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यूपी के इस जिले तक पहुंची थी असहयोग आन्दोलन की आग, 6 क्रांतिकारी हुए थे शहीद
महात्मा गांधी द्वारा 6 अगस्त 1942 को मुंबई अधिवेशन में अंग्रेजों भारत छोड़ो का आवाहन कर देशव्यापी आंदोलन चलाए जाने की अपील की गई थी।
औरैया: महात्मा गांधी द्वारा 6 अगस्त 1942 को मुंबई अधिवेशन में अंग्रेजों भारत छोड़ो का आवाहन कर देशव्यापी आंदोलन चलाए जाने की अपील की गई थी। 9 अगस्त को देश के सभी क्रांतिकारियों ने एक होकर इस आंदोलन में कूद जाने का पूरा मन बना लिया था। मगर 9 अगस्त को ही देश के सभी बड़े नेताओं की गिरफ्तारी हो जाने से आंदोलन नेतृत्व विहीन हो गया।
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मगर तब तक यह आंदोलन पूरे देश में फैल चुका था। असहयोग आंदोलन की आग उसी दौरान औरैया पहुंची और 12 अगस्त को विद्यार्थी कांग्रेस की एक बैठक पुराने नुमाइश मैदान में बुलाई गई। जिसके बाद जुलूस निकालकर तहसील भवन पर यूनियन जैक उतार तिरंगा फहराते हुए पुलिस की गोली से 6 क्रांतिकारी शहीद हो गए थे और इसमें 8 लोग भी घायल हुए। जिसमें स्वतंत्रता संग्राम सेनानी विजय शंकर गुप्ता का बीते वर्ष ही निधन हुआ है जबकि उनके साथी चुन्नू लाल सक्सेना वर्ष 2014 में पंचतत्व में विलीन हो चुके हैं।
बैठक समाप्त करने की चेतावनी
बताते चलें कि वरिष्ठ कांग्रेसी नेता पंडित छक्की लाल दूबे व बलदेव प्रसाद के संरक्षण में औरैया की बैठक हुई व असहयोग आंदोलन में औरैया की भागीदारी किस प्रकार हो इस पर विचार किया गया। इसी बीच औरैया के थानेदार रामस्वरूप व दीवान खुट्टन बैठक स्थल पर आ गए और नेताओं को बैठक समाप्त करने की चेतावनी दी। जिस पर छक्की लाल दुबे व रामस्वरूप के बीच वाद-विवाद होना शुरू हो गया।
थानेदार ने उपस्थित लोगों को गालियां देना शुरू कर दिया। जिससे बैठक में उपस्थित युवा उसे बर्दाश्त नहीं कर सके और उन्होंने दरोगा व दीवाना से चले जाने को कहा। मगर दरोगा व दीवाना अपनी जिद पर अड़े रहे और वहां से नहीं गए। इस पर शिव शंकर, वनस्पति सिंह, मंगली प्रसाद आर्य, कौशल किशोर शुक्ला व तकदीर सिंह ने मिलकर थानेदार की पिटाई कर दी। इससे बौखला कर थानेदार गालियां देता हुआ वहां से चला गया।
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इसके उपरांत 12 अगस्त 1942 को सुबह 10 बजे पुरानी धर्मशाला से तहसील भवन की ओर स्वर्णिम इतिहास रचने के लिए रवाना हो गए। यह लोग अंग्रेजी हुकूमत के खिलाफ नारेबाजी कर रहे थे और वह तहसील पहुंच गए।
...युवा नारेबाजी करते हुए दिख रहे थे
इस दौरान जुलूस इतना लंबा था कि सुभाष चौक से लेकर तहसील तिराहे तक युवा ही युवा नारेबाजी करते हुए दिख रहे थे। उस दौरान कस्बे में थाना इंचार्ज जगन्नाथ सिंह व सर्किल इंस्पेक्टर रामजी लाल ने छात्रों से शांतिपूर्वक जुलूस वापस ले जाने को कहा। मगर छात्र तहसील भवन से यूनियन जैक उतारकर तिरंगा फहराने पर अड़े थे। तहसील भवन की छत पर झंडा लगाने के लिए ऊपर जाने का जब छात्रों को रास्ता नहीं मिला तो कौशल किशोर शुक्ला, मंगली प्रसाद व एक अन्य छात्र निर्माणाधीन एबी हाई स्कूल वर्तमान में तिलक इंटर कॉलेज से बड़ी नसेनी ले आया। नसेनी को तहसील भवन की दीवाल पर लगा दी।
गोलियां चलानी प्रारंभ कर दी
नसैनी पर जैसे ही छात्रों ने चढ़ना शुरू किया तो सिपाहियों ने उन पर लाठियां बरसानी शुरू कर दी। लाठीचार्ज प्रारंभ होते ही सभी अधिकारी तहसील भवन के अंदर चले गए और फाटक बंद कर लिया। इसके उपरांत पुलिस ने गोलियां चलानी प्रारंभ कर दी। पहले तो पुलिस ने हवाई फायर किए मगर उसके बाद सीधे जुलूस के ऊपर गोलियां दागी जाने लगी। जिससे एक-एक कर दर्शन लाल निवासी पीपरपुर, भूरे नाई निवासी खिड़की साहबराय, बाबूराम निवासी पढींन दरवाजा, सुल्तान खां निवासी भीखमपुर, कल्याण चंद्र निवासी गुमटी मोहाल, मंगली प्रसाद और 8 लोग घायल हो गए थे। जिसमें से 6 लोगों ने कुछ समय बाद दम तोड़ दिया।
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चल रही थी गोलियां मगर नहीं पीछे हट रहे थे युवा
12 अगस्त 1942 को यूनियन जैक उतारकर तिरंगा फहराने में ब्रिटिश पुलिस की गोली से घायल हुए स्वतंत्रता संग्राम सेनानी जिनका करीब 1 वर्ष पूर्व निधन हो चुका है। उन्होंने जानकारी देते हुए बताया था कि उन्हें वह दृश्य याद आता है तो उनकी रूह कांप जाती है क्योंकि उसने उस समय पुलिस ने जिस बेरहमी से गोलियां बरसाई थी उससे 6 क्रांतिकारी शहीद हुए थे और 8 लोग घायल हो गए थे। जिन्हें पुलिस ने गिरफ्तार कर लिया था। जिसमें उन्हें भी 6 महीने की सजा सुनाई गई थी। उन्होंने बताया कि तिलक इंटर कॉलेज में कक्षा 9 के वह छात्र थे। उस समय गांधी जी के करो या मरो नारे से प्रेरित होकर उन्होंने स्कूली छात्रों के साथ जुलूस निकाला था।
रिपोर्ट: प्रवेश चतुर्वेदी, औरैया
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