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आखिर रखा क्या है नाम में ?

अतः मुगलिया नाम बदलना सरसरी तौर पर कोई विवादास्पद नहीं होना चाहिए। किन्तु योगी जी का तर्क गौरतलब है कि मुग़ल भारत के हीरो कदापि नहीं कहे जा सकते।

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Published on: 17 Sept 2020 12:57 PM IST
आखिर रखा क्या है नाम में ?
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कुछ भौंहें जरूर तिरछी हुई होंगी जब आगरा के निर्माणाधीन संग्रहालय का नाम मुगलिया से बदलकर मराठा नरेश पर कर दिया गया| यूं भी योगी आदित्यनाथ जी की घोषणावाली स्टाइल अपने में अनूठी है| चाहे इलाहाबाद हो, फैजाबाद हो अथवा अब ताजनगरी का|

कुछ भौंहें जरूर तिरछी हुई होंगी जब आगरा के निर्माणाधीन संग्रहालय का नाम मुगलिया से बदलकर मराठा नरेश पर कर दिया गया। यूं भी योगी आदित्यनाथ जी की घोषणावाली स्टाइल अपने में अनूठी है। चाहे इलाहाबाद हो, फैजाबाद हो अथवा अब ताजनगरी का। हर विजयी को परिवर्तन की घोषणा करने का हक़ होता है। उसी का प्रयोग किया।

मुगलों ने भारत को दिया ही क्या

अतः मुगलिया नाम बदलना सरसरी तौर पर कोई विवादास्पद नहीं होना चाहिए। किन्तु योगी जी का तर्क गौरतलब है कि मुग़ल भारत के हीरो कदापि नहीं कहे जा सकते। सही भी है। खासकर, आलमगीर औरंगजेब के सन्दर्भ में। सिवाय संहार, हत्या, तोड़फोड़, जजिया, धर्मांतरण, ईदगाह (मथुरा) और ज्ञानवापी (काशी) बनाने के इस छठे बादशाह ने देश को दिया ही क्या ?

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योगी सरकार ने बदला मुगल म्यूजियम का नाम (फाइल फोटो)

हाँ, अपने तीन सगे भाइयों की लाशें जरूर दीं। अब दिल्ली में औरंगजेब मार्ग का नाम बदलकर एपीजे अब्दुल कलाम मार्ग रखकर भाजपा शासन ने एक आदर्श भारतभक्त मुस्लिम वैज्ञानिक का सम्मान तो किया है। यदि मुसलमानों को पसंद नहीं आया तो कारण विकृत है।

कलाम साहेब एक सच्चे हिन्दुस्तानी

APJ Abdul Kalam योगी सरकार ने बदला मुगल म्यूजियम का नाम (फाइल फोटो)

कलाम साहब बचपन में साइकिल पर अखबार बेचते थे। रामेश्वरम शिव मंदिर का प्रसाद माथे पर लगाकर ग्रहण करते थे। वीणा-वादक थे। संस्कृत पढ़ते थे। रक्षा संस्थान में प्रथम नौकरी स्वीकारने के पूर्व ऋषिकेश के स्वामी जी से आशीर्वाद लेने गए थे। औसत भारतीय मुसलमान को यह सब काफिराना दिखता है। कलाम साहब हलाल का ही नहीं, गोश्त ही नहीं खाते थे।

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जबकि बादशाह औरंगजेब ने हिन्दू-प्रजा को कलमा पढ़ने या सर कलम कराने का विकल्प दिया था। दाद देनी पड़ेगी नरेंद्र मोदी की सूझ को। कौन सच्चा राष्ट्रवादी ऐसे दक्षिण भारतीय सुन्नी का विरोध करेगा ? तुलनात्मक रूप से गौर करें। प्रक्षेपास्त्र बनाकर इस्लामी पकिस्तान ने उनके सभी नाम बड़े सोच-विचारकर रखे। अब्दाली, बाबर, गौरी, शाहीन, गजनवी आदि। अब जो इतिहास में इन नृशंस हत्यारों का नाम पढ़ चुका होगा वह पकिस्तान की मंशा को सही ही समझेगा।

संग्रहालय का नाम शिवाजी के नेम पर रखना उचित

Shivaji Museum योगी सरकार ने बदला मुगल म्यूजियम का नाम (फाइल फोटो)

भारत के प्रक्षेपास्त्र अग्नि के सामने? इसी सिलसिले में आगरा के संग्रहालय के नये नामकरण पर गौर करें। छत्रपति शिवाजी का आगरा से करीबी संबंध रहा है। वे मृत्यु के मुंह से निकलकर यहां से भागे थे। उन्हें धोखे से कैद कर औरंगजेब सपरिवार मारना चाहता था। अतः शिवाजी के नाम पर आगरा संग्रहालय के नामकरण का औचित्य तो बनता ही है।

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कवि प्रदीप की पंक्तियों को याद कर लें : “ये है मुल्क मराठों का, यहाँ शिवाजी डोला था, मुगलों की ताकत को जिसने तलवारों से तोला था।”अब नाम बदलने की प्रक्रिया पर आयें। सरदार वल्लभभाई पटेल ने सोमनाथ मन्दिर के पुनर्निर्माण पर कहा था कि स्वाधीन राष्ट्र द्वारा फिर से मस्तक उठाने का यह महान द्योतक है। यही तर्क आगरा पर भी लागू होता है।

मुगलों ने भी बदले शहरों के नाम

Mughal Emporer योगी सरकार ने बदला मुगल म्यूजियम का नाम (फाइल फोटो)

जब लोदी वंश के दूसरे सुलतान मोहम्मद सिकंदर लोदी ने (1489-1517) इस यमुनातटीय नगर का नाम आगरा दिया तो कल्पना भी नहीं की होगी कि उनके बेटे भारतीय सम्राट इब्राहीम लोदी पर जिहाद बोलकर उज्बेकी लुटेरा जहीरुद्दीन बाबर अपना मुग़ल वंश भारत पर लाद देगा। ताजनगरी में किसी जगह या इमारत का नाम रखे जाने और फिर बदले जाने की कहानी मुगलिया दौर से भी पुरानी है। मुगलिया दौर में सबसे ज्यादा नाम बदले गए। बादशाह जलालुद्दीन मोहम्मद अकबर ने 1570 में सीकरी का नाम बदलकर फतेहपुर सीकरी कर दिया था।

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1645 में अबुल मुजफ्फर शाहबुद्दीन मोहम्मद शाहजहां ने आगरा का नाम अकबराबाद कर दिया था। हालांकि यह ज्यादा चल नहीं पाया। क्योंकि 1648 में राजधानी आगरा से दिल्ली चली गई। आगरा भारत के मजहबी सामंजस्य का प्रतीक रहा है। अकबर ने यहीं सीकरी से “सुलेहकुल” आस्था का सूत्रपात किया था। इससे सर्वधर्म समभाव का आभास हुआ था। मुहिउद्दीन मोहम्मद औरंगजेब ने 1658 में समीपस्थ सामूगढ़ की लड़ाई में शहजादा बुलंद इकबाल यानी दारा शिकोह को शिकस्त देकर सामूगढ़ का नाम फतेहाबाद कर दिया। इसके बाद औरंगजेब ने अपने सगे अग्रज (दारा शिकोह) का सर काटकर आगरा किले में कैद पिता शाहजहाँ को सुबह के नाश्ते में परोसा।

योगी ने नाम बदल कप कुछ बचाने का किया प्रयास

CM Yogi योगी सरकार ने बदला मुगल म्यूजियम का नाम (फाइल फोटो)

यदि दारा जीतता तो इस्लामी कट्टरता की पराजय होती। उपनिषदों का फारसी में अनुवाद करने वाले दारा शिकोह की हार से राष्ट्रीय त्रासदी उपजी तो विकसित होकर पाकिस्तानी तालिबान तक पनपी।

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अतः जो लोग औरंगजेब को भारतीय समझते हैं, उनकी भारतीयता ही संदेहास्पद हो जाती है। आज सेकुलरवाद इसी से तिलमिलाकर गल रहा है। इसीलिए योगी जी ने नाम बदलकर कुछ बचाने का प्रयास किया है। इस्लामिस्टों को सचेत किया है।



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