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मुस्लिम वोटों पर टिके ओवैसी: अब यहां जीत का लक्ष्य, 51 प्रत्याशी में केवल 5 हिंदू

असदुद्दीन ओवैसी (Asaduddin Owaisi) ने हैदराबाद नगर निगम चुनाव में हैदराबाद के इलाके की सीटों पर अपने पार्टी के 51 प्रत्याशियों को उतारा है। जिसमें से केवल पांच हिंदु हैं।

Shreya
Published on: 27 Nov 2020 10:41 AM GMT
मुस्लिम वोटों पर टिके ओवैसी: अब यहां जीत का लक्ष्य, 51 प्रत्याशी में केवल 5 हिंदू
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हैदराबाद नगर निगम चुनाव में AIMIM के 51 प्रत्याशियों में से केवल 5 हिंदू

नई दिल्ली: बिहार विधानसभा चुनाव (Bihar Assembly Elections 2020) में 5 सीटें जीतने के बाद ऑल इंडिया मजलिस-ए-इत्तेहादुल मुस्लिमीन (AIMIM) ने भी बिहार की राजनीति में हलचल मचा दी। इस इलेक्शन के बाद AIMIM मुसलमानों की राष्ट्रीय स्तर की पार्टी बन कर सामने आई है। इसके अलावा इस पार्टी के अध्यक्ष असदुद्दीन ओवैसी (Asaduddin Owaisi) मुस्लिम समुदाय के सबसे बड़े नेता के तौर पर उभरे हैं।

ओवैसी की सियासत मुस्लिम वोटों पर

ओवैसी की सियासत मुस्लिम वोटों पर ही टिकी है, इसलिए वो ऐसी ही सीटों पर अपने प्रत्याशियों को उतारते हैं, जहां पर मुस्लिम मतदाता निर्णायक भूमिका अदा करते हैं। AIMIM अध्यक्ष ने हैदराबाद नगर निगम चुनाव में भी पुराने हैदराबाद के इलाके की सीटों पर अपने पार्टी के 51 प्रत्याशियों को उतारा है। इनमें से 10 फीसदी प्रत्याशी हिंदु हैं। हिंदु प्रत्याशियों को पांच टिकट दिए गए हैं।

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हैदराबाद नगर निगम चुनाव में केवल पांच प्रत्याशी हिंदु

हालांकि ये हिंदू प्रत्याशी उन सीटों पर चुनाव लड़ रहे हैं, जहां पर हिंदु और मुस्लिम समुदाय की आबादी लगभग 50-50 फीसदी है। साथ ही इस इलाके में विधानसभा सीट पर पार्टी के विधायकों का कब्जा है। बता दें कि AIMIM ने साल 2016 के ग्रेटर हैदराबाद नगर निगम चुनाव में भी चार हिंदू प्रत्याशियों को मैदान में उतारा था, इनमें से दो ने ही जीत हासिल की थी। इस बार जिन हिंदू प्रत्याशियों को टिकट दिया गया है, उनमें राज मोहन, थारा भाई, स्वामी यादव, जाडला रवींद्र और राजेश गौड़ का नाम शामिल है।

owaisi (फोटो- सोशल मीडिया)

2016 में जीते थे 44 वार्ड

बता दें कि साल 2016 के ग्रेटर हैदराबाद नगर निगम चुनाव में असदुद्दीन ओवैसी की पार्टी ऑल इंडिया मजलिस-ए-इत्तेहादुल मुस्लिमीन (AIMIM) ने 60 सीटों में से 44 पर जीत हासिल की थी, जबकि टीआरएस ने 150 वार्डों में से 99 वार्ड जीते थे। वहीं बीजेपी ने तीन और कांग्रेस ने दो वार्डों में ही जीत दर्ज की। इस तरह देखा जाए तो पुराने हैदराबाद में ओवैसी की पार्टी ने अपना रुतबा जमाया था, तो वहीं ग्रेटर हैदराबाद इलाके में केसीआर ने।

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बिहार के बाद हौसले बुलंद

साल 1927 में गठित हुई पार्टी AIMIM 1984 से लगातार हैदराबाद लोकसभा सीट से जीतती आ रही है। 2014 में इस पार्टी ने तेलंगाना विधानसभा चुनाव में भी सात सीटों पर कब्जा किया था। उसके बाद 2014 के महाराष्ट्र विधानसभा चुनाव में दो सीटें हासिल कीं। अब बिहार के बाद इस पार्टी के हौसले और बुलंद हो चुके हैं। हालांकि ओवैसी को जहां भी जीत मिली है, वो सभी मुस्लिम प्रत्याशी ही थे और वहां मुस्लिम मतदाता की संख्या अधिक रही।

नेशनल पार्टी बनने की ओर कदम

छोटी शहरी पार्टी से निकलकर राज्य स्तरीय पार्टी के तौर पर स्थापित हो चुकी AIMIM अब नेशनल पार्टी बनने की दिशा में काम कर रही है। ओवैसी अब अपनी पार्टी को राज्य स्तर पर ही नहीं बल्कि नेशनल स्तर पर भी स्थापित करना चाहते हैं। जिसके लिए अब उनकी नजर पश्चिम बंगाल पर टिकी हुई है। बता दें कि यहां पर करीब 30 फीसदी मुस्लिम मतदाता हैं। बिहार में जीत हासिल करने के बाद ही ओवैसी ने बंगाल में चुनाव लड़ने का ऐलान किया था।

मुस्लिम समुदाय से जुड़े मुद्दे उठाते हैं ओवैसी

बता दें कि AIMIM अध्यक्ष असदुद्दीन ओवैसी (Asaduddin Owaisi) अक्सर मुस्लिम समुदाय से जुड़े मुद्दे उठाते रहते हैं। संसद हो या फिर सड़क वो मुस्लिमों के मुद्दे पर बात करते नजर आते हैं। उन्होंने नागरिकता संशोधन कानून से लेकर NRC और तीन तलाक से लेकर वो बाबरी मस्जिद पर आए फैसले व लव जिहाद तक पर अपनी बात खुलकर सामने रखी है।

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