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शपथ ग्रहण में करोड़ों खर्च: केजरीवाल ही नहीं इन दिग्गजों ने भी जमकर की फिजूलखर्ची
भव्य शपथ ग्रहण समारोह पिछले कुछ समय से ट्रेंड में हैं। चुनावी जीत के बाद राजनीतिक शक्ति- प्रभाव के प्रदर्शन के लिए शपथ समारोह का आयोजन बड़े स्तर पर होता है।
लखनऊ: दिल्ली में आज अरविंद केजरीवाल (Arvind kejriwal) का शपथ ग्रहण समारोह हुआ। भव्य स्तर पर रामलीला मैदान में आयोजित इस समारोह में लाखों लोग शामिल हुए। हालाँकि स्पष्ट है कि समारोह में काफी खर्चा भी हुआ होगा। लेकिन भारत में एक राज्य के ऐसे भी मुख्यमंत्री हैं जो भव्य शपथ ग्रहण समारोह को फिजूलखर्ची मानते हैं। उनका शपथ ग्रहण कार्यक्रम (Huge Oath Ceremony) न तो कभी इस कदर भव्य हुआ और न हीं उन्होंने दोबारा सत्ता में आने पर इस तरह के समारोह आयोजित किये जाने की बात का समर्थन किया है। हम जिस नेता की बात कर रहे है, वह पंजाब के मुख्यमंत्री डॉ. अमरिंदर सिंह है।
भारत में भव्य शपथ ग्रहण समारोह पिछले कुछ समय से ट्रेंड में हैं। चुनावी जीत के बाद अपनी राजनीतिक शक्ति और प्रभाव के प्रदर्शन के लिए शपथ समारोह का आयोजन इतने बड़े स्तर पर किया जाता है, जिसका शोर अन्तराष्ट्रीय स्तर तक पहुँचता है। ऐसे समारोह में खूब पैसे खर्च किये जाते हैं।
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इन राज्यों में शपथ ग्रहण समारोह हुआ बेहद भव्य:
दिल्ली में अरविंद केजरीवाल का 2020 में आयोजित शपथ ग्रहण समारोह काफी भव्य रहा। लाखों लोग इस कार्यक्रम में शामिल हुए। समारोह को लेकर पहले से ऐड दिए गये। खुद सीएम केजरीवाल ने अपने ट्वीटर से सभी को समारोह में शामिल होने का न्योता दिया।
कर्नाटक में कुमारस्वामी का शपथ समारोह :
अगर भव्य शपथ ग्रहण समारोह की बात की जाये, तो कर्नाटक में कुमारस्वामी का शपथ मंच हर किसी के जहन में ताजा हो जाता है। इस मई 2018 में जब कुमारास्वामी कर्नाटक के मुख्यमंत्री बने थे तो उनका शपथ समारोह विपक्षी एकता के प्रदर्शन का मंच बन गया। देश के लगभग सभी बड़े नेता इस कार्यक्रम में शामिल हुए थे।
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ये समारोह बेहद भव्य और बड़े स्तर का था। एक मंच पर विपक्षी एकजुटता की झलक दिखी, जिसमें सोनिया गांधी, कांग्रेस अध्यक्ष राहुल गांधी, पूर्व प्रधानमंत्री और एचडी कुमारस्वामी के पिता एचडी देवेगौड़ा, पश्चिम बंगाल की मुख्यमंत्री ममता बनर्जी, केरल के मुख्यमंत्री पिनारई विजयन, आंध्र प्रदेश के मुख्यमंत्री एन. चंद्रबाबू नायडू, उत्तर प्रदेश के पूर्व मुख्यमंत्री अखिलेश यादव, मायवती और माकपा नेता सीताराम येचुरी सब एक साथ नजर आये।
बिहार में नीतीश कुमार का शपथ ग्रहण:
साल 2015 में जेडीयू और आरजेडी ने मिल कर चुनाव लड़ा और नीतीश कुमार-लालू यादव के गठबंधन ने बिहार में जबरदस्त चुनावी जीती हासिल की। नीतीश कुमार मुख्यमंत्री बने। उस दौरान उनक शपथ ग्रहण समारोह भी काफी भव्य तरीके से आयोजित किया गया था। इस कार्यक्रम में भी देश के तकरीबन सभी बड़े नेता शामिल हुए थे।
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पीएम मोदी का शपथ ग्रहण:
बात अगर भव्य समारोह की हो तो देश के प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी का शपथ ग्रहण समारोह कार्यक्रम पूरी दुनिया के लिए चर्चा का केंद्र बना। साल 2014 में बीजेपी बहुमत के साथ सत्ता में आई, जब पीएम के तौर पर नरेंद्र मोदी ने शपथ ली तो कार्यक्रम की शोभा और भव्यता देखते ही बनी। वहीं जब साल 2019 में मोदी दोबारा पीएम बने और शपथ कार्यक्रम का आयोजन हुआ तो वो भी बड़े स्तर का रहा।
इस दिग्गज नेता को ऐसे समारोह से परहेज, मानते हैं फिजूल खर्ची:
अपनी राजनीतिक शक्ति प्रदर्शित करने वाले इन भव्य समारोह को नकारते हुए एक ऐसे भी नेता है, जिन्होंने इसे फिजूलखर्ची माना। दरअसल, पंजाब के मुख्यमंत्री कैप्टन अमरिंदर सिंह ने इस मामले मे हमेशा ही लीक से हटकर चले। साल 2017 में जब पंजाब में कैप्टन अमरिंदर ने प्रचंड जीत हासिल की तो उन्होंने भव्य शपथ ग्रहण को फिजूलखर्ची बता दिया।
उन्होंने कहा कि राज्य की वित्तीय समस्याओं पर पैसा खर्च करना चाहिये और शपथ ग्रहण समारोह को सादगी से मनाया जाएँ। उनकी सरकार ने तय किया कि जब राज्यपाल वीपी सिंह नए मुख्यमंत्री के तौर पर अमरिंदर सिंह को शाप्र्थ दिलवाएंगे तो यह कार्यक्रम राजभवन में सादगी से आयोजित किया जायेगा।