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Corona इफेक्ट: कोरोनाकाल में कम पैदा होंगे बच्चे, एक्सपर्ट ने दी राय

एक नए अध्ययन में एक्सपर्ट्स ने कहा है कि कोविड-19 और उससे जुड़ी आर्थिक मंदी के परिणामस्वरूप अगले साल शिशु जन्म दर काफी कम रहेगी।

Rahul Joy
Published on: 19 Jun 2020 10:51 AM GMT
Corona इफेक्ट: कोरोनाकाल में कम पैदा होंगे बच्चे, एक्सपर्ट ने दी राय
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baby child

नई दिल्ली। कोविड-19 महामारी के ग्लोबल फैलाव के संग जब लॉकडाउन लगाया गया था तब कहा जा रहा था कि लोग घरों में कैद रहेंगे सो शिशु जन्म दर काफी बढ़ जाएगी। लेकिन अब ये अनुमान ध्वस्त हो गए हैं। एक नए अध्ययन में एक्सपर्ट्स ने कहा है कि कोविड-19 और उससे जुड़ी आर्थिक मंदी के परिणामस्वरूप अगले साल शिशु जन्म दर काफी कम रहेगी। अमेरिका में ही 3 से 5 लाख कम बच्चे पैदा होंगे।

ब्रूकिंग्स इंस्टीट्यूट के अर्थशास्त्रियों ने 1918 की स्पेनिश फ्लू महामारी और मंदी के दौरान रही जन्म दर के आंकड़ों के अध्ययन से अपना अनुमान लगाया है। इन दोनों ही विपदाओं का प्रजनन की स्थिति पर नकारात्मक प्रभाव पड़ा था। अध्ययन में ये जानने की कोशिश की गई कि महामारी और आर्थिक विपदा से जन्म दर पर क्या असर पड़ता है।

2000 के दशक की मंदी का प्रभाव देखने से ये पता चला कि जिन राज्यों में बड़े पैमाने पर लोग बेरोजगार हुये थे वहाँ 2008 से 2011 के बीच जन्म दर में नाटकीय कमी आई। पूरे अमेरिका में पाया गया कि जहां 2007 में 15 से 44 वर्ष की प्रति एक हजार महिलाओं में 69.1 प्रसव हुये थे वहीं 2012 में ये आंकड़ा 63 प्रसव का था। यानी 9 फीसदी की कमी आई।

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महंगा है बच्चे पालना

विपदा में जन्म दर घट जाने का कारण ये है कि बच्चे पालना महंगा काम है और पश्चिम के देशों में बच्चे पैदा करना एक वित्तीय निर्णय के समान होता है। नियमित आय की निर्बाध अवस्था में अनिश्चितता आ जाना या रोजगार चला जाना बच्चे पैदा करने के दम्पतियों के निर्णय को प्रभावित करता है। आर्थिक परिभाषाओं में जन्म दर ‘प्रोसाइक्लिकल’ होती है। जन्म दर आर्थिक वृद्धि के समय बढ़ती है और मंदी के दौर में गिर जाती है।

महामारी से भी नाता

जन्म दर का नाता महामारी से भी होता है। 1918 की फ्लू महामारी के समय से यही देखा गया है। आंकड़े बताते हैं कि महामारी की प्रत्येक लहर के साथ जान मौतों की संख्या पीक पर हुई उसके 9 महीनों के बाद जन्म दर बहुत नीचे आ गई।

कोरोना काल में क्या होगा

वर्तमान दौर में महामारी भी है और आर्थिक विपदा भी। ऐसे में क्या इफेक्ट होगा ये देखने वाली बात है। ब्रूकिंग्स के अर्थशास्त्रियों का मानना है कि अमेरिका में अगले साल 3 से 5 लाख कम बच्चे जन्मेंगे। अगर महामारी और भी लंबे समय तक रही और बेरोजगारी दर अगले साल भी नीचे गई तो जन्म दर पर और भी व्यापक असर देखने को मिलेगा।

यूरोप में भी यही हाल

लंदन स्कूल ऑफ इकोनोमिक्स ने जन्म दर पर कोविड-19 के प्रभाव को जानने के लिए यूरोप के 5 देशों में एक सर्वे किया जिसके नतीजे बताते हैं कि हेल्थ और आर्थिक संकट का सभी देशों में जन्म दर पर गहरा प्रभाव रहेगा। फ्रांस और जर्मनी में सर्वे में बाहग लेने वाले लोगों में 50 फीसदी से ज्यादा ने कहा कि वे बच्चे पैदा करने की योजना को पोस्टपोन कर रहे हैं जबकि 30 फीसदी ने कहा कि उन्होने परिवार के विस्तार की योजना रद कर दी है।

स्पेन में 50 फीसदी लोग बच्चे पैदा करना स्थगित कर रहे थे जबकि 29 फीसदी ने परिवार न बढ़ाने का फैसला ले लिया था। इटली में 37 फीसदी ने अपनी योजना रद कर दी थी।

नील मणि लाल

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