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बेहद निर्दयी चीन, गधों को उतार रहा मौत के घाट, वजह जान चौंक जाएंगे
एक अनुमान के मुताबिक मौत का आंकड़ा लगभग 50 लाख तक का है। अब आप पूछेंगे कि आखिर चीन ऐसा करता क्यों है? तो इसका सीधा सा जवाब है कि चीन में दवा की मांग पूरी हो सके। जी हां, चीन इन गधों को मारकर उनसे दवा बनाना का काम करता है।
वुहान: सुनने में अटपटा लगेगा लेकिन ये सच है कि चीन पहले तो दुनिया के अलग-अलग मुल्कों से मुंहमांगे दामों पर गधों को खरीदता है फिर बाद में उन्ही गधों को मार देता है।
एक अनुमान के मुताबिक मौत का आंकड़ा लगभग 50 लाख तक का है। अब आप पूछेंगे कि आखिर चीन ऐसा करता क्यों है? तो इसका सीधा सा जवाब है कि चीन में दवा की मांग पूरी हो सके। जी हां, चीन इन गधों को मारकर उनसे दवा बनाना का काम करता है।
प्राप्त जानकारी के अनुसार गधों के चमड़े से बनने वाले जिलेटिन यानी गोंदनुमा पदार्थ से चीन में एजियाओ नाम की दवा बनाई जाती है। दवा चॉकलेट के बार की तरह दिखती है लेकिन काफी कठोर होती है।
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ये दवाएं बनाने में आते हैं काम
इसे गर्म पानी या अल्कोहल में घोलकर पिया जाता है। ट्रेडिशनल चाइनीज मेडिसिन (टीसीएम) के तहत आने वाली ये दवा शरीर की इम्युनिटी बढ़ाने के लिए दी जाती है। इसके अलावा जोड़ों के दर्द में भी ये कारगर दवा मानी जाती है। रिप्रोडक्टिव समस्या में भी गधे की चमड़ी से बना जिलेटिन दवा की तरह लेते हैं।
फिलहाल दुनिया में लगभग 44 मिलियन गधे हैं। इनमें से ज्यादातर ऐसे देशों में हैं, जहां की अर्थव्यवस्था कमजोर है, जैसे कि अफ्रीकन देश और पाकिस्तान।
दुनियाभर में गधों की आबादी तेजी से कम हो रही है और माना जा रहा है कि अगले 5 ही सालों में इनकी संख्या वर्तमान से आधी रह जाएगी।
चीन हर साल इनमें लगभग 50 लाख गधे लेता है ताकि दवा की मांग पूरी हो सके। पशु कम पड़ने के कारण तस्कर गधों की चोरी और तस्करी भी करते हैं। यही वजह है कि गधे कम होते जा रहे हैं।
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कैसे बनाई जाती है दवा
बता दें कि गधे की स्किन से एक तरह का चिपचिपा पदार्थ निकलता है, जिसे एजियाओ कहते हैं। बीमारियों के इलाज के अलावा इससे यौन ताकत बढ़ने का दावा भी होता है, इस वजह से भी चीन में इसकी भारी डिमांड है।
इस दवा को बनाने के लिए गधों को मारकर पानी में किसी केमिकल के साथ मिलाकर डुबो दिया जाता है। इसके बाद उनकी चमड़ी को अच्छी तरह से स्टू किया जाता है और फिर उबाला जाता है।