TRENDING TAGS :

Aaj Ka Rashifal

महाराष्ट्र सरकार गठन में हैं ये पेंच! पुत्र मोह में शिवसेना, बेटी बचाओ अभियान में विपक्ष

महाराष्ट्र को लेकर हर दिन नए समीकरण उभर कर सामने आ रहे हैं। हम आपको पर्दे के पीछे चल रही उस राजनीति के बारे में बता रहे हैं जिसके बारे में कम ही लोग जानते होंगे। एनसीपी को कई मौके पर बीजेपी के साथ देते हुए देखा गया है।

Dharmendra kumar
Published on: 20 Nov 2019 4:50 PM IST
महाराष्ट्र सरकार गठन में हैं ये पेंच! पुत्र मोह में शिवसेना, बेटी बचाओ अभियान में विपक्ष
X

नई दिल्ली: महाराष्ट्र को लेकर हर दिन नए समीकरण उभर कर सामने आ रहे हैं। हम आपको पर्दे के पीछे चल रही उस राजनीति के बारे में बता रहे हैं जिसके बारे में कम ही लोग जानते होंगे। एनसीपी को कई मौके पर बीजेपी के साथ देते हुए देखा गया है, तो वहीं शिवसेना का कांग्रेस से पुराना नाता है।

महाराष्ट्र में सरकार बनाने को लेकर एनसीपी ने क्यों पेच फंसा कर रखा है। इसके कई मायने हैं जिसे यहां जानना जरूरी है। हम आपको बता दें कि शिवसेना के प्रमुख रहे दिवंगत बाला साहेब ठाकरे ने इंदिरा गांधी द्वारा लगाए गए आपातकाल का समर्थन किया था और पूर्व पीएम के इस कदम को साहसी बताया था।

यह भी पढ़ें...बागी हुए शिवसेना के 17 विधायक, मचा हड़कंप, जल्द होगा बड़ा ऐलान

शिवसेना को वसंत सेना कहते थे, क्योंकि तब के मुख्यमंत्री वसंतराव नाईक ने लेफ्ट यूनियनों के खिलाफ उनका इस्तेमाल किया। कांग्रेस के मुरली देवड़ा को मेयर के लिए शिवसेना ने समर्थन दिया। तो वहीं दिल्ली में राष्ट्रपति चुनाव में एनडीए से अलग कांग्रेस के उम्मीदवार प्रणब मुखर्जी और प्रतिभा पाटिल का समर्थन किया।

अब हम आपको एनसीपी प्रमुख शरद पवार की महत्वाकांक्षाओं के बारे में बताते हैं। दरअसल शरद पवार केंद्र की राजनीति करना चाहते हैं। चुनाव के दौरान एनसीपी नेता और यूपीए सरकार में मंत्री रहे प्रफुल्ल पटेल पर छापे मारी और जांच एजेंसियों की जांच में डीकंपनी से संबंध होने के खुलासे हुए। इसके बाद शरद पवार ने आरोप लगाया कि विपक्ष के नेताओं को फंसाने के लिए सरकार जांच एजेंसियों का इस्तेमाल कर रही है।

यह भी पढ़ें...महाराष्ट्र में खिचड़ी: मोदी-पवार की मुलाकात खत्म, इन मुद्दों पर हुई चर्चा

बीजेपी से नाता तोड़ते ही शिवसेना के अलग होते ही एनसीपी ने समर्थन देने के लिए हाथ बढ़ाया, लेकिन संसद में पीएम मोदी के बयान के बाद से ही महाराष्ट्र की सियासत में एक बार फिर बदलाव देखने को मिल रहा है।

शिवसेना नेता संजय राउत भी कह चुके हैं शरद पवार को समझने के लिए सौ जन्म लेने पड़ेंगे, तो सपा संरक्षक मुलायम सिंह यादव भी कहते थे कि पवार को समझना मुश्किल नहीं नामुमकिन भी है।

यह भी पढ़ें...होमगार्ड ड्यूटी घोटाला मामले में CM की बड़ी कार्रवाई: एडीसी सतीश समेत 5 गिरफ्तार

महाराष्ट्र से निकलकर शरद पवार अपनी बेटी सुप्रिया सुले के लिए केंद्र में जगह तलाशने की जुगाड़ में लगे हुए हैं। तो वहीं शिवसेना प्रमुख उद्धव ठाकरे अपने बेटे आदित्य ठाकरे को मुख्यमंत्री बनाने का सपना देख रहे हैं। इन्ही वजहों से महाराष्ट्र में सरकार पर अभी सस्पेंस बरकरार है।

तो वहीं कांग्रेस अध्यक्ष सोनिया गांधी भी महाराष्ट्र को लेकर पसोपेश की स्थिति में हैं। सोनिया की कोर कमेटी में जो लोग हैं वे राहुल गांधी के करीबी माने जाते हैं। सूत्रों के मुताबिक महाराष्ट्र में सरकार बनाने के पक्ष में प्रियंका गांधी भी हैं, लेकिन उनका मानना है कि महाराष्ट्र में सरकार बनाकर ही बीजेपी को कमजोर किया जा सकता है। प्रियंका भी बीजेपी के नक्शे कदम कांग्रेस खड़ा करना चाहती है और पार्टी की हिंदू विरोधी छवि को बदलना चाहती हैं।

यह भी पढ़ें...चिदंबरम की जमानत याचिका पर SC ने टाली सुनवाई, अब इस दिन होगा फैसला

लेकिन केरल के नेता शिवसेना और कांग्रेस के गठबंधन के खिलाफ हैं। मीडिया में पहली खबर केरल के कांग्रेस नेताओं की तरफ से ही आई थी। केरल के ही वायनाड लोकसभा सीट से कांग्रेस के पूर्व अध्यक्ष राहुल गांधी सांसद हैं। मुस्लिम मतदाताओं ने कांग्रेस पार्टी को भारी संख्या में वोट दिए थे।

सबसे बड़ी बात यह है कि शिवसेना हिंदुत्व की राजनीति करती है और कांग्रेस अपने को सेक्यूलर बताती है। दोनों पार्टियों का एजेंडा अलग-अलग है। शिवसेना ने एक बार फिर सावरकर को भारत देने की मांग का समर्थन किया है, तो वहीं कांग्रेस इसका विरोध करती है।

यह भी पढ़ें...आतंकियों की खैर नहीं! ISRO करेगा भारत की रक्षा, दुश्मनों से ऐसे रखेगा सुरक्षित

केरल समेत दक्षिण भारत के पार्टी नेताओं को लगता है कि शिवसेना के साथ मिलकर सरकार बनाने पर कांग्रेस को इसका बड़ा नुकसान होगा। बता दें कि केरल के बड़े नेता एके एंटनी, केसी वेणुगोपाल और दूसरे नेताओं ने इस गठबंधन को लेकर सोनिया गांधी को आगाह भी किया है।

इस बीच शिवसेना में बगावत की खबर है। मिली जानकारी के मुताबिक शिवसेना के 17 विधायक पार्टी छोड़ सकते हैं। बागी 17 विधायकों ने शिवसेना प्रमुख उद्धव ठाकरे से मुलाकात की है। बताया जा रहा है कि ये सभी विधायक कांग्रेस से गठबंधन को लेकर नाराज हैं। तो वहीं खबर है कि कांग्रेस के कुछ वरिष्ठ नेता भी शिवसेना से गठबंधन पर नाराजगी जाहिर की है।



\
Dharmendra kumar

Dharmendra kumar

Next Story