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G-20 Summit- भारत को प्रतिष्ठा में लगेंगे चार चांद

G-20 Summit: अमेरिकी राष्ट्रपति जो बाइडन, चीन के राष्ट्रपति शी चिनफिंग, रूस के राष्ट्रपति व्लादिमीर पुतिन समेत जी- 20 देशों के बीस राष्ट्राध्यक्ष एक साथ राजधानी नई दिल्ली में आ रहे हैं। प्रधानमंत्री मोदी जी-20 के प्रमुख की हैसियत से बांग्लादेश, मिस्र, मॉरीशस, नीदरलैंड, नाइजीरिया, ओमान, सिंगापुर, स्पेन और यूएई आदि मित्र देशों को अतिथि देशों के रूप में आमंत्रित कर सकते हैं ।

RK Sinha
Published on: 27 July 2023 2:41 PM GMT
G-20 Summit- भारत को प्रतिष्ठा में लगेंगे चार चांद
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rk sinha article on G-20 Summit (Photo-Social Media)

G-20 Summit: अब जी-20 शिखर सम्मेलन के मुख्य आयोजन में दो महीने से भी कम वक्त बचा हुआ है। प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी द्वारा प्रगति मैदान में पुनर्विकसित अंतरराष्ट्रीय प्रदर्शनी-सह-सम्मेलन केंद्र (आईईसीसी) के उदघाटन करने के साथ ही अब साफ हो गया है कि शिखर सम्मेलन के लिए भारत तैयार है। अमेरिकी राष्ट्रपति जो बाइडन, चीन के राष्ट्रपति शी चिनफिंग, रूस के राष्ट्रपति व्लादिमीर पुतिन समेत जी- 20 देशों के बीस राष्ट्राध्यक्ष एक साथ राजधानी नई दिल्ली में आ रहे हैं। प्रधानमंत्री मोदी जी-20 के प्रमुख की हैसियत से बांग्लादेश, मिस्र, मॉरीशस, नीदरलैंड, नाइजीरिया, ओमान, सिंगापुर, स्पेन और यूएई आदि मित्र देशों को अतिथि देशों के रूप में आमंत्रित कर सकते हैं । तो अब यह बहुत साफ हो गया है कि नई दिल्ली में होने वाला जी-20 शिखर सम्मेलन अब तक का सबसे विशाल सम्मेलन होगा।

इसके साथ ही कहा जा सकता है कि 1956 से तमाम शिखर सम्मेलनों और अहम कार्यक्रमों की मेजबानी करने वाले विज्ञान भवन को अब कुछ ‘आराम’ मिलेगा। इसी में 1983 में गुट निरपेक्ष सम्मेलन हुआ था। उस शिखर सम्मेलन को आयोजित हुए अब चार दशक पूरे हो रहे हैं। इस दौरान भारत पूरी तरह बदल चुका है। अब भारत विश्व की एक बड़ी आर्थिक शक्ति बन चुका है। कुछ समय पहले भारत ब्रिटेन को पछाड़कर विश्व की पाँचवीं सबसे बड़ी अर्थव्यवस्था बन गया है। अब संयुक्त राज्य अमेरिका, चीन, जापान और जर्मनी की ही अर्थव्यवस्था आज के दिन भारत से बड़ी है। हमारी प्रगति की रफ़्तार को देखकर यह कहा जा सकता है कि हम जल्दी ही जापान और जर्मनी को भी मात दे देंगे। यानी 1983 और 2023 वाला भारत बहुत ही अलग है। भारत की दुनिया में इस वक्त जो साख है, उसे देखकर यह कह सकते हैं, कि उसी के अनुरूप का सम्मलेन का मेन कॉम्पलेक्स जी-20 के लिए तैयार किया गया है।

महत्वपूर्ण है कि लगभग 123 एकड़ क्षेत्र में फैले आईईसीसी कॉम्प्लेक्स को भारत के सबसे बड़े एमआईसीई (बैठकें, प्रोत्साहन, सम्मेलन और प्रदर्शनियां) गंतव्य के रूप में विकसित किया गया है। ये दुनिया के शीर्ष प्रदर्शनी और सम्मेलन परिसरों में जल्द ही अपनी जगह बना लेगा। भारत को पिछले साल 1 दिसंबर को जी-20 की अध्यक्षता मिली थी। भारत आगामी 30 नवंबर, 2023 तक इस मंच की अध्यक्षता करेगा। भारत को जैसे ही जी-20 की अध्यक्षता मिली, तब ही से देशभर में बैठकों और छोटे सम्मेलनों के दौर शुरू गए। ये बैठकें राजधानी दिल्ली के अलावा देश के अन्य प्रमुख शहरों और पर्यटन स्थलों पर हुईं। इनमें करीब 200 बैठकें हुईं जिनमें जी-20 देशों के नुमाइंदों ने भाग लिया। भारत की जी-20 की अध्यक्षता कई मायनों में ऐतिहासिक होने जा रही है। ऐसा इसलिए है, क्योंकि भारत ने महज बैठकों का संचालन कर इतिश्री नहीं की है, बल्कि उसने बैठकों से इतर अन्य कई गतिविधियों पर भी जोर दिया है। हम जानते हैं कि विविधताओं से भरे हमारे देश के हर राज्य की अपनी एक आभा है, अपना एक सौंदर्य है, अपनी एक संस्कृति हैऔर अपना खास खानपान है। भारत ने इसी विविधता को बड़ी खूबसूरती से विश्व के समक्ष प्रस्तुत किया है। अभी तक जिस भी राज्य या शहर में जी20 से जुड़ी बैठकें आयोजित हुई है, वहां जरूरी विषयों पर विचार-विमर्श से इतरविदेशी मेहमानों को स्थानीय भ्रमण कराते हुए हमारी प्राचीन वास्तुकला का अनुभव भी कराया गया है। इसके अलावा बैठक स्थलों पर नुमाइंदों को स्थानीय सभ्यता एवं संस्कृति की झलक दिखाने के लिए स्थानीय सांस्कृतिक कार्यक्रमों का आयोजन भी हुआ है।

भारत ने विश्व स्तर पर अपनी प्राचीन और समृद्ध संस्कृति को प्रदर्शित करने के लिए जी-20 की मेजबानी को बेहतरीन तरीके से भुनाया है। जी-20 देशों के प्रतिनिधि बैठकों के लिए देश के जिस भी हिस्से का दौरा करते हैं, उन्हें स्थानीय व्यंजन परोसे जाते हैं। अतिथि देवो भवः की भावना से ओत-प्रोत भारत की मेहमान नवाजी हमेशा के लिए विदेशी मेहमानों के दिल में बस गई है। ऐसे कई मौके आए हैं, जब भारतीय और विदेशी मीडिया ने जी20 प्रतिनिधियों से उनका अनुभव जानने का प्रयास किया है तो उनका स्पष्ट शब्दों में यही जवाब रहा है कि उन्होंने भारत जैसी मेहमाननवाजी कहीं नहीं देखी। कुल मिलाकर भारत ने अपनी मेजबानी को ऐतिहासिक बनाने का कोई भी मौका नहीं गंवाया है।

यह याद रखा जाए कि भारत के लिए इस बड़े अंतरराष्ट्रीय मंच की अध्यक्षता का सबसे महत्वपूर्ण पहलू यह रहा है कि हमारे देश में हुई सभी महत्वपूर्ण जी-20 बैठकों के ठोस नतीजे निकले हैं, जिनसे जी20 की साझा प्राथमिकताओं पर आम सहमति को बढ़ावा मिला है। आने वाली पीढ़ियों के लिए एक बेहतर भविष्य और वैश्विक समावेशी विकास की दिशा में भारत के प्रयास रंग लाए हैं और उसकी कई सिफारिशों पर सदस्यों देशों के बीच आम सहमति बनी है। इसे कई उदाहरणों से समझा जा सकता है, जैसे जी-20 सदस्यों ने जीवाश्म ईंधन की खपत में कटौती करके अगले 10 वर्षों में होने वाले तकनीकी नवाचारों को

साझा करने पर सहमति व्यक्त की है। विदेश मंत्रियों की बैठक में बहुपक्षीय सुधारों, विकास सहयोग, खाद्य और ऊर्जा सुरक्षा, आतंकवाद का मुकाबला, नए उभरते खतरों, वैश्विक कौशल मैपिंग और आपदा जोखिम में कमी लाने पर सहमति बनी है। इसके अलावा साझा प्राथमिकताओं में बहुपक्षीय विकास बैंकों में सुधार और ऋण उपायों पर एक विशेषज्ञ समूह की स्थापना शामिल है।

एक बार फिर चर्चा विज्ञान भवन की। विज्ञान भवन की दशकों तक पहचान बड़े अहम सरकारी सम्मेलनों, समारोहों और अन्य कार्यक्रमों के आयोजन स्थल के रूप में ही होती रही है। स्वतंत्रता मिलने के बाद पहली पहली बार 1956 में भारत मेजबानी कर रह था

यूनेस्को सम्मेलन की। इसकी 1955 में मेजबानी भारत को मिलने के बाद भारत सरकार ने विज्ञान भवन का निर्माण करवाया था। विज्ञान भवन का डिजाइन तैयार किया था प्रसिद्ध आर्किटेक्ट आर.ए.गहलोते ने। वे सीपीडब्ल्यूडी से जुड़े थे। उन्होंने ही कृषि भवन और उद्योग भवन का भी डिजाइन तैयार किया था। यहीं पर 1983 का निर्गुट सम्मेलन हुआ था। उसमें सौ देशों के राष्ट्रपति और प्रधानमंत्री पधारे थे। इसमें लंबे समय तक प्रवासी भारतीय दिवस सम्मेलन भी हुए। पर कुछ साल पहले यहां पर सरकार ने आसियान सम्मेलन का आयोजन न करके संदेश दे दिया था कि विज्ञान भवन का स्वर्णिम युग निकल चुका है।

बहरहाल, आगामी जी-20 शिखर सम्मेलन अगले कई दशकों तक याद रखा जाएगा और इससे भारत की विश्व में प्रतिष्ठा में चार चांद लगेंगे।

RK Sinha

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