×

आखिर नीतीश से सियासी दुश्मनी निभाने में सफल हो गए चिराग

चुनाव परिणामों व बढ़त पर नजर डाले तो लोजपा के कारण जदयू को पिछले चुनाव की तुलना में करीब 2 प्रतिशत वोटों का नुकसान होता दिख रहा है। 20 से 22 सीटें भी कम आ रही हैं। जबकि लोजपा को 5.7 प्रतिशत वोट तो मिल रहे हैं लेकिन सीट एक भी नहीं।

Newstrack
Published on: 10 Nov 2020 7:08 PM GMT
आखिर नीतीश से सियासी दुश्मनी निभाने में सफल हो गए चिराग
X
चुनाव परिणामों व बढ़त पर नजर डाले तो लोजपा के कारण जदयू को पिछले चुनाव की तुलना में करीब 2 प्रतिशत वोटों का नुकसान होता दिख रहा है।

लखनऊ: बिहार विधानसभा चुनाव में चिराग पासवान की लोक जनशक्ति पार्टी भले ही एक भी सीट न जीत पाए हो लेकिन उन्होंने नीतीश कुमार के साथ अपनी सियासी दुश्मनी को पूरी तरह से निभा दिया। बिहार विधानसभा चुनाव में 135 सीटों पर चुनाव लड़ रही चिराग पासवान की लोजपा ने अपने 115 प्रत्याशी जदयू प्रत्याशी वाली सीटों पर ही खडे़ किए थे। इस दौरान चिराग ने भाजपा का साथ देने का वादा भी किया और नारा दिया कि मोदी से कोई बैर नहीं नीतीश तेरी खैर नहीं।

चुनाव परिणामों व बढ़त पर नजर डाले तो लोजपा के कारण जदयू को पिछले चुनाव की तुलना में करीब 2 प्रतिशत वोटों का नुकसान होता दिख रहा है। 20 से 22 सीटें भी कम आ रही हैं। जबकि लोजपा को 5.7 प्रतिशत वोट तो मिल रहे हैं लेकिन सीट एक भी नहीं।

लोजपा ने भाजपा के खिलाफ केवल 06 सीटों पर ही अपने प्रत्याशी उतारे थे। इसका असर भी दिख रहा है। भाजपा को बिहार में गठबंधन के तहत अब तक के सबसे ज्यादा 19.2 प्रतिशत वोट मिलते दिख रहे है। जबकि इससे पहले वर्ष 2005 में जदयू के साथ गठबंधन में केवल 11 प्रतिशत वोट के साथ 37 सीटे मिली थी। यानी इस बार भाजपा का मत प्रतिशत 09 प्रतिशत बढ़ा है और सीटे भी 72 मिलती दिख रही है।

ये भी पढ़ें...IPL मैच ने बिहार चुनाव नतीजे पर दिया बड़ा झटका, जानिए क्या है सच्चाई

Chirag Paswan

दलित वोटरों में अच्छी पैठ रखने वाले बिहार के कद्दावर नेता रामविलास पासवान के पुत्र चिराग पासवान को उनके पिता की मृत्यु के कारण जहां सहानुभूति मिली और इससे उन्हे फायदा तो हुआ लेकिन यह सीटों में बदलता नहीं दिख रहा है लेकिन उनकी इस सियासी बढ़त ने जदयू का गणित बिगाड़ दिया। वैसे लोजपा का बिहार में जो असर है वह कुछ जाति विशेष तक ही सीमित है लेकिन यह अलग-अलग हिस्सों में है। ऐसे में लोजपा का वोट जब एनडीए के साथ होता था तो वह एनडीए को अतिरिक्त ताकत देता था लेकिन इस बार एनडीए से बाहर रह कर चिराग ने जदयू के सभी प्रत्याशियों के समक्ष जो चुनौती पेश की उसका असर अब मतगणना में साफ दिख रहा है।

ये भी पढ़ें...Bihar Election Results: RJD का चुनाव आयोग पर बड़ा आरोप, EC ने दी सफाई

दरअसल, बिहार विधानसभा चुनाव के जरिए चिराग स्वयं को जमीनी नेता साबित करना चाहते हैं और वह पार्टी का आधार बढ़ाना चाहते हैं। चिराग का मानना है कि वह बिहार में नीतीश का विकल्प बन सकते है और इस चुनाव के जरिए उनकी कोशिश भी यहीं है।

ये भी पढ़ें...मोदी ने दिल्‍ली में बैठे बेटे की याद दिलाई, तो महिलाओं ने भाजपा की दीवाली मना दी

रिपोर्ट: मनीष श्रीवास्तव

दोस्तो देश दुनिया की और खबरों को तेजी से जानने के लिए बनें रहें न्यूजट्रैक के साथ। हमें फेसबुक पर फॉलों करने के लिए @newstrack और ट्विटर पर फॉलो करने के लिए @newstrackmedia पर क्लिक करें

Newstrack

Newstrack

Next Story