Sonbhadra News: बच्चों के निवाले पर डाका, आंगनबाड़ी केंद्रों के निरीक्षण में मिली ढेरों खामियां, पहुंची कई शिकायतें

Sonbhadra News: सोनभद्र में शहरी क्षेत्रों में संचालित आंगनबाड़ी केंद्रों के जरिए बच्चों में वितरित किए जाने वाले पोषाहार में बड़ी घपलेबाजी/कालाबाजारी सामने आई है।

Kaushlendra Pandey
Published on: 1 May 2023 9:53 PM GMT
Sonbhadra News: बच्चों के निवाले पर डाका, आंगनबाड़ी केंद्रों के निरीक्षण में मिली ढेरों खामियां, पहुंची कई शिकायतें
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सोनभद्र में आंगनबाड़ी केंद्रों के जरिए बच्चों में वितरित किए जाने वाले पोषाहार में बड़ा घोटाला: Photo- Newstrack

Sonbhadra News: सोनभद्र में शहरी क्षेत्रों में संचालित आंगनबाड़ी केंद्रों के जरिए बच्चों में वितरित किए जाने वाले पोषाहार में बड़ी घपलेबाजी/कालाबाजारी सामने आई है। इसको लेकर जहां विभाग में आए दिन शिकायतें पहुंचनी शुरू हो गई हैं। वहीं पिछले सप्ताह चंद केंद्रों के निरीक्षण में ही जिस तरह की खामियां सामने आई हैं, उसने अधिकारियों के होश उड़ा कर रख दिए हैं। फिलहाल जहां-जहां खामियां मिली हैं और जहां-जहां से शिकायतें पहुंची हैं, उसको लेकर जांच शुरू हो गई है। संबंधितों से मामले को लेकर जवाब भी तलब किया जा रहा है।

बताते चलें कि सोनभद्र में एक नगरपालिका सहित 10 नगर निकाय हैं। जहां महज जिला मुख्यालय यानी नगरपालिका में 38 केंद्र संचालित हैं। वहीं सभी निकायों में लगभग 155 आंगनबाड़ी केंद्र संचालित कराए जा रहे हैं। आंकड़े बताते हैं कि इन केंद्रों पर छह माह से लेकर छह वर्ष तक के 12455 बच्चे पंजीकृत हैं, जिनमें 11867 बच्चों के नाम से पोषाहार की आपूर्ति भी हो रही है लेकिन जांच के दौरान मिली जानकारी और पहुंच रही शिकायतों पर गौर करें तों आधे से अधिक, कहीं-कहीं दो तिहाई पोषाहार घपले की भेंट चढ़ जा रहा है। लोगों की शिकायत है कि एक बार पंजीयन के लिए आधार कार्ड लेने के बाद न तो आंगनबाड़ी कार्यकर्ती के दर्शन हो रहे हैं न ही बाल पोषाहार एवं अन्य मिलने वाले सामग्री की जानकारी।

-अभिभावकों से कहा जाता है कि खाद्यान्न आया ही नहीं!

जिला कायक्रम अधिकारी को भेजी शिकायत में नगरपालिका राबटर्सगंज के वार्ड 14 निवासी चंद्रप्रकाश ने कहा है कि उनके दो बच्चे, ढाई वर्ष और साढ़े तीन वर्ष है। दोनों का वार्ड स्थित आंगनबाड़ी केंद्र पर पंजीयन तो किया गया है लेकिन जब पोषाहार के बारे में पूछा जाता है तो कार्यकर्ती यह कहकर कन्नी काट लेती है कि उनके बच्चे का पोषाहार आया ही नहीं। राबर्टसगंज नगर के विकास नगर मंडी महाल एरिया निवासी कई बच्चों का पोषाहार, मंडी महाल स्थित केंद्र से ही हजम कर लेने की शिकायत की गई है। ओबरा निवासी रमेश कुमार अग्रवाल ने शिकायत में कहा है कि राममंदिर कालोनी स्थित आंगनबाड़ी केंद्र में पंजीकृत बच्चों को पोषाहार नहीं दिया जा रहा है।

-निरीक्षण के दौरान मिलीं हैरान कर देने वाली खामियांः

मिलती शिकायतों को देखते हुए जिला कार्यक्रम अधिकारी राजीव सिंह ने जिला मुख्यालय स्थित कुछ केंद्रों का आकस्मिक निरीक्षण किया तो सामने आई खामियों ने एकबारगी उन्हें हैरान करके रख दिया। घुआस महाल केंद्र के निरीक्षण में पाया गया कि पूरा केंद्र महज चार गुणे 10 के कमरे में संचालित किया जा रहा है। वह भी कार्यकर्ती के घर पर। एक भी बच्चा उपस्थित नहीं मिला। कुछ देर बाद गोदभराई के लिए छह महिलाएं उपस्थित हुई। उसमें भी एक से मिलने वाले खाद्यान्न के बारे में पूछा गया तो उसने खाद्यान्न मिलता भी है, इसकी जानकारी से ही अनभिज्ञता जता दी। वजन पंजिका में जहां अधिकांश बच्चों का वजन अंकित नहीं मिला। वहीं बच्चों की हाजिरी में गड़बड़ी पाई गई। निरीक्षण पंजिका, टीकाकरण पंजिका नदारद मिली। टीचर्स कालोनी में वार्ड 13 प्रथम केंद्र भी कार्यकर्ती के घर में संचालित होता मिला। खाद्यान्न वितरण पंजिका में सफेदा और ओवरराइटिंग की शिकायत मिली। अतिरिक्त बचा खाद्यान्न कहां गया? इसका गोलमटोल जवाब मिलता रहा।

-डकार लिया गया केंद्र पर पहुंचा अतिरिक्त खाद्यान्न

राबटर्सगंज के वार्ड चार स्थित आंगनबाड़ी केंद्र और वार्ड नंबर तीन अंबेडकर नगर स्थित केंद्र के निरीक्षण में भी कई खामियां मिली। खास बात यह रही कि इन केंद्रों पर जो अतिरिक्त खाद्यान्न अवशेष होना चाहिए था वह तो गायब मिला ही, किशोरियों, गर्भवती और धात्री महिलाओं में वितरण के लिए आए पोषाहार में भी हेरोफेरी की शिकायत सामने आई।

-कुछ इस तरह खेला जा रहा घपले का खेल

ब्ताते चलें कि सोनभद्र के शहरी इलाकों में ज्यादातर लोग गैर जनपद, ग्रामीण क्षेत्र या फिर किराए के मकान में रह रहे हैं। कार्यकर्तियां लोगों के यहां जाकर बच्चे, गर्भवती, धात्री महिलाओं के बारे में जानकारी ले लेती हैं। सरकारी योजना का लाभ दिलाने के नाम पर आधार कार्ड भी हासिल कर लेती हैं, इसके बाद जहां कार्यकर्तियों को दर्शन दुर्लभ हो जाता है। वहीं अगर कोई उन्हें खोजते हुए केंद्र पर पहुंचता है तो ज्यादातर मामलों में पोषाहार अभी न आने की बात कहकर टरका दिया जाता है। चूंकि ज्यादातर लोग कामकाजी होते हैं, इसलिए ध्यान नहीं देता है। नौकरीपेशा व्यक्ति तबादले के बाद दूसरी जगह चला जाता है, वह भी इन चीजों पर ध्यान नहीं देता और बड़े ही आसानी से आंगनबाड़ी केंद्र संचालिका, राशन दुकानदार और कुछ विभागीय लोगों की मेहरबानी से पूरा पोषाहार घपले/कालाबाजारी की भेंट चढ़ जाता है।

-यह है पोषाहार वितरण का मीनू

छह माह से तीन वर्ष के बच्चे को एक किलो चना दाल, एक किलो गेहूं दलिया, आधा लीटर सोयाबीन, एक किलो चावल, तीन वर्ष से छह वर्ष के बच्चे को आधा किलो चना दाल, आधा किलो गेहूं दलिया, आधा किलो चावल, गर्भवती, धात्री, 14 से 18 वर्ष की किशोरी को एक किलो दलिया, डेढ़ किलो दाल, आधा किलो सोयाबीन, एक किलो चावल, अति कुपोषित बच्चों को डेढ़ किलो दलिया, डेढ़ किलो चावल, दो किलो दाल, डेढ़ किलो चावल देने का प्रावधान है। चावल राशन की दुकान से दिया जाता है। शेष सभी सामग्री का वितरण आंगनबाड़ी केंद्र से होता है। डीएम स्तर से समय-समय पर कुपोषित बच्चों को सोयाबीन-गुड़ जैसी पहल के जरिए मिलने वाली सामग्री का वितरण होना होता है सो अलग।

-कराई जा रही जांच, जल्द होगी कार्रवाईः डीपीओ

जिला कार्यक्रम अधिकारी राजीव कुमार ने बताया कि जहां भी खामियां/शिकायतें मिली हैं। उसको लेकर संबंधितों से जानकारी/जांच आख्या तलब की गई है। औचक निरीक्षण के जरिए केंद्रों की जांच का सिलसिला जारी रहेगा। जहां जो भी गड़बडी/शिकायत मिलेगी, उसको लेकर कार्रवाई होगी।

Kaushlendra Pandey

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