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Tomato security Case: योगीजी ! पुलिस से कहें: व्यंग और कानून में फर्क तो समझें !!

Tomato security Case: राजनीति में व्यंग द्वारा गंभीर उपहास करने की अदा के लिए वे मशहूर थे। अखिलेश यादव को किसी चतुर सलाहकार ने सुझाया होगा कि टमाटर को मसला बनाने का मौका है।

K Vikram Rao
Published on: 12 July 2023 1:20 PM IST
Tomato security Case: योगीजी ! पुलिस से कहें: व्यंग और कानून में फर्क तो समझें !!
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Tomato high rate security (photo: social media )

Tomato security Case: समाजवादी पार्टी फिर से लोहियावादी हो गई। व्यंग का राजनीतिक प्रचार हेतु इस्तेमाल करके। इतना राष्ट्रव्यापी मीडिया प्रचार यदि अखिलेश यादव सत्याग्रह में गिरफ्तार होते तब भी नहीं होता। यह घटना निहायत मामूली थी। कुछ दिन पूर्व अखिलेश का ट्वीट था कि टमाटर विक्रेता को जेड प्लस सुरक्षा दी जाय । क्योंकि बढ़ते दाम के कारण ग्राहकों द्वारा हमले की आशंका है। निखालिस व्यंग ही था। सरकार हंस कर टाल जाती, बजाय किसी तीखी प्रतिक्रिया अथवा कठोर पुलिसिया कदम के। ऐसी राजनीतिक कल्पनाशीलता स्व. अटल बिहारी वाजपेयीवाली बड़ी याद आती है। तब इंदिरा गांधी सरकार ने पेट्रोल के दाम बेतहाशा बढ़ा दिए थे।

विपक्षी जनसंघ के नेता अटल बिहारी वाजपेयी बैलगाड़ी में सवार होकर संसद भवन गए थे। सारी दुनिया में यह फोटो छपी। हजारों रिम अखबारी कागज खर्च हुआ होगा इस मामूली सी घटना को प्रसारित करने में। यूं भी अटलजी व्यंग में माहिर तो थे ही। राजनीति में व्यंग द्वारा गंभीर उपहास करने की अदा के लिए वे मशहूर थे। अखिलेश यादव को किसी चतुर सलाहकार ने सुझाया होगा कि टमाटर को मसला बनाने का मौका है। कभी प्याज भी बना था जनता पार्टी के खिलाफ। देशभर में टमाटर की आसमान छूती कीमतों के कारण चोर इसे खेतों और दुकानों से चुरा रहे हैं। बंगलूर जिले में एक खेत से चोरों ने 2.7 लाख रुपये के टमाटर चुरा लिए। तेलंगाना के महबूबाबाद जिले में एक दुकान से करीब 20 किलोग्राम टमाटरों की चोरी की खबर है।

जिक्र कर दूं कैसे डॉ. राममनोहर लोहिया ने व्यंग द्वारा महाबली इंदिरा गांधी की नैतिकता को विश्वस्तर पर पंक्चर कर दिया था। इस महिला प्रधानमंत्री को उनकी सोवियत रूस की यात्रा पर कम्युनिस्ट सरकार ने कीमती मिंक कोट भेंट दिया था। नियमानुसार हर सरकारी भेंट को तोशखाना में जमा करना पड़ता है। नरेंद्र मोदी को जो भी विदेशी उपहार मिले वे सब तोशखाना में जमा कर दिये गए हैं। इसीलिए पाकिस्तान में पूर्व प्रधानमंत्री इमरान खान पर मुकदमा चल रहा है क्योंकि उन्होंने सरकारी उपहार खुद रख लिए थे। लोहिया ने मिंक कोटवाला मसला इतना उछाला कि भयभीत होकर इंदिरा-कांग्रेसियों को सुलह करनी पड़ी।

सपायी ने निजी सुरक्षा गार्ड लगाकर टमाटर बेचा

अब लौटें टमाटर पर। वाराणसी में एक सपायी ने निजी सुरक्षा गार्ड लगाकर टमाटर बेचा। उस पर भारतीय दंड संहिता की धारा 295-ए (भावना उभारना) और 505(2) (अदावत फैलाना) का अपराध दायर हो गया। एक हल्के से परिहास को तूल देकर राजनैतिक मुद्दा बना दिया गया। विवेक से ऐसी प्रशासनिक त्रुटि टाली जा सकती थी। अब प्रतिपक्ष को मसला मिल गया। काशी जिला भाजपा नेतृत्व में दूरदर्शिता नहीं दिखी।

इसी सिलसिले में राजनेताओं से जुड़े चंद वाकयों का उल्लेख हो जाए जहां व्यंग के कारण अति साधारण मामला ही गंभीर सियासी समस्या बन गया था। हानिकारक भी रहा। इंग्लैंड का मामूली हादसा है जो वैश्विक खबर बनी थी। कई बार प्रधानमंत्री बने और भारतीय स्वतंत्रता संघर्ष के घोर शत्रु रहे सर विंस्टन चर्चिल अपने पुरानी लिबरल (उदार) पार्टी छोड़कर सत्तारूढ़ कंसर्वेटिव (अनुदार) दल में शामिल हो गए। उसी दिन संसद भवन में विपक्ष के कई सांसद उल्टा कोट पहनकर आए। उन्हें देखकर चर्चिल को शर्म लगी। अंग्रेजी में दलबदलू की “टर्नकोट” कहकर निंदा की जाती है। पड़ोसी पाकिस्तान में एक फौजी तानाशाह जनरल मोहम्मद जिया राष्ट्रपति थे। कई बार वह संसदीय निर्वाचन का वादा करते रहे। मगर टाल जाते थे।

जब जनरल जिया का नाई सुबह राष्ट्रपति की दाढ़ी बनाता था तो पूछता था : “जनरल साहब चुनाव कब कराएंगे ?” जिया का जवाब होता था : “कुछ वक्त के बाद।” मगर जब नाई रोज यही प्रश्न पूछता था तो एक दिन जिया ने उसे डांटकर पूछा : “तुम्हें चुनाव से क्या मतलब ?” इस पर गिड़गिड़ाते हुए नाई ने कहा : “हुजूर चुनाव की बात सुनते ही आपके रोंगटे खड़े हो जाते हैं। अतः मुझे उस्तरे से उन्हें काटने में सहूलियत होती है।”

भारत के हर गरीब असहाय को आत्मबल मिले

यूं डॉ. लोहिया हमेशा व्यंग को अस्त्र बनाकर ही नेहरू सरकार पर तीव्र हमला बोलते थे। एक किस्सा है। स्वाधीनता के शुरूआती दौर में बड़ा प्रचार किया गया था कि गरीब भारत के प्रथम प्रधानमंत्री के कपड़े लंदन में सिले जाते हैं और पेरिस में धुलते हैं। लोहिया की कोशिश रही कि भारत के हर गरीब असहाय को आत्मबल मिले कि उनका स्वजन कभी न कभी भारत का प्रधानमंत्री बन सकता है। जैसे लाल बहादुर शास्त्री थे जो बनारस के स्कूल में जाते थे गंगा तैर कर क्योंकि उनके पास मल्लाह को नाव का किराया देने के लिए दो छदाम भी नहीं होते थे। लोहिया ने अपनी मासिक पत्रिका “मैनकाइंड” में लिखा था कि “मुख्तार (वकील का एजेंट) का बेटा और अर्दली का पोता जवाहरलाल जो आज भारत का प्रधानमंत्री है” इत्यादि। मोतीलाल छोटे दर्जे के वकील थे। उनके पिता लाल किले के पास रात को “जागते रहो” पुकार कर ड्यूटी बजाते थे। लोहिया का ऐसा कहने में मकसद साफ था कि गरीब चौकीदार का पोता भी प्रधानमंत्री बन सकता है। वही शब्द जो नरेंद्र मोदी के लिए मोतीलाल नेहरू की पोती का पोता राहुल गांधी उपयोग करता था।

जब नेहरू के निधन के बाद बड़ा प्रचार हुआ था उनकी वसीयत को लेकर। उसमें लिखा था कि : “इलाहाबाद का भवन बेटी को मिले। मेरी अस्थियों को हवाई जहाज से भारत के खेतों पर बिखेरा जाए।” इस पर लोहिया की राय भिन्न थी : “दिवंगत प्रधानमंत्री ने संपत्ति तो अपनी पुत्री को दे दी और अपनी भस्म राष्ट्र को।”

त्रासदी यह है कि भारत में व्यंग को समझने और तारीफ करने वाले घटते जा रहे हैं। पुलिस प्रशिक्षण केन्द्रों में साहित्य, खासकर व्यंग पर पाठ्यक्रम हो। तब शायद कानून अंधा नहीं बनाया जाएगा। खाकीधारियों के प्रशिक्षण संस्थानों में व्यंग्य पढ़ाया जाए। व्यंग का अर्थ होता है : वाणी या लेखन जो वास्तव में कहने के विपरीत होता है। आमतौर पर किसी का उपहास करने के लिए व्यंग्य किया जाता है। मजाक का नाम दे दिया जाता है। वाराणसी के पुलिसवालों में तीक्ष्णता होती तो कानून का ऐसा मखौल तो कदापि न उड़ाया जाता।

( लेखक वरिष्ठ पत्रकार हैं ।)



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K Vikram Rao

K Vikram Rao

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