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महाराष्ट्र: गठबंधन में दरार, सरकार बनते ही मचा बवाल
शिवसेना प्रमुख उद्धव ठाकरे ने महाराष्ट्र के मुख्यमंत्री के तौर पर शपथ ले ली है, लेकिन उनके सामने शपथ लेने के बाद ही चुनौती खड़ी हो गई है। अब उनके लिए एनसीपी और कांग्रेस को साधना कठिन काम होगा।
नई दिल्ली: शिवसेना प्रमुख उद्धव ठाकरे ने महाराष्ट्र के मुख्यमंत्री के तौर पर शपथ ले ली है, लेकिन उनके सामने शपथ लेने के बाद ही चुनौती खड़ी हो गई है। अब उनके लिए एनसीपी और कांग्रेस को साधना कठिन काम होगा। इस बात का अंदाजा इसी से लगाया जा सकता है कि कई दौर की मीटिंग के बाद भी मंत्रालयों के बंटवारे पर फैसला नहीं हो पाया है।
अब नई जानकारी सामने आ रही है कि एनसीपी ने उप मुख्यमंत्री का पद छोड़ दिया है। अब यह पद कांग्रेस को मिल गया है। तो वहीं स्पीकर का पद एनसीपी को मिला है। महाराष्ट्र में एक ही उपमुख्यमंत्री होगा। इससे साफ है कि अजित पवार उपमुख्यमंत्री नहीं बनेंगे। अभी सरकार बने सिर्फ एक दिन हुआ है और शुक्रवार को उद्धव ने मुख्यमंत्री पद का कार्यभार संभाला है।
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कांग्रेस के एक नेता ने कहा कि सभी पार्टियों ने गृह, शहरी विकास, राजस्व, हाउसिंग ऐंड कोऑपरेशन मंत्रालयों पर दावा ठोका है। हमें उम्मीद है कि शरद पवार दखल देंगे।
उन्होंने कहा कि हमें लगता है कि समय पर सभी विवाद समाप्त हो जाएंगे और नई सरकार अच्छे से काम करना शुरू कर देगी। इससे पहले बुधवार को पूर्व मुख्यमंत्री मंत्री पृथ्वीराज चव्हाण ने स्पीकर का पद लेने से इंकार कर दिया था। इसके बाद कांग्रेस ने डिप्टी सीएम और एक अतिरिक्त मंत्री पद की मांग रखी थी। कांग्रेस नेता के बयान के बाद साफ है कि मलाई दार मंत्रालय के लिए अभी से कांग्रेस-एनसीपी-शिवसेना में लड़ाई चल रही है।
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पृथ्वीराज चव्हाण ने भी पुष्टि की थी कि उन्होंने प्रदेश कांग्रेस अध्यक्ष बालासाहेब थोराट से कहा था कि वह नई विधानसभा में स्पीकर का पद नहीं लेंगे। चव्हाण की राय सामने आई थी कि सीएम रहे हुए शख्स को स्पीकर का पद नहीं संभालना चाहिए, प्रोटोकॉल मुख्यमंत्री से कम है।
तो वहीं पूर्व सीएम अशोक चव्हाण को कोई मंत्रालय की जिम्मेदारी न मिलने से भी कांग्रेस का एक वर्ग निराश है। कांग्रेस के एक नेता का कहना है कि हम मानते हैं कि पूर्व मुख्यमंत्रियों अशोक चव्हाण और पृथ्वीराज चव्हाण को कैबिनेट में जगह दी जानी चाहिए थी। कांग्रेस नेताओं को उम्मीद है कि ठाकरे कैबिनेट का जब विस्तार होगा तो इन नेताओं को जगह जरूर मिलेगी।
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सबसे बड़ी बात यह है कि उद्धव ठाकरे की शपथ में सोनिया गांधी, राहुल गांधी शामिल नहीं हुए और मनमोहन सिंह भी नहीं पहुंचे जबकि उद्धव के बेटे आदित्य ठाकरे ने दिल्ली जाकर इन लोगों को शपथ में आने के लिए निमंत्रण दिया था। हालांकि तीनों ने अलग-अलग पत्रों में ठाकरे को बधाई दी।