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राज्यसभा चुनाव: सीताराम येचुरी को लगा तगड़ा झटका, पार्टी ने लिया ये बड़ा फैसला
भारतीय कम्युनिस्ट पार्टी (मार्क्सवादी) के महासचिव सीताराम येचुरी को तगड़ा झटका लगा है, क्योंकि अब वह तीसरी बार राज्यसभा नहीं जा पाएंगे। येचुरी के राज्यसभा जाने के रास्ते में उनकी अपनी पार्टी और उसके नियम ही रुकावट बन गए हैं। बंगाल की सीपीएम यूनिट के साथ-साथ कांग्रेस की मदद से सीताराम येचुरी को राज्यसभा भेजने का प्रस्ताव खारिज हो गया है।
नई दिल्ली: भारतीय कम्युनिस्ट पार्टी (मार्क्सवादी) के महासचिव सीताराम येचुरी को तगड़ा झटका लगा है, क्योंकि अब वह तीसरी बार राज्यसभा नहीं जा पाएंगे। येचुरी के राज्यसभा जाने के रास्ते में उनकी अपनी पार्टी और उसके नियम ही रुकावट बन गए हैं। बंगाल की सीपीएम यूनिट के साथ-साथ कांग्रेस की मदद से सीताराम येचुरी को राज्यसभा भेजने का प्रस्ताव खारिज हो गया है। येचुरी की पार्टी की शीर्ष ईकाई यानी पोलित ब्यूरो ने यह फैसला लिया है।
पश्चिम बंगाल की पांच राज्यसभा सीटों के लिए 26 मार्च को चुनाव होंगे। पश्चिम बंगाल में विधायकों के आंकड़े के मुताबिक चार राज्यसभा सीटें टीएमसी के खाते में जाना तय माना जा रहा है, तो वहीं एक सीट अन्य के खाते में जा सकती है। माना जा रहा है कि एक राज्यसभा सीट कांग्रेस और सीपीआईएम मिलकर जीत सकती हैं। बंगाल में सीपीएम ही नहीं पूरी वामपंथी पार्टियों को भी मिलाने के बाद इतने विधायक नहीं हैं कि वे अपने दम पर किसी को राज्यसभा भेज सकें।
बंगाल की लेफ्ट ईकाई ने येचुरी को कांग्रेस की मदद से राज्यसभा भेजने का प्रस्ताव भेजा था। मिली जानकारी के मुताबिक 6 फरवरी को दिल्ली के सीपीआईएम मुख्यालय में बैठक हुई जिसमें पोलित ब्यूरो के सदस्यों ने पार्टी के नियमों का हवाला देते हुए सीताराम येचुरी को तीसरी बार राज्यसभा भेजने के प्रस्ताव को खारिज कर दिया, जिसके साथ ही उनकी राह मुश्किल हो गई।
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पार्टी पुराने नियम का हवाला दे रही है कि कोई भी सीपीआईएम महासचिव पद पर रहते हुए चुनाव नहीं लड़ सकता है। इसके साथ ही एक सदस्य को दो बार से अधिक बार राज्यसभा सदस्य नहीं हो सकता। एक रिपोर्ट में कहा गया है कि पार्टी के एक नेता ने नाम न छापने की शर्त पर बताया कि पार्टी के महासचिव के पास इतना काम होता है कि वह संसदीय प्रक्रिया में खुद को व्यस्त नहीं रख सकता। इसलिए पार्टी महासचिव के चुनाव लड़ने का नियम नहीं है।
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गौरतलब है कि सीताराम येचुरी 2005 से 2017 के बीच दो बार राज्यसभा सदस्य रहे हैं। राज्यसभा सदस्य के तौर पर उनका रिकॉर्ड शानदार रहा। हालांकि 2017 में सीपीएम ने उन्हें तीसरी बार राज्यसभा भेजने से इंकार कर दिया था, क्योंकि पार्टी के नियम में तीसरी बार राज्यसभा सीट देने का प्रावधान नहीं है। दो साल के अंतराल के बाद अब एक बार फिर येचुरी को राज्यसभा भेजने की कवायद को पार्टी की शीर्ष ईकाई पोलित ब्यूरो ने तगड़ा झटका दिया है।
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सीपीआईएम की आंतरिक राजनीति भी येचुरी के राज्यसभा जाने के रास्ते में रूकावट बन रही है। बंगाल सीपीआईएम ईकाई उन्हें राज्यसभा भेजने चाहती है, लेकिन केरल ईकाई इसमें रोड़ा अटका रही है। सीपीआईएम की पोलित ब्यूरो की बैठक में मौजूद सदस्यों ने येचुरी के राज्यसभा भेजने के प्रस्ताव पर आपत्ति जताई और कहा कि कांग्रेस की मदद से पार्टी के महासचिव को राज्यसभा में भेजना पार्टी के आदर्शों के खिलाफ होगा।
केरल में कांग्रेस और सीपीआईएम एक दूसरे के धुर विरोधी हैं। इसीलिए केरल की सीपीएम ईकाई भी येचुरी को राज्यसभा भेजने के प्रस्ताव का विरोध कर रही है और कहा कि कांग्रेस से समर्थन लेना ठीक नहीं है। राज्यसभा सीट के लिए अगर पार्टी कांग्रेस से समर्थन लेगी तो राज्य में उसके खिलाफ कैसे लड़ेगी।