महाराष्ट्र में राज्यपाल की बैठक पर सियासत गरमाई, शिवसेना ने साधा निशाना

कोरोना से सबसे ज्यादा संक्रमित राज्य महाराष्ट्र में इन दिनों सियासत भी काफी गरमाई हुई है। पश्चिम बंगाल की तरह यहां भी राज्यपाल द्वारा अफसरों की बैठक करने पर विवाद खड़ा हो गया है।

Shreya
Published on: 10 April 2020 5:50 PM IST
महाराष्ट्र में राज्यपाल की बैठक पर सियासत गरमाई, शिवसेना ने साधा निशाना
X

अंशुमान तिवारी

नई दिल्ली: कोरोना से सबसे ज्यादा संक्रमित राज्य महाराष्ट्र में इन दिनों सियासत भी काफी गरमाई हुई है। पश्चिम बंगाल की तरह यहां भी राज्यपाल द्वारा अफसरों की बैठक करने पर विवाद खड़ा हो गया है। यह विवाद उस समय पैदा हुआ जब राज्य में बढ़ते कोरोना संकट पर विचार करने के लिए राज्यपाल ने अफसरों के साथ वीडियो कांफ्रेंसिंग के जरिये चर्चा की। शिवसेना इस बैठक को लेकर राज्यपाल से काफी नाराज है और पार्टी ने कहा है कि इस तरह की बैठकों के आयोजन से राज्य में समानांतर शासन का भ्रम पैदा होगा।

सरकार के कदमों के बारे में पूछा

राज्यपाल ने अफसरों के साथ हुई चर्चा में राज्य में कोरोना के संक्रमण को रोकने के लिए किए जा रहे उपायों पर बातचीत की। उन्होंने अफसरों से इस बाबत पूछताछ की कि सरकार की ओर से कोरोना के संक्रमण को रोकने के लिए क्या-क्या कदम उठाए जा रहे हैं। राज्यपाल के पूछने पर अफसरों ने इस बाबत किए जा रहे उपायों का पूरा ब्योरा दिया।

यह भी पढ़ें: बड़ी खबर: नेपाल से कोरोना फैलाने की साजिश, भारत में ऐसे भेजे जा रहे मरीज

अफसरों के साथ इन मुद्दों पर भी चर्चा

राज्यपाल ने अफसरों के साथ मुख्य रूप से मजदूरों, प्रवासियों और बेघर लोगों के लिए चिकित्सा सुविधाओं और खाद्य पदार्थों की उपलब्धता पर चर्चा की। कोरोना वायरस के प्रकोप और उसके बाद लॉकडाउन के कारण यह वर्ग सबसे ज्यादा प्रभावित हुआ है।

बैठक में कृषि उत्पादों की बिक्री, राहत प्रयासों में गैर सरकारी संगठनों की भागीदारी और अन्य मुद्दों पर भी चर्चा की गई। इसके साथ ही राजधानी दिल्ली के निजामुद्दीन में आयोजित मरकज से वापस लौटने वाले लोगों को ट्रेस करने के लिए किए जा रहे उपायों पर भी चर्चा हुई। बैठक में संभागीय आयुक्तों, बीएमसी के अतिरिक्त आयुक्त और 10 जिलों के डीएम ने हिस्सा लिया।

राज्यपाल पर साधा निशाना

अफसरों के साथ राज्यपाल की चर्चा के बाद राज्य की सियासत गरमा गई है और शिवसेना ने राज्यपाल पर निशाना साधा है। शिवसेना का कहना है कि ऐसी स्थिति में जब महाराष्ट्र में एक मजबूत सरकार काम कर रही है, राज्यपाल की अफसरों के साथ की गई इस चर्चा से राज्य में समानांतर शासन चलने का भ्रम पैदा होगा। शिवसेना ने राज्यपाल के इस रवैए पर गहरी आपत्ति जताई है।

यह भी पढ़ें: 533 करोड़ रूपये वाला ये एक्टर, आज है कई अरबों का मालिक

कमांड का एक ही केंद्र हो

शिवसेना के मुखपत्र सामना में राज्यपाल पर निशाना साधते हुए कहा गया है कि प्रशासन को निर्देश देने के लिए कमांड का सिर्फ एक ही केंद्र होना चाहिए। सामना के मुताबिक केंद्र सरकार में प्रधानमंत्री और राज्य में मुख्यमंत्री के पास निर्देश देने का अधिकार है। पिछले दिनों प्रधानमंत्री द्वारा की गई वीडियो कांफ्रेंसिंग में मुख्यमंत्री उद्धव ठाकरे और एनसीपी प्रमुख शरद पवार ने कोरोना से लड़ने के लिए पूरी एकजुटता दिखाई थी।

पवार ने दी पीएम को जानकारी

सामना में कहा गया है कि कोरोना वायरस से निपटने के लिए महाराष्ट्र सरकार द्वारा किए गए प्रयासों की एनसीपी नेता शरद पवार ने प्रशंसा की थी। सामना के मुताबिक पवार ने पीएम मोदी और गृह मंत्री अमित शाह को राज्यपाल की अधिकारियों के साथ की गई बैठक के बारे में भी अवगत कराया।

यह भी पढ़ें: यहां कोरोना से 65 साल की महिला की मौत, सामने आए 26 नये केस, मचा हड़कंप

मामले को गंभीरता से लें

शिवसेना के मुखपत्र में कहा गया है कि इसमें कड़वाहट जैसी बात तो नहीं है, लेकिन अगर कोई समानांतर सरकार चलाता है तो उससे राज्य के अफसरों में भ्रम पैदा होगा। शिवसेना के मुताबिक अगर पवार जैसे वरिष्ठ नेता को यह बात महसूस होती है तो इस मामले को गंभीरता से लिया जाना चाहिए। अखबार में यह भी कहा गया है कि राज्यपाल अतीत में आरएसएस के प्रचारक और भाजपा कार्यकर्ता रहे हैं। इसलिए वह काम के प्रति ज्यादा उत्साहित हैं।

फडणवीस प्रकरण की दिलाई याद

सामना में राज्यपाल द्वारा देवेंद्र फडणवीस को मुख्यमंत्री पद की शपथ दिलाई जाने की याद दिलाते हुए भी हमला किया गया है। सामना के मुताबिक राज्य को एक ऐसा राज्यपाल मिला है जो किसी भी अनुसूची का पालन नहीं करता। इसका अनुभव लोगों ने उस समय खुद ही किया था जब राज्यपाल ने तड़के फडणवीस और अजीत पवार को शपथ दिला दी थी।

यह भी पढ़ें: 30 तक बढ़ा लॉकडाउन: इस राज्य के सीएम ने किया ऐलान, अभी रहें घरों में

Shreya

Shreya

Next Story