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नागरिकता कानून: जांच हो, दोषी बचने न पाएं, वरना ये आग फैल सकती हैः मायावती
बहुजन समाज पार्टी की राष्ट्रीय अध्यक्ष, व पूर्व मुख्यमंत्री मायावती ने कहा है कि यूपी व केन्द्र की सरकार को चाहिए कि वह नागरिकता संशोधन कानून को लेकर हो रही वारदातों की उच्च स्तरीय न्यायिक जांच करायें।
लखनऊ: बहुजन समाज पार्टी की राष्ट्रीय अध्यक्ष, व पूर्व मुख्यमंत्री मायावती ने कहा है कि यूपी व केन्द्र की सरकार को चाहिए कि वह नागरिकता संशोधन कानून को लेकर हो रही वारदातों की उच्च स्तरीय न्यायिक जांच करायें और उनके मूल दोषी लोगों को कानून के तहत किसी भी कीमत पर बचने नहीं दें, वरना यह आग पूरे देश में व खासकर शिक्षण संस्थानों में फैल सकती है। यह देश व आम जनहित में कतई नहीं होगा।
मायावती ने पूरे देश में व खासकर असम व पूर्वोंत्तर के राज्यों, प. बंगाल, दिल्ली, बिहार व यूपी आदि प्रदेशों में भी नये नागरिकता संशोधन कानून के खिलाफ लगातार उग्रता बढ़ने चिंता व्यक्त की है। इसके अलावा उन्होंने इसे दबाने के लिए जारी सरकारी दमन पर भी गम्भीर चिन्ता है। उन्होंने लोगों से शान्ति-व्यवस्था बनाये रखने की अपील की। साथ ही पुलिस व प्रशासन से भी निष्पक्ष रूप में कार्य करने की मांग की।
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सुप्रीम कोर्ट ने भी दिल्ली के पुलिस,प्रशासन एवं कानून-व्यवस्था को भी लेकर अपनी काफी नाराजगी जताई है।
मायावती ने बयान में कहा कि नये नागरिकता संशोधन कानून के विरोध में की गई हिंसा में पहले उत्तर प्रदेश की अलीगढ़ व फिर दिल्ली की जामिया यूनिवर्सिटी में तथा पूरे जामिया इलाके के क्षेत्र में भी जो काफी बेकसूर छात्र व आमलोग शिकार हुए हैं और साथ ही सरकारी सम्पत्ति का भी नुकसान हुआ है। यह दुर्भाग्यपूर्ण व अति-निन्दनीय है और पार्टी पीड़ितों के साथ है।
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उन्होंने कहा कि असम व बंगाल की तरह ही खासकर अलीगढ़ व दिल्ली में इस नये कानून के खिलाफ विरोध करने वालों पर पुलिस बर्बरता की खबर व तस्वीरें सोमवार के सभी अखबारों की बड़ी-बड़ी सुर्खियों में हैं। इन घटनाओं की उच्च स्तरीय न्यायिक जांच होनी चाहिए।
साथ ही, इस नये कानून को लेकर आरोप-प्रत्यारोप का दौर भी लगातार जारी है। ऐसे में एनआइए द्वारा असम के लोगों के खिलाफ देशद्रोह का मुकदमा दर्ज करने पर पुनर्विचार किया जाना चाहिए क्योंकि इस प्रकार की अनुचित सरकारी कार्रवाई से लोगों में गुस्सा और भी बढ़ रहा है।
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