कार्बन न्यूट्रल' हो जाएं। उनके मुताबिक जलवायु परिवर्तन की समस्या से तत्काल निपटे जाने की जरूरत है क्योंकि यह हमारे समय का अहम विषय है।

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जलवायु परिवर्तन को लेकर विश्व ने सोचना शुरू किया

वास्तव में इस विषय पर आगे बढ़ने से पहले हमें यह जान लेना चाहिए कि जलवायु परिवर्तन पर पूरी दुनिया ने एकजुट होकर सोचना कब शुरू किया। मोटे तौर पर दूसरे विश्व युद्ध के बाद जलवायु परिवर्तन को लेकर विश्व ने सोचना शुरू किया और इस पर चर्चाएँ प्रारंभ हुईं। 1972 में स्वीडन की राजधानी स्टॉकहोम में पहला सम्मेलन आयोजित किया गया। तय हुआ कि प्रत्येक देश जलवायु परिवर्तन से निपटने के लिए घरेलू नियम बनाएगा। इस आशय की पु्ष्टि हेतु 1972 में ही संयुक्त राष्ट्र पर्यावरण कार्यक्रम का गठन किया गया तथा नैरोबी को इसका मुख्यालय बनाया गया।

इस स्टॉकहोम सम्मेलन के 20 साल बाद ब्राजील के रियो डि जेनेरियो में विभिन्न देशों के प्रतिनिधि एकत्रित हुए तथा जलवायु परिवर्तन संबंधित कार्ययोजना के भविष्य की दिशा पर पुनः चर्चा आरंभ की गई। इस सम्मेलन को रियो सम्मेलन तथा एजेण्डा २१ आदि नामों से भी जाना जाता है। रियो में यह तय किया गया कि सदस्य राष्ट्र प्रत्येक वर्ष एक सम्मेलन में एकत्रित होंगे तथा जलवायु संबंधित चिंताओं और कार्ययोजनाओं पर चर्चा करेंगें।

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इस सम्मेलन को कॉन्फ्रेंस ऑफ पार्टीज (कोप) नाम दिया गया। 1995 में पहला कोप सम्मेलन आयोजित किया गया। 1995 से 2018 तक कुल 24 कॉन्फ्रेंस ऑफ पार्टीज आयोजित किये जा चुके हैं। लेकिन नतीजा कोई नहीं निकल सका है। सिवाय जुबानी जमा खर्च के। विभिन्न देशों की सहभागिता होती है लंबे चौड़े वादे किये जाते हैं इसके बाद सब कुछ पुनः जीरो हो जाता है।

जलवायु परिवर्तन पर शिखर सम्‍मेलन आयोजित हो रहे हैं

लेकिन इस बार मामला कुछ अलग है जलवायु कार्रवाई और एक मजबूत योजना तैयार करने के लिए संयुक्‍त राष्‍ट्र महासचिव एंतोनियो गुटेरेश जलवायु परिवर्तन शिखर सम्‍मेलन आयोजित कर रहे हैं। इस सम्मेलन में देशों को 2020 तक अपनी राष्‍ट्रीय जलवायु योजनाएं तय कर लेनी हैं, उससे पहले इस शिखर सम्‍मेलन में उत्‍सर्जन सीमित करने और शक्ति बढ़ाने के व्‍यावहारिक प्रयासों पर ध्‍यान दिया जाएगा।

शिखर सम्‍मेलन में सारा ध्‍यान छह क्षेत्रों में कार्रवाई पर लगाया जाएगा। इसमें प्रमुख हैं धीरे-धीरे नवीकरणीय ऊर्जा अपनाना, जलवायु कार्रवाई के लिए धन जुटाना और कार्बन प्राइसिंग, उद्योगों से उत्‍सर्जन कम करना, प्रकृति को समाधान बनाना, संवहनीय शहर एवं स्‍थानीय कार्रवाई और जलवायु परिवर्तन को सहने की शक्ति तैयार करना।

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Shivakant Shukla

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