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Heart Attack: अपने भीतर के देवता को पहचानिए, जीवन दिव्य हो जाएगा

Heart Attack: हृदय स्पंदन पर आश्रित है जीवन की यात्रा, इसका ख्याल रखिए

Sanjay Tiwari
Published on: 16 Aug 2023 4:17 PM IST (Updated on: 16 Aug 2023 4:26 PM IST)
Heart Attack: अपने भीतर के देवता को पहचानिए, जीवन दिव्य हो जाएगा
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Sanjay Tiwari Article On Heart Attack (Photo-Social Media)

Heart Attack: प्रत्येक मनुष्य के भीतर एक देवता हैं। उन देवता की शक्ति को महसूस कर उनसे साक्षात्कार कीजिए तो जीवन दिव्य हो जाएगा। ऐसा नहीं कि यह केवल मनुष्य के साथ है, ऐसे समस्त जीव, जंतु और प्राणी मात्र के साथ होता है। दिव्यता सभी के भीतर ही विद्यमान है। इसीलिए भारतीय दर्शन अंतः की यात्रा के लिए प्रेरित करता है। यदि सभी अपने भीतर के उस दिव्य स्वरूप से साक्षात्कार कर लें तो यह दावा है कि सभी का जीवन धन्य हो जाएगा।

ये शब्द हैं दुनिया के प्रख्यात हृदय शल्य चिकित्सक डॉक्टर प्रो अशोक कुमार श्रीवास्तव के। अब तक 20000 से अधिक ओपन हार्ट सर्जरी और हृदय के अन्य सर्जरी कर चुके प्रोफेसर श्रीवास्तव बताते हैं कि सभी प्राणियों का जीवन हृदय स्पंदन पर निर्भर है। हृदय ही जीवन का वह केंद्र है जिसे विधाता ने अद्भुत ढंग से निर्मित किया है। यह न कभी थकता है और न रुकता है। इसमें आने वाली रुकावट ही चिकित्साजगत के लिए सबसे बड़ी चुनौती रहती है। 71 वर्षीय प्रोफेसर अशोक श्रीवास्तव ने ओपन हार्ट सर्जरी में विश्व कीर्तिमान स्थापित किया है। प्रोफेसर श्रीवास्तव उस विशेष टीम का भी हिस्सा रहे हैं जिसने पहली बार भारत में कृत्रिम हार्ट वाल्व का निर्माण किया। संजय गांधी आयुर्विज्ञान संस्थान, लखनऊ के हृदय रोग विभाग में लंबी सेवा के बाद उन्होंने समय से काफी पहले ही वहां से अवकाश लेकर बड़ी परिश्रम से लखनऊ के गोमतीनगर में हृदय चिकित्सा केंद्र का आरंभ किया। यह सोचने वाली बात है कि संसाधनों के अभाव में एक चिकित्सा शिक्षक होकर उन्होंने पहली अत्यंत सफल सर्जरी अपने आवास के बेसमेंट में एक अस्थाई ऑपरेशन थियेटर बना कर किया। उनके इस आवास या कहें कि हृदय रोग चिकित्सा केंद्र का उद्घाटन तत्कालीन राज्यपाल आचार्य विष्णुकांत शास्त्री ने किया था। उसके बाद प्रोफेसर श्रीवास्तव ने अथक परिश्रम से डिवाइन अस्पताल की नींव डाली और उसे पूरा किया जिसका उद्घाटन तत्कालीन राष्ट्रपति एपीजे अब्दुल कलाम जी और प्रधानमंत्री अटल बिहारी बाजपेई जैसी विभूतियों के हाथों संपन्न हुआ।

प्रोफेसर अशोक कुमार श्रीवास्तव मूलतः गाजीपुर जिले के अगस्ता गांव के रहने वाले हैं। हृदय चिकित्सा में उनका नाम दुनिया के चुनिंदा चिकित्सकों में शुमार है। स्वभाव से ईश्वर में अगाध श्रद्धा और विश्वास रखने वाले प्रोफेसर श्रीवास्तव से बातचीत करने पर जरा भी आभास नहीं हो पाता कि विश्व के इतने बड़े शल्य चिकित्सक से आप बात कर रहे हैं।

सब ईश्वर का है, मेरा कुछ भी नहीं

वह बहुत ही समर्पण भाव से कहते हैं कि सब ईश्वर का है, मेरा कुछ भी नहीं। अपने संघर्षों में संबल स्वरूप वह अपनी धर्मपत्नी श्रीमती आभा जी का उल्लेख बार बार करते हैं। वह कहते हैं कि ऐसी समर्पित भाव वाली आभा जी नहीं होती तो इतना बड़ा प्रकल्प नहीं खड़ा हो पाता। अभी वह अयोध्या रोड पर डिवाइन आयुर्वेद केंद्र का निर्माण कर चुके हैं और उसको बहुत जल्दी व्यापक स्वरूप देने जा रहे हैं। अपने गांव में मिट्टी का ऋण चुकाने के लिए उन्होंने डिवाइन हार्ट इंटर कॉलेज की स्थापना भी कर दी है।

प्रोफेसर श्रीवास्तव का स्वयं का जीवन एक संत साधक जैसा ही है। हर रोगी में उनको कोई शक्ति दिखती है। चलते फिरते ही वह रोगियों या उनके तीमारदारों से मिलते रहते हैं। चलते हुए सलाह देना, दवा लिख देना, आवश्यक निर्दश देना उनकी दिनचर्या है। उन्हें सुबह से देर शाम तक अनवरत काम करते हुए कोई भी देख सकता है लेकिन किसी पल उन्हें कोई थका हुआ नहीं देख सकता। प्रोफेसर श्रीवास्तव और उनका चिकित्सक जीवन हृदय चिकित्सा के लिए वास्तव में एक ऐसी निधि है जिसका ख्याल समाज को भी अवश्य करना ही चाहिए।



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Sanjay Tiwari

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