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मंत्री ने दी मौत को मात: किए चौंकाने वाले खुलासे, 30 प्रतिशत थी बचने की उम्मीद

महाराष्ट्र के आवास मंत्री जितेंद्र आव्हाड कोरोना वायरस को मात देकर वापस अपने घर लौट चुके हैं। कोरोना को हराने के बाद घर लौट चुके जितेंद्र आव्हाड ने कहा कि वो डॉक्टर्स और नर्सों की मेहनत की वजह से ही कोरोना को मात दे पाए हैं।

Shreya
Published on: 19 May 2020 7:59 AM GMT
मंत्री ने दी मौत को मात: किए चौंकाने वाले खुलासे, 30 प्रतिशत थी बचने की उम्मीद
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मुंबई: महाराष्ट्र के आवास मंत्री जितेंद्र आव्हाड कोरोना वायरस को मात देकर वापस अपने घर लौट चुके हैं। वो बीते दिनों कोरोना की चपेट में आ गए थे। कोरोना को हराने के बाद घर लौट चुके जितेंद्र आव्हाड ने कहा कि वो डॉक्टर्स और नर्सों की मेहनत की वजह से ही कोरोना को मात दे पाए हैं। उन्होंने कहा कि कोरोना के चलते उनकी हालत काफी गंभीर थी। यहां तक डॉक्टरों ने ये तक कह दिया था कि उनके बचने की उम्मीद काफी कम है।

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मेरी बेटी से कहा गया था कि मेरे बचने के चांसेस काफी कम हैं

एक इंग्लिश अखबार से बातचीत करते हुए उन्होंने कहा कि, मैं तीन दिनों तक वेंटिलेटर पर था। उन्होंने बताया कि उनकी हालत काफी गंभीर थी। डॉक्टरों ने मेरी बेटी को बुलाकर उससे कहा था कि मेरे बचने की उम्मीद के केवल 30 फीसदी तक ही है। साथ ही बेटी से यह भी कहा कि अब वो मेरे बचने के लिए भगवान से प्रार्थना करें। आवास मंत्री ने कहा कि डॉक्टरों और नर्सों ने मेरी बहुत देखभाल की और मेरा हौसला बढ़ाया। जिसकी वजह से ही आज मैं ठीक हूं।

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19 अप्रैल को एक निजी हॉस्पिटल में भर्ती हुए आव्हाड

बता दें कि जितेंद्र आव्हाड मुम्ब्रा-कौसा क्षेत्र से विधायक हैं। उनके कुछ सुरक्षाकर्मी के कोरोना पॉजिटिव पाए जाने के बाद उन्होंने 13 अप्रैल को खुद को सावधानी बरतते हुए क्वारनटीन कर लिया था। आव्हाड 19 अप्रैल को एक निजी हॉस्पिटल में भर्ती हुए थे। भर्ती होने के कुछ दिनों बाद उनके कोरोना संक्रमित होने की पुष्टि हुई थी। 22 अप्रैल से 10 मई के बीच उन्हें कई बार ICU में भी रखा गया। इसके अलावा वो आखिरी तीन दिनों तक वेंटिलेटर पर भी रहे थे।

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ये वक्त मेरे जिंदगी के लिए काफी महत्वपूर्ण रहा

बता दें कि जितेंद्र आव्हाड को पहले से ही हाई ब्लड प्रेशर और डायबिटीज की समस्या थी। लेकिन आखिरकार तमाम प्रयासों के बाद उन्होंने कोरोना की लड़ाई को जीत लिया। उन्हें 10 मई को अस्पताल से छुट्टी दे दी गई। उन्होंने कहा कि बेहद आत्मविश्वास के साथ कोरोना से संक्रमित हुआ था। उन्होंने कहा कि 23 अप्रैल से 26 अप्रैल तक का वक्त मेरे जिंदगी के लिए काफी महत्वपूर्ण रहे। मेरे परिवार को बता दिया गया था कि मेरे बचने के चांसेस काफी कम हैं। उन्होंने कहा कि मैं अपनी जान के लिए काफी चिंतित था। हर पल मैंने जीवन और मौत के बारे में सोच कर गुजारा।

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