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पूर्व राष्ट्रपति वेंकटरमन: वकालत से शुरू किया था कैरियर, निधन पर हुआ ऐसा सम्मान
लिहाजा वेंकटरमन 1942 के भारत छोड़ो आंदोलन में कूद पड़े। जब देश आजाद हुआ तो वह एक बार फिर वकालत से जुड़े, लेकिन राजनीति में बढ़ती सक्रियता ने 1950 में उन्हें आजाद भारत की अस्थायी संसद के लिए चुना गया। उसके बाद 1952 से 1957 तक वे देश की पहली संसद के सदस्य रहें।
रिपोर्ट,
अखिलेश तिवारी
लखनऊ: देश के पूर्व राष्ट्रपति आर वेंकटरमन ने अपने जीवन की शुरुआत तो मद्रास उच्च न्यायालय में बतौर अधिवक्ता की थी, लेकिन देश में उन दिनों अंग्रेजों के खिलाफ आजादी का आंदोलन जोर पकड़ चुका था। लिहाजा उन्होंने स्वाधीनता संघर्ष की राह चुनी और बाद में देश के सर्वोच्च पद पर आसीन हुए। उनके निधन पर भारत ने सात दिन का राष्ट्रीय शोक मनाया और गणतंत्र दिवस के बाद होने वाले 'बीटिंग द रिट्रीट' सरीखे सभी समारोह रद कर दिए।
देश के पूर्व राष्ट्रपति वेंकटरमन का ऐसा था जीवन चक्र
देश के पूर्व राष्ट्रपति आर वेंकटरमन का जन्म 4 दिसंबर, 1910 को तमिलनाडु में तंजौर के निकट पट्टुकोट्टय में हुआ था। चेन्नई (तत्कालीन मद्रास)के स्कूलों में शिक्षा-दीक्षा लेने वाले वेंकटरमन ने अर्थशास्त्र से स्नातकोत्तर उपाधि मद्रास विश्वविद्यालय से प्राप्त की। इसके बाद उन्होंने मद्रास के ही लॉ कॉलेज से कानून की पढ़ाई की। कानून की पढ़ाई पूरी करने के बाद 1935 में उन्होंने मद्रास उच्च न्यायालय में अधिवक्ता के तौर पर काम शुरू किया, लेकिन तब देश में आजादी की ज्वाला भड़क उठी थी।
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देश के बड़े आंदोलनों में हुए थें वेंकटरमन शामिल
लिहाजा वेंकटरमन 1942 के भारत छोड़ो आंदोलन में कूद पड़े। जब देश आजाद हुआ तो वह एक बार फिर वकालत से जुड़े, लेकिन राजनीति में बढ़ती सक्रियता ने 1950 में उन्हें आजाद भारत की अस्थायी संसद के लिए चुना गया। उसके बाद 1952 से 1957 तक वे देश की पहली संसद के सदस्य रहें। वे सन 1953 से 1954 तक कांग्रेस पार्टी में सचिव पद पर भी रहें।
ऐसा था राजनीतिक जीवन
1957 में सांसद चुने जाने के बावजूद वेंकटरमन ने लोक सभा सीट से इस्तीफा देकर मद्रास सरकार में मंत्री का पद भार ग्रहण किया। 1977 और 1980 में वे फिर लोकसभा का सदस्य बनने में कामयाब रहें। इसके बाद इंदिरा गांधी की सरकार में उन्हें वित्त मंत्रालय का कार्यभार सौंपा गया और उसके बाद उन्हें रक्षा मंत्री बनाया गया। अगस्त 1984 में देश के उप राष्ट्रपति बने। 25 जुलाई 1987 को देश के आठवें राष्ट्रपति के रूप में शपथ ली।
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गणतंत्र दिवस के अगले दिन वेंकटरमन की हुई मृत्यु
स्वास्थ्य कारणों से 12 जनवरी 2009 को उन्हें अस्पताल में भर्ती कराया गया। गणतंत्र दिवस के अगले दिन उन्होंने इस दुनिया को अलविदा बोल दिया। तब केंद्र सरकार ने उनके सम्मान में देशमें सात दिन का राष्ट्रीय शोक घोषित किया है। गणतंत्र दिवस समारोह के बाद होने वाले बीटिंग रट्रीट तथा राष्ट्रीय कैडेट कोर की प्रधानमंत्री रैली समेत सभी सरकारी कार्यक्रम रद्द कर दिए गए। बुधवार 29 जनवरी को नई दिल्ली में एकता स्थल पर पूरे राजकीय सम्मान के साथ उनकी अन्त्येष्टि की गई।
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