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बहादुर महिला की कहानी: बम ब्लास्ट में उड़े थे दोनों हाथ, फिर भी जीती हर जंग
एक ऐसी महिला जिसके हाथ नहीं हैं लेकिन हौसले इतने बुलंद हैं कि आज वो भारत की सुपर वुमेन बन गयी हैं। हम बात कर रहे हैं मालविका अय्यर के बारे में।
दिल्ली: विश्व महिला दिवस के मौके पर प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी के ट्विटर अकाउंट को संभालने की जिम्मेदारी एक ऐसी महिला को मिली है, जिसके हाथ नहीं हैं लेकिन हौसले इतने बुलंद हैं कि आज वो भारत की सुपर वुमेन बन गयी हैं। हम बात कर रहे हैं मालविका अय्यर के बारे में।
कौन है मालविका अय्यर:
मालविका अय्यर अन्तराष्ट्रीय मोटिवेशनल स्पीकर, विकलांगों के हक के लिए लड़ने वाली एक्टिविस्ट हैं। सोशल वर्क में पीएचडी के साथ फैशन मॉडल के तौर पर अपना नाम कमाने वाली मालविका लोगों के लिए किसी प्रेरणा से कम नहीं। आज वो जिस मुकाम पर हैं, उसके लिए उन्हें किन हालातों से गुजरना पड़ा, ये हर कोई नहीं जानता।
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जिन्दगी की जिन परेशानियों से लड़ते हुए लोग जंग हार जाते हैं और अपना आत्म विश्वास खो बैठते हैं, उस दौर में मालविका पूरे आत्मविश्वास और जोश के साथ खड़ी हुईं और अपने हालतों से लड़ते हुए सुपर वुमेन बन गयी।
ये हैं मालविका की कहानी:
मालविका ने ट्वीट कर अपनी कहानी बताई। इलाके में एक हथियार डीपो में आग लगने से जोरदार धमाका हुआ था। दरअसल, हथियार डिपो में आग लगने के चलते इलाके में उसके शेल बिखर गए थे। वह ग्रेनेड मालविका के हाथों में ही फट गया। इस घटना से उनके दोनों हाथों के अलावा दोनों टांगों में कई फ्रैक्चर्स और नर्वस सिस्टम डैमेज हो गया। दो साल तक उनका चेन्नई में इलाज चला। मालविका के जख्म तो ठीक हुए लेकिन दोनों हाथों को खोना पड़ा।
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शुरू हुआ संघर्ष:
मालविका के लिए दोबारा जिन्दगी शुरू करना आसान नहीं था, लेकिन उन्होंने हार नहीं मानी और चेन्नई SSLC एग्जामिनेशन में बतौर प्राइवेट कैंडिडेट हिस्सा लिया। दोनों हाथ खो चुकीं मालविका ने लिखने के लिए एक असिस्टेंट की मदद भी ली। मालविका की इस हिम्मत ने उन्हें चर्चा में ला दिया। पूर्व राष्ट्रपति डॉ. एपीजे अब्दुल कलाम से ने उन्हें मिलने के लिए राष्ट्रपति भवन में आमंत्रित किया।
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मालविका ने पढ़ाई नहीं छोड़ी और दिल्ली के सेंट स्टीफन कॉलेज से इकोनॉमिक्स ऑनर्स की डिग्री ली। वहीं दिल्ली स्कूल से सोशल वर्क में मास्टर्स और मद्रास स्कूल से एम. फिल की पढ़ाई पूरी की। उन्होंने शारीरिक तौर पर कमजोर लोगों की मदद शुरू की। जिसके चलते उन्हें इंटरनेशनल लेवल पर कई अवॉर्ड्स मिले। आज मालविका सिर्फ महिलाओं के लिए ही नहीं, बल्कि हर संघर्ष करने वाले शख्स के लिए मिसाल बन गयी हैं।
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