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केरल चुनावः नेमोम में सियासी जंग होगी रोचक, भाजपा को मिलेगी कड़ी टक्कर

नेमोम से इस बार कांग्रेस से अपने पूर्व प्रदेश अध्यक्ष और वर्तमान सांसद के. मुरलीधरन को उतारा है जबकि सीपीएम ने वी. सिवनकुट्टी को खड़ा किया है। सिवनकुट्टी 2011 में इस सीट से जीते थे। जहाँ तक भाजपा की बात है तो उसने मिजोरम के पूर्व गवर्नर और वरिष्ठ नेता कुम्मानम राजसेखरन को मैदान में उतारा है। राजसेखरन ने यहीं से 2019 का लोकसभा चुनाव लड़ा था।

Shreya
Published on: 15 March 2021 12:47 PM IST
केरल चुनावः नेमोम में सियासी जंग होगी रोचक, भाजपा को मिलेगी कड़ी टक्कर
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केरल चुनावः नेमोम में सियासी जंग होगी रोचक, भाजपा को मिलेगी कड़ी टक्कर

नीलमणि लाल

नई दिल्ली: केरल के चुनावी संग्राम में सबकी निगाहें जिन निर्वाचन क्षेत्रों पर लगीं हैं उनमें शामिल है नेमोम। इसकी वजह ये है कि इसी सीट पर भाजपा की 2016 के विधानसभा चुनाव में एकलौती जीत हुई थी। भाजपा ने नेमोम को ‘केरल में गुजरात’ की संज्ञा दे रखी है। इस बार एलडीएफ और यूडीएफ दोनों ने भाजपा को कड़ी टक्कर देने के लिए कमर कस रखी है।

भाजपा ने राजसेखरन को दी जिम्मेदारी

नेमोम से इस बार कांग्रेस से अपने पूर्व प्रदेश अध्यक्ष और वर्तमान सांसद के. मुरलीधरन को उतारा है जबकि सीपीएम ने वी. सिवनकुट्टी को खड़ा किया है। सिवनकुट्टी 2011 में इस सीट से जीते थे। जहाँ तक भाजपा की बात है तो उसने मिजोरम के पूर्व गवर्नर और वरिष्ठ नेता कुम्मानम राजसेखरन को मैदान में उतारा है। राजसेखरन ने यहीं से 2019 का लोकसभा चुनाव लड़ा था।

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नेमोम तिरुवनंतपुरम जिले में स्थित है और तिरुवनंतपुरम नगर निगम का कुछ हिस्सा इसी निर्वाचन क्षेत्र में आता है। 2016 के विधानसभा चुनाव में भाजपा के सीनियर नेता ओ. राजगोपाल ने ये सीट जीत कर इतिहास बना दिया था क्योंकि केरल में भाजपा की ये पहली जीत थी। 2016 के चुनाव में राजगोपाल को 47.46 फीसदी वोट मिले थे जबकि उनके निकटतम प्रतिद्वंद्वी सीपीएम के वी. सिवनकुट्टी को 41.39 फीसदी वोट मिले थे। पिछले चुनाव में कांग्रेस ने ये सीट यूडीएफ के सहयोगी जनता दल (यू) के लिए छोड़ दी थे। जिसके प्रत्याशी वी. सुन्दरन पिल्लई को मात्र 9.7 फीसदी वोट मिल पाए थे।

bjp kerala (फोटो- सोशल मीडिया)

लोकसभा चुनाव में भाजपा की जीत

2019 के लोक सभा चुनाव में भाजपा के प्रदर्शन से साफ़ हो गया कि विधानसभा सीट पर उसकी जीत कोई तुक्का नहीं थी क्योंकि जहाँ कांग्रेस के शशि थरूर तिरुवनंतपुरम से जीत तो गए थे लेकिन नेमोम क्षेत्र में भाजपा के कुम्मानम राजसेखरन को 12041 वोट ज्यादा मिले थे। लोकसभा क्षेत्र के अंतर्गत नेमोम सेगमेंट में राजसेखरन को 58513 वोट मिले जबकि थरूर को 46472 वोट मिले थे। एलडीएफ को यहाँ सिर्फ 33९२१ वोट मिल पाए थे।

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नेमोम के 23 डिविजनों में से 14 में भाजपा की जीत

हाल में हुए नगर निकाय चुनाव में तिरुवनंतपुरम नगर निगम के तहत आने वाले नेमोम क्षेत्र के 23 डिविजनों में से 14 में भाजपा की जीत हुई थी जबकि 9 पर एलडीएफ जीती थी। 2001 और 2006 के विधानसभा चुनावों में सीनियर कांग्रेसी नेता एन.सकठन नेमोम विधानसभा सीट से जीते थे। 2001 में यहाँ भाजपा को 16,८७२ वोट मिले थे जबकि 2006 में मात्र 6705 वोट।

2011 में सीपीएम प्रत्याशी वी. सिवनकुट्टी को 42.99 फीसदी वोट मिले थे और उन्होंने राजगोपाल (37.49 फीसदी) को हराया था।उस समय सोशलिस्ट जनता पार्टी (डेमोक्रेटिक) के चारुपारा रवि को सिर्फ 17.38 फीसदी वोट मिले थे। पांच साल बाद 2016 के विधानसभ चुनाव में यूडीफ का वोट शेयर घाट कर 9.7 फीसदी पर पहुँच गया।

यहां ज्यादा संख्या में हैं ऊंची जाति के हिन्दू

नेमोम की बात करें तो यहाँ 1 लाख 92 हजार मतदाता हैं जिनमें अधिकांश ऊंची जाति के हिन्दू हैं। इस निर्वाचन क्षेत्र में 30 हजार के करीब मुस्लिम वोट हैं और उतने ही नादर समुदाय के वोट हैं। सीपीएम, कांग्रेस और भाजपा सभी ने ऐसे प्रत्याशी उतारे हैं जो ऊंची जाति के हिन्दू नायर हैं। कांग्रेस को उम्मीद है कि उसे मुस्लिमों और नादर समुदाय का भी समर्थन मिल जाएगा।

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