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व्हाट्सएप प्राइवेसी पॉलिसी पर सुनवाई, HC ने कहा- एप डाउनलोड करना जरूरी नहीं

दिल्ली हाईकोर्ट में व्हाट्सएप प्राइवेसी पॉलिसी मामले पर सुनवाई के दौरान केंद्र सरकार की तरफ से कहा गया कि यह भी चिंता का विषय है कि भारतीय यूजर्स के लिए व्हाट्सएप द्वारा नीति में एकतरफा बदलाव किया गया।

Dharmendra kumar
Published on: 25 Jan 2021 11:55 PM IST
व्हाट्सएप प्राइवेसी पॉलिसी पर सुनवाई, HC ने कहा- एप डाउनलोड करना जरूरी नहीं
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हाईकोर्ट ने व्हाट्सएप की नई प्राइवेसी पॉलिसी पर सुनवाई के दौरान कहा कि फोन में व्हाट्सएप डाउनलोड करना अनिवार्य नहीं है, ये स्वैच्छिक है।

नई दिल्ली: व्हाट्सएप की नई प्राइवेसी पॉलिसी पर दिल्ली हाईकोर्ट ने सुनवाई की। हाईकोर्ट ने व्हाट्सएप की नई प्राइवेसी पॉलिसी पर सुनवाई के दौरान कहा कि फोन में व्हाट्सएप डाउनलोड करना अनिवार्य नहीं है, ये स्वैच्छिक है।

दिल्ली हाईकोर्ट में व्हाट्सएप प्राइवेसी पॉलिसी मामले पर सुनवाई के दौरान केंद्र सरकार की तरफ से कहा गया कि यह भी चिंता का विषय है कि भारतीय यूजर्स के लिए व्हाट्सएप द्वारा नीति में एकतरफा बदलाव किया गया। सरकार ने कहा कि व्हाट्सएप नई निजता नीति के संबंध में भारतीय यूजर्स और यूरोपीय उपयोगकर्ताओं के साथ अलग-अलग ढंग से पेश आ रहा है, जो चिंता का विषय है।

इससे पहले दिल्ली हाईकोर्ट ने व्हाट्सएप की नई प्राइवेसी पॉलिसी पर कहा था कि अगर आपकी निजता प्रभावित हो रही है, तो आप व्हाट्सएप को डिलीट कर दीजिए। होईकोर्ट ने कहा कि यह एक प्राइवेट एप है, अगर आपकी निजता प्रभावित हो रही है, तो आप व्हाट्सएप को हटा दीजिए। कोर्ट ने कहा कि क्या आप मैप या ब्राउजर प्रयोग करते हैं? उसमें भी आपका डाटा शेयर किया जाता है।

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याचिकाकर्ता की तरफ से कहा गया था कि व्हाट्सएप की नई प्राइवेसी पॉलिसी को लेकर सरकार को कार्रवाई करनी चाहिए, ये निजता का उल्लंघन है। व्हाट्सएप जैसा प्राइवेट एप आम लोगों से जुड़ी व्यक्तिगत जानकारियों को शेयर करना चाहता, जिस पर रोक लगाने की जरूरत है। इसपर दिल्ली हाईकोर्ट ने कड़ी टिप्पणी की।

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व्हाट्सएप की प्राइवेसी नीति को लागू करने के खिलाफ दिल्ली हाईकोर्ट में एक वकील ने याचिका दायर की है। याचिका में कहा है ये संविधान द्वारा दिए गए मौलिक अधिकार के खिलाफ है। इसलिए हम इस मामले में चाहते हैं कि कड़ा कानून बने। यूरोपीय देशों में इस पर कड़े कानून हैं, इसलिए व्हाट्सएप की पॉलिसी वहां पर अलग है। भारत में कानून सख्त ना होने की वजह से आम लोगों के डाटा को थर्ड पार्टी को शेयर करने पर ऐसे एप को कोई परेशानी नहीं है।

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