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मायावती के इस रिकार्ड को आज तक कोई मुख्यमंत्री नहीं तोड़ पाया
यूपी की राजनीति में विधायकों की कारगुजारियों की चर्चाएं अक्सर होती रहती हैं। अलग अलग मामलों में कई विधायक और पूर्व मंत्री तो जेल में हैं तो कुछ वर्तमान विधायक चर्चा में हैं।
श्रीधर अग्निहोत्री
लखनऊ: यूपी की राजनीति में विधायकों की कारगुजारियों की चर्चाएं अक्सर होती रहती हैं। अलग अलग मामलों में कई विधायक और पूर्व मंत्री तो जेल में हैं तो कुछ वर्तमान विधायक चर्चा में हैं। भाजपा सरकार की ‘नो टालरेंस’ नीति का ही असर रहा है कि अब तक पांच मंत्रियों को राज्य सरकार से बाहर किया जा चुका है। जबकि कुछ विधायकों को बाहर भी किया जा चुका है।
इन सरकारो में भी मंत्रियों और विधायकों पर खूब लगे आरोप
इन दिनों भाजपा के एक और विधायक रविन्द्र नाथ त्रिपाठी पर सामूहिक बलात्कार के आरोप लगे हैं जिसके बाद रविन्द्रनाथ त्रिपाठी के राजनीतिक भविष्य पर सवाल उठने शुरू हो गए हैं। ऐसा नहीं कि मंत्रियों और विधायकों पर लगे आरोपों के मामले इसी सरकार में उठे हों इसके पहले अखिलेश यादव और मायावती में भी मंत्रियों और विधायकों पर खूब आरोप लगे जिसके चलते कइयों को अपने पद से हाथ भी धोना पड़ा।
अखिलेश यादव ने अपने कार्यकाल में इन मंत्रियों को किया बर्खास्त
पूर्व मुख्यमंत्री अखिलेश यादव ने अपने कार्यकाल में ग्यारह कैबिनेट मंत्री और ग्यारह राज्यमंत्रियों को बर्खास्त किया और आधादर्जन से ज्यादा दर्जाप्राप्त राज्यमंत्रियों को बाहर का रास्ता दिखाया। इतनी बड़ी संख्या में मंत्रियों की छुट्टड्ढी करने के बाद मायावती से पीछे रहे। मायावती ने अपने कार्यकाल में दो दर्जन मंत्रियों और राज्यमंत्रियों को बर्खास्त किया और कुछ से इस्तीफा भी लिए।
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मायावती ने इन मंत्रियों को किया बर्खास्त
मायावती ने जिन मंत्रियों को बर्खास्त किया था उनमें कैबिनेट मंत्री अशोक कुमार दोहरे,राजपाल त्यागी,फतेहबहादुर सिंह,चन्द्रदेव यादव,राकेश धर त्रिपाठी, के अलावा राज्यमंत्रियो में राजेश त्रिपाठी,आनंद सेन,रतनलाल अहिरवार,अवधेश कुमार वर्मा,हरिओम उपाध्याय, अकबर हुसैन, यशपाल सिंह,सदल प्रसाद, अनीस अहमद खान, शहजिल इस्लाम,शामिल थे जबकि जिन मंत्रियो से इस्तीफा लिया गया उनमें बाबू सिंह कुशवाहा अनंत कुमार मिश्र,कमलाकांत गौतम, सुधीर गोयल, अवधपाल सिहं यादव, रंगनाथ मिश्र बादशाह सिंह,और राज्यमंत्री विद्याचैधरी,रघुनाथ प्रसाद,जमुना निषाद (दिवंगत) दद्दन मिश्र शामिल थे।
इन मंत्रियों को दोबारा मंत्रिमंडल में नहीं किया गया शामिल
मायावती ने बर्खास्त किए गए या फिर इस्तीफा दे चुके किसी मंत्री या राज्यमंत्री को दुबारा मंत्रिमंडल में शामिल नहीं किया। जबकि अखिलेश यादव ने बर्खास्त किए गए मंत्रियो में तीन को वापस लिया। मंत्रियों को बर्खास्त न करने में सबसे ज्यादा उदारता मुख्यमंत्री रामप्रकाश गुप्त ने दिखाई जबकि उनके बाद बने मुख्यमंत्री राजनाथ सिंह ने कैबिनेट मंत्री नरेश अग्रवाल और स्वतंत्र प्रभार के राज्यमंत्री अशोक यादव और अमरमणि त्रिपाठी को बर्खास्त किया था। जबकि मुलायम सिंह यादव ने अपने पिछले मुख्यमंत्रित्वकाल में दो राज्यमंत्रियों बृजेन्द्र प्रताप सिंह और मिथिलेश कुमार को बर्खास्त किया था।
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मायावती ने मंत्रियों को बर्खास्त करने में देर नहीं लगाई
मुख्यमंत्री रहते हुए मायावती ने लोकायुक्त की सिफारिशों या फिर किसी जांच एजेसी के इंगित करने पर मंत्रियों को बर्खास्त करने में देर नहीं लगाई बल्कि अपराधिक घटनाओं में लिप्तता पाए जाने पर कई मंत्रियों को जेल भी भिजवाया जिनके कई कैबिनेट मंत्री भी थे। जिस तरह मुख्यमंत्री अखिलेश यादव ने वर्ष 2015 मे एक बारगी पांच कैबिनेट मंत्रियों सहित कई राज्यमंत्रियों को बर्खास्त किया था उसी तर्ज पर मुख्यमंत्री रहते हुए कल्याण सिंह ने अपने एक साथ पांच राज्यमंत्रियों को बर्खास्त किया था।
1997-98 की गठबंधन सरकार में कल्याण सिंह ने तख्ता पलट के आरोप में अपने मंत्रिमंडल में परिवहन मंत्री रहे जगदंबिका पाल को भी बर्खास्त किया था जबकि अपने पहले मुख्यमंत्रित्वकाल में श्री सिंह ने स्वास्थ्य मंत्री डा.दिनेश जौहरी को बर्खास्त किया था। हालांकि कल्याण सिंह को भी 1977 में यूपी में बनी पहली जनता पार्टी की सरकार के मुखिया रामनरेश यादव ने आरोपों के चलते मंत्रिमंडल से बर्खास्त किया था।
समाजवादी पार्टी की पिछली सरकार में तत्कालीनं खनन मंत्री गायत्री प्रजापति और पशुपालन मंत्री राजकिशोर सिंह को बर्खास्त करने से पहले मुख्यमंत्री अखिलेश यादव ने मार्च 2014 में कैबिनेट मंत्री राजा आनंद सिंह, राज्य मंत्री मनोज पारस और पवन पांडेय को हटाया तो अप्रैल 2013 में कैबिनेट मंत्री राजा राम पांडेय को तथा जून 2014 में और मनोज पांडेय को बर्खास्त कर दिया।
अखिलेश यादव ने 2015 में एक साथ 8 मंत्रियों को बर्खास्त किया
इनमें से राजा राम पांडेय की मृत्यु हो चुकी है। जबकि गोंडा में सीएमओं को धमकाने के आरोप में अखिलेश ने कैबिनेट मंत्री विनोद कुमार सिंह उर्फ पंडित सिंह से इस्तीफा ले लिया था लेकिन बाद में उन्हे मंत्रिमंडल में वापस भी ले लिया था। इसके बाद अखिलेश यादव ने 29 अक्तूबर 2015 को एक साथ आठ मंत्रियों को बर्खास्त कर दिया था।
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इनमें स्टाम्प एवं न्याय शुल्क पंजीयन व नागरिक सुरक्षा मंत्री राजा महेंद्र अरिदमन सिंह, पिछड़ा वर्ग कल्याण एवं विकलांग कल्याण मंत्री अंबिका चैधरी, वस्त्र उद्योग एवं रेशम विभाग मंत्री शिव कुमार बेरिया, प्राविधिक शिक्षा मंत्री शिवाकांत ओझा, खादी एवं ग्रामोद्योग मंत्री नारद राय, प्राविधिक शिक्षा राज्यमंत्री आलोक कुमार शाक्य, बेसिक शिक्षा राज्यमंत्री योगेश प्रताप सिंह और सूक्ष्म, लघु एवं मध्यम उद्यम एवं निर्यात प्रोत्साहन राज्यमंत्री (स्वतंत्र प्रभार)भगवत शरण गंगवार शामिल थे। यही नहीं इसी दिन उन्होंने नौ मंत्रियों के विभाग भी छीन लिए थे।
इसके बाद जून 2016 में कौमी एकता दल के विलय के मामले में माध्यमिक शिक्षा मंत्री बलराम यादव को मंत्रिमंडल से बर्खास्त कर दिया गया। हालांकि कुछ ही दिनों के बाद उनकी मंत्रिमंडल में वापसी हो गयी। इसके अलावा कुंडा के सीओ जिया उल हक की हत्या की सीबीआई जांच के चलते कैबिनेट मंत्री रघुराज प्रताप सिंह उर्फ राजा भइया ने सीबीआई जांच पूरी होने तक अपना इस्तीफा दे दिया था।
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