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Road Accident: मौत के मुँह में समाते युवा, दुर्घटना से देर भली

Road Accident:एक दशक में भारत में सड़क हादसों में 14 लाख से अधिक लोगों की मृत्यु हो चुकी है। जबकि इससे चार गुना से अधिक लगभग 60 लाख से अधिक लोग घायल हुए हैं।

Ramkrishna Vajpei
Published on: 20 May 2023 9:01 PM IST
Road Accident: मौत के मुँह में समाते युवा, दुर्घटना से देर भली
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Road Accident: Photo: social media

Road Accident: देश के 62 लाख किलोमीटर लंबे सड़कों के नेटवर्क में सुरक्षित यात्रा आज एक चुनौती बन गई है। सड़क हादसों में अमेरिका और चीन से आगे निकल गया है भारत। सेव लाइफ फाउंडेशन की एक रिपोर्ट के मुताबिक बीते एक दशक में भारत में सड़क हादसों में 14 लाख से अधिक लोगों की मृत्यु हो चुकी है। जबकि इससे चार गुना से अधिक लगभग 60 लाख से अधिक लोग घायल हुए हैं। रिपोर्ट से यह भी सामने आया है कि लगभग 70 प्रतिशत सड़क हादसों में युवाओं की मृत्यु होती है।

लेकिन चौंकाने वाली बात यह है कि देश में सड़क हादसों में लगातार छह साल से सबसे अधिक मौतें उत्तर प्रदेश में हुई हैं। तमाम प्रयासों के बावजूद सड़क दुर्घटनाओं में मरने वालों की संख्या में लगातार इजाफा होता रहा है। वर्ष 2021 में प्रदेश में 21,227 लोगों की मौत हुई थी। आकंड़ों के मुताबिक सड़क दुर्घटना में प्रति वर्ष 23.05 फीसद मौत 18-25 आयु वर्ग के युवाओं की होती है। यह युवा देश और अपने परिवार का भविष्य होते हैं। इसकी वजह सिर्फ और सिर्फ लापरवाही से वाहन चलाना और यातायात नियमों की सही जानकारी न होना होता है। एक यातायात विशेषज्ञ के अनुसार 90 फीसदी वाहन चालकों को यातायात संकेतकों या नियमों की जानकारी ही नहीं होती है ये लोग येन केन प्रकारेण अपना ड्राइविंग लाइसेंस बनवा लेते हैं।

सड़क हादसों में मौतें उत्तर प्रदेश की सरकार की गहरी चिंता का विषय हैं। सरकारी स्तर पर स्कूलों, कालेजों, सार्वजनिक स्थानों पर सड़क सुरक्षा जागरुकता अभियान चलाये जाते हैं। लेकिन लोग इसे गंभीरता से नहीं लेते हैं। सड़क हादसों की बड़ी वजह शहर के अंदर और हाईवे पर अवैध पार्किंग है। उचित पुलिस बल के अभाव में इन पर कार्रवाई नहीं हो पाती । जो बड़े हादसों की वजह बनते हैं। हादसों के लिए सड़क की खामियां, ब्लैक स्पाट जिम्मेदार हैं। रोड सेफ्टी एक्सपर्ट का कहना है कि सड़क हादसों में 80 फीसद मौतें सिर पर गंभीर चोट लगने से होती हैं। क्योंकि लोग हेलमेट अनिवार्य रूप से नहीं लगाते हैं, खासकर युवा वर्ग। इसके अलावा दोपहिया वाहनों में ट्रिपलिंग की समस्या भी हादसों के लिए जिम्मेदार है। जिसमें वाहन का संतुलन बिगड़ता है। डाक्टरों और पोस्टमार्टम हाउस के विशेषज्ञों के मुताबिक भी सड़क हादसों में मौतों का बड़ा कारण सिर की चोट होती है।

दोपहिया वाहन चालकों को हेलमेट

बीआइआएस (ब्यूरो ऑफ इंडियन स्टैंडर्ड) के मानक के अनुरूप होना चाहिए। आइएसआइ मार्का और 4151 स्टैंडर्ड का होना चाहिए। हेलमेट की स्ट्रिप अवश्य बांधनी चाहिए क्योंकि दुर्घटना में हेलमेट निकल जाता है। हेलमेट पहनते समय ठुड्ढी और स्ट्रिप में एक अंगूठे का गैप होना चाहिए। हेलमेट के अंदर का कुशन ठीक होना चाहिए, वह टूटा नहीं होना चाहिए। हेलमेट तीन से चार साल में अवश्य बदल देना चाहिए। अगर वह सही हो तब भी। अगर हेलमेट चटका या फटा हो तो उसका प्रयोग नहीं करना चाहिए। हेलमेट चालान से बचने के बजाये अपनी जान की हिफाजत के लिए लगाना चाहिए।

अगर आंकड़ों पर गौर करें तो सड़क हादसों में सर्वाधिक जान 18-25 उम्र वर्ग के युवाओं की जाती है । जो कि 23.05 फीसद है। इसी तरह से 25-35 आयु वर्ग का प्रतिशत 23.01, 35-45 आयु वर्ग का प्रतिशत 18.06, 45-60 आयु वर्ग के प्रौढों का प्रतिशत 11.09 और 60 से अधिक उम्र के बुजुर्गों का प्रतिशत 04.08 है । जिनकी सड़क हादसों में जान जाती है।

उत्तर प्रदेश में सड़क हादसों में मरने वालों की संख्या पर गौर करने तो यह लगातार बढ़ रही है 2015 में 17,666, 2016 में 19,320, 2017 में 20,124, 2018 में 22,256, 2019 में 22,655, 2020 में 21,156, 2021 में 21,227 रही है।

हालांकि इधर यह देखने में आया है कि गाजियाबाद पुलिस ने सड़क हादसों और उनसे होने वाली मौतों पर अंकुश लगाने के लिए एक मॉडल बनाया था जो कि काफी सफल रहा । अब उत्तर प्रदेश की पुलिस इस माडल को पूरे प्रदेश में लागू करने जा रही है। अधिकारियों का दावा है कि इस मॉडल को लागू करने से प्रदेशभर के हाईवे और एक्सप्रेसवे पर सड़क हादसों में कमी आएगी।

गाजियाबाद माडल के तहत एक्सप्रेसवे पर दोपहिया तथा तीन पहिया वाहनों के प्रवेश पर सख्ती से रोक लगाई जाएगी। इसके अलावा गलत दिशा से वाहन लेकर आने, ओवरस्पीड में गाड़ी चलाने तथा नो पार्किंग में वाहन खड़े करने पर सख्ती की जाएगी।

(लेखक स्वतंत्र पत्रकार हैं।)



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Ramkrishna Vajpei

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