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तबलीगी जमात के मुद्दे पर छिड़ी सियासी जंग, सोशल मीडिया बना बड़ा अखाड़ा
देश की राजधानी दिल्ली में कोरोना वायरस के हमले के बीच तबलीगी जमात के आयोजन ने अब सियासी रंग ले लिया है। इसे लेकर आरोप-प्रत्यारोप के तीखे तीर चलने शुरू हो गए हैं। सोशल मीडिया भी आरोप-प्रत्यारोप के एक बड़े अखाड़े में तब्दील हो चुका है।
अंशुमान तिवारी
नई दिल्ली: देश की राजधानी दिल्ली में कोरोना वायरस के हमले के बीच तबलीगी जमात के आयोजन ने अब सियासी रंग ले लिया है। इसे लेकर आरोप-प्रत्यारोप के तीखे तीर चलने शुरू हो गए हैं। सोशल मीडिया भी आरोप-प्रत्यारोप के एक बड़े अखाड़े में तब्दील हो चुका है। फेसबुक,टि्वटर और व्हाट्सएप पर ऐसे संदेशों की बाढ़ आ गई है जिनमें इस आयोजन को जमकर कोसा जा रहा है और एक बड़ी साजिश करार दिया जा रहा है।
एक दूसरा वर्ग भी है जो इस आयोजन को पूरी तरह क्लीनचिट दे रहा है। सही बात तो यह है कि कोरोना के दंश के बीच शाहीनबाग का मुद्दा तो ठंडा पड़ गया मगर तबलीगी जमात का आयोजन सियासी तीर चलाने का एक बड़ा जरिया बन गया है।
कई राज्यों के लोगों ने की हिस्सेदारी
राजधानी के निजामुद्दीन इलाके में 15 से 18 मार्च तक तबलीगी जमात का यह आयोजन किया गया था। इस आयोजन में उत्तर प्रदेश, कर्नाटक, तेलंगाना, महाराष्ट्र, केरल, दिल्ली सहित विभिन्न राज्यों के लोगों ने हिस्सेदारी की थी। मिली जानकारी के मुताबिक इस आयोजन में काफी संख्या में विदेशी भी शामिल हुए थे। यह विदेशी बांग्लादेश,श्रीलंका, अफ़ग़ानिस्तान, मलेशिया, सऊदी अरब,चीन और इंग्लैंड आदि देशों के थे। आयोजन को लेकर हड़कंप तो तब मचा जब इसमें हिस्सा लेने वाले 10 लोगों की किलर कोरोना वायरस ने जान ले ली और सैकड़ों अन्य लोग संक्रमित हो गए। अब यह मुद्दा सियासी अखाड़े में तब्दील हो चुका है।
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नकवी ने बताया तालिबानी गुनाह
केंद्रीय मंत्री मुख्तार अब्बास नकवी ने तबलीगी जमात के आयोजन पर तीखी प्रतिक्रिया जताई है। उन्होंने देशव्यापी लॉकडाउन के बीच इस आयोजन को तालिबानी गुनाह तक की संज्ञा दे दी। उन्होंने कहा कि इस आयोजन के पाप को कभी माफ नहीं किया जा सकता। नकवी ने इसे गंभीर आपराधिक हरकत बताया। उन्होंने कहा कि जब पूरा देश एकजुट होकर कोरोना वायरस के खिलाफ जंग लड़ रहा है, ऐसे में इस गंभीर गुनाह को किसी भी नजरिए से माफ नहीं किया जा सकता।
भाजपा सांसद ने बताया साजिश
दिल्ली से ही भाजपा के सांसद और प्रदेश भाजपा अध्यक्ष मनोज तिवारी कहते हैं कि उन्हें इस आयोजन के पीछे किसी साजिश की बू आती है। उनका कहना है कि कोरोना वायरस के संक्रमण को रोकने के लिए जब देशव्यापी लॉकडाउन का दौर चल रहा हो, तब ऐसे आयोजन का मतलब ही क्या है। वे कहते हैं कि पूरे मामले की जांच पड़ताल होनी चाहिए क्योंकि निश्चित रूप से इस तरह का आयोजन करने वाले लोगों को आसानी से नहीं छोड़ा जा सकता।
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केजरीवाल सरकार भी निशाने पर
वे यह सवाल उठाते हुए कहते हैं कि जब देश के पीएम पूरे देश को इस वायरस के संक्रमण से बचाने में जुटे हुए हैं, ऐसे समय में इस तरह का आयोजन करना कहीं किसी साजिश का हिस्सा तो नहीं। भाजपा सांसद ने इस आयोजन को लेकर दिल्ली की केजरीवाल सरकार पर भी हमला बोला। उन्होंने कहा कि दिल्ली की सरकार सोती रही और इस तरीके का आयोजन देश की राजधानी में ही किया गया जिससे देश के सारे लोगों को खतरा पैदा हो सकता है। उनका कहना है कि अगर केजरीवाल सरकार सक्रिय होती तो इस तरीके का आयोजन हो ही नहीं सकता था।
कट्टरपंथी मुस्लिम नहीं मान रहे लॉकडाउन
शिया सेंट्रल वक्फ बोर्ड के अध्यक्ष वसीम रिजवी का कहना है कि तबलीगी जमात दुनिया की सबसे खतरनाक जमात है जो आतंकियों के लिए मानव बम तैयार करती है। उन्होंने कहा कि कुछ कट्टरपंथी मुस्लिम पीएम मोदी के कोरोना पर नियंत्रण पाने की कोशिशों को कमजोर बनाने की साजिश रच रहे हैं।
उन्होंने कहा कि इसके लिए जिम्मेदार लोगों के खिलाफ कार्रवाई की जानी चाहिए। रिजवी ने एक वीडियो संदेश में कहा कि पीएम मोदी का लॉकडाउन का फैसला देश की जनता की भलाई के लिए है, लेकिन कुछ कट्टरपंथी मुसलमान पीएम मोदी के प्रति दुश्मनी रखते हैं और वह इस लॉकडाउन को विफल करने की कोशिश कर रहे हैं। अगर यह महामारी मुस्लिम इलाकों में फैलती है और यदि इससे कोई मौत होती है तो उन मौतों के लिए जिम्मेदार लोगों और उनके परिवार के खिलाफ सरकार को मुकदमे दर्ज कराने चाहिए।
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सियासी जंग में उमर भी कूदे
इस सियासी जंग मैं जम्मू कश्मीर के पूर्व मुख्यमंत्री और नेशनल कांफ्रेंस के नेता उमर अब्दुल्ला भी कूद पड़े हैं। उमर अब्दुल्ला का कहना है कि तबलीगी जमात के आयोजन को लेकर इंटरनेट पर जबरदस्त ट्रोलिंग हो रही है। अब्दुल्ला का कहना है कि कोरोना का दोष मुस्लिम समाज पर नहीं मढ़ा जाना चाहिए। वे कहते हैं कि अब तो कुछ लोग कहेंगे कि मुस्लिमों ने ही कोरोना वायरस पैदा किया और उसे सारी दुनिया में फैला दिया।
मुस्लिमों पर दोषारोपण उचित नहीं
हाल ही में पब्लिक सेफ्टी एक्ट (पीएससी) से रिहा होने वाले उमर अब्दुल्ला ने सोशल मीडिया पर मुस्लिमों को ट्रोल करने पर सिलसिलेवार कई ट्वीट कर डालें। उमर का कहना है कि अब तबलीगी जमात कुछ लोगों के लिए आसान बहाना बन जाएगा ताकि वे इसी बहाने मुस्लिमों को गाली दे सकें। वे कहते हैं कि मुस्लिमों पर दोषारोपण करने से पहले यह सोचना चाहिए कि मुस्लिमों ने भी अन्य वर्गों की तरह सारे नियमों और निर्देशों का पूरी तरह पालन किया। उन्हें कटघरे में खड़ा करना कतई उचित नहीं है।
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मामले की जांच कर कार्रवाई हो
मुस्लिम धर्मगुरु राशिद फिरंगी महली ने कहा कि तबलीगी जमात एक धार्मिक संगठन है जो दुनिया भर में फैला हुआ है।इसका मकसद यह है कि एक इंसान का दूसरे इंसान से कैसा व्यवहार होना चाहिए। ये लोग पूरी दुनिया में प्यार का पैगाम पहुंचाने की कोशिश करते हैं। हालांकि उन्होंने इस आयोजन को अफसोसनाक बताया।
उन्होंने कहा कि इस मामले की जांच होनी चाहिए और उसके मुताबिक ही जिम्मेदारियां तय की जानी चाहिए। उन्होंने यह भी अनुरोध किया कि जो लोग भी मरकज में शामिल हुए हैं और उसके बाद मुल्क के जिस भी हिस्से में गए हैं वहां के स्थानीय प्रशासन को अपनी जानकारी दें। वह खुद ही अपना टेस्ट कराने के लिए आगे आएं ताकि प्रशासन उनकी जांच करके आगे इलाज कर सके।
आयोजन मानवता के खिलाफ अपराध
भाजपा सांसद राकेश सिन्हा की प्रतिक्रिया मनोज तिवारी से भी तीखी है। वे तबलीगी जमात के आयोजन को मानवता के खिलाफ एक बड़ा अपराध बताते हैं। उनका कहना है कि जिस समय पूरा देश कोरोना वायरस से जंग लड़ रहा हो ऐसे में इस तरह का आयोजन करना एक भारी भूल थी और इससे पूरे समाज को खतरा पैदा हो गया है। हालांकि वे यह भी कहते हैं कि यह मानवता की बात है और इसका रिश्ते, धर्म और जाति का कोई लेना देना नहीं है।
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संघ से क्यों नहीं ली नसीहत
सिन्हा का कहना है कि कोरोना वायरस के संक्रमण के कारण जब देशभर में शादियां स्थगित हो गईं तो इस आयोजन को क्यों नहीं स्थगित किया गया। वे बेंगलुरु में आरएसएस के सम्मेलन को स्थगित करने का उदाहरण देते हुए कहते हैं कि जब संघ यह कदम उठा सकता है तो तबलीगी जमात भी आयोजन को स्थगित कर सकती थी। उन्होंने इस आयोजन को बहुत बड़ा ब्लंडर बताते हुए कहा कि यह जुर्म से कम नहीं है। वे आयोजकों से सवाल करते हैं कि क्या पूरे समाज को खतरे में डालना उचित है।
मुद्दे का हो रहा राजनीतिकरण
भाजपा और जमात दोनों के करीबी मुंबई के जफर सरेशवाला इस बात को स्वीकार करते हैं कि इस मुद्दे का राजनीतिकरण हो रहा है। वे इसके लिए दिल्ली के मुख्यमंत्री अरविंद केजरीवाल पर निशाना साधते हैं। उनका कहना है कि केजरीवाल ने एफआईआर की जो बात कही है वह सियासी फायदा उठाने की कोशिश ही है। वे केजरीवाल की समझ पर सवाल उठाते हुए कहते हैं कि उन्हें तबलीगी जमात के बारे में कोई जानकारी ही नहीं है।
सोशल मीडिया पर भी छिड़ गई जंग
तबलीगी जमात के आयोजन को लेकर सोशल मीडिया भी एक बड़ा अखाड़ा बन गया है। फेसबुक, ट्विटर और व्हाट्सएप पर टिप्पणियों और वीडियो संदेशों के आदान-प्रदान की बाढ़ आ गई है। कोरोना जेहाद, निजामुद्दीन मरकज और तबलीगी जमात जैसे हैशटैग ट्रेंड कर रहे हैं। कोई इसे कोरोना वायरस का हमला बता रहा है तो कोई इसे कोरोना जेहादी हमला बता रहा है।
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दोनों ओर से हो रही जमकर बैटिंग
एक वर्ग इसे भारत को बर्बाद करने की साजिश तक कह रहा है। दूसरे वर्ग की ओर से भी जमकर बैटिंग की जा रही है। निजामुद्दीन इलाके में ही रहने वाले मकसूद आलम का कहना है कि मेरे समुदाय के कुछ लोगों को लगता है कि इस पूरे मामले को धार्मिक एंगिल से देखने की कोशिश की जा रही है। मुस्लिम पक्ष की पैरोंकारी में उतरे लोगों का कहना है कि तबलीगी जमात ने इस बाबत बाकायदा शासन और प्रशासन को सूचना दी थी इसलिए उन्हें कटघरे में खड़ा करना उचित नहीं है। यह वर्ग तबलीगी जमात की ओर से जारी बयान को अपनी ढाल बना रहा है।
लोगों के पास सही जानकारी नहीं
तबलीगी जमात से जुड़े वसीम अहमद का भी मानना है कि उनके खिलाफ जो भी बयान दिए जा रहे हैं वह सही जानकारी न होने के कारण ही दिए जा रहे हैं। वे यह भी दावा करते हैं कि गृह मंत्रालय के पास इस बाबत सही जानकारी है और यही कारण है कि गृह मंत्रालय हमें दोषी नहीं मान रहा है। वैसे उनका यह भी कहना है कि इस पूरे मामले को सियासी और धार्मिक रंग देने वालों में मुस्लिम समुदाय के भी कुछ ऐसे लोग शामिल हैं जो उनकी जमात के खिलाफ हैं।
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जमात ने रखा अपना पक्ष
जमात के एक प्रवक्ता मौलाना मोतिउर रहमान हैदराबादी का कहना है कि अचानक यातायात के सभी साधन बंद हो जाने के कारण मरकज में मौजूद लोग वहीं फंस गए। वे पुलिस पर निशाना साधते हुए कहते हैं कि पुलिस ने हीं हमें सलाह दी कि अब ना कोई बाहर जाएगा और ना अंदर।
पुलिस ने नहीं की कोई व्यवस्था
जमात का कहना है कि पुलिस ने जानकारी होने के बाद भी लोगों के जाने की व्यवस्था नहीं की और मामला प्रशासनिक अधिकारियों पर टाल दिया। प्रशासनिक अधिकारियों ने मरकज में फंसे लोगों के घर लौटने की कोई व्यवस्था ही नहीं की। इस कारण लोग वहीं फंस गए और अब उन्हें गुनहगार बताया जा रहा है।