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भोजपुरी में घुसा अश्लीलता का कोरोना
पूरा देश कोरोना वायरस से डरा है। भयभीत है। बचाव और सुरक्षा के उपायों को लेकर स्वास्थ्य महकमा सतर्क और सजग दिख रहा है। वहीं दूसरी तरफ कोरोना वायरस का शोर भोजपुरी गायकों के लिए हिट होने और शोहरत बंटोरने का जरिया बनता दिख रहा है।
पूर्णिमा श्रीवास्तव,
पूरा देश कोरोना वायरस से डरा है। भयभीत है। बचाव और सुरक्षा के उपायों को लेकर स्वास्थ्य महकमा सतर्क और सजग दिख रहा है। वहीं दूसरी तरफ कोरोना वायरस का शोर भोजपुरी गायकों के लिए हिट होने और शोहरत बंटोरने का जरिया बनता दिख रहा है। चोली और लहंगा में कोरोना वायरस की एंट्री करा कर ये गायक रातोरात शोहरत की बुलंदियों पर पहुँचने की कोशिशों में दिख रहे हैं।
वायरस कमाई के साथ ही हिट होने का जरिया भी
भोजपुरी गायकों के लिए यह वायरस कमाई के साथ ही हिट होने का जरिया भी बन गया है। यू-ट्यूब से लेकर गली-चौराहों पर इन दिनों होली से लेकर अश्लीलता के बोल में घुले हुए गीत खूब बज रहे हैं। भोजपुरी गीतों में घुसे अश्लीलता के कोरोना को लेकर एक बार फिर बहस छिड़ गई है। सवाल उठाएं जा रहे हैं कि भोजपुरी को आखिर वह मुकाम कैसे मिलेगा, जिसके लिए करोड़ों भोजपुरिये देश-विदेश में संघर्ष कर रहे हैं।
कोरोना से जुड़े अश्लील गीत
सच्चाई यह भी है कि बड़ा तबका भले ही इन गीतों को लेकर फिक्रमंद हो, लेकिन कोरोना संग अश्लीलता की चाशनी में डूबे इन गीतों को लोग चटखारे लेकर खूब सुन भी रहे हैं। कोरोना से जोड़कर अश्लील गीत गाने वालों की कतार में गुड्डू रंगीला से लेकर आर्यन सरीखे उभरते हुए कलाकार हैं। तमाम ऐसे भी गायक हैं, जिन्हें ऐसे ही गीत में सफलता की राह नज़र आती है।
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इन गीतों की हो रही तीखी आलोचना
इन गीतों को लेकर भले ही लोग नाक-भौ सिकोड़ रहे हों, लेकिन यू-ट्यूब चैनलों पर गीतों को सुनने वालों की संख्या इन गायकों की इस दलील के साथ खड़े हैं कि वह वही गीत गा रहे हैं, जिसे लोग पसंद कर रहे हैं। गुड्डू रंगीला के कोरोना गीत को चंद दिनों में ही लाखों लोगों ने सुना है। यह अलग बात है कि सोशल साइट्स पर इन गीतों की तीखी आलोचना हो रही है।
वेदनाओं को ताक पर रख हिट होने का तलाश रहे मौका
सलेमपुर के केन्द्रीय विद्यालय में प्रधानाचार्य रजनीश त्रिपाठी का कहना है कि गुड्डू रंगीला ने अपने गीतों से हमेशा ही भोजपुरी समाज को सवालों के कटघरे में खड़ा किया है। अब जहां पूरी दुनिया कोरोना से परेशान है, लगातार मौतें हो रही हैं। ऐसे में गुड्डू रंगीला ने संवेदनाओं को ताक पर रख हिट होने का मौका तलाश लिया है। ऐसे मौके पर तो कलाकारों की जिम्मेदारी होना चाहिए कि अपने गीतों के जरिये कोरोना के प्रति लोगों को जागरूक करें।
कोरोना से जुड़े गीतों को लेकर सक्रिय
गुड्डू रंगीला का कोरोना मिक्स गीत मार्केट में आते ही दूसरे कलाकारों में कोरोना से जुड़े गीतों को लेकर सक्रिय हो गए। भोजपुरी गायक खुशबू उत्तम और प्रवीण उत्तम का गीत ‘फोन पर ही होगा अपना रोमांस, सामने से मिलने का नहीं कोई चांस‘ भी खूब हिट हो रहा है। वहीं रिशु बाबू और प्रीति द्वारा गाया गीत ‘रहल करी राजा दूरो से, करी फ्लाइंग किस दूरे से‘।
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अश्लीलता में पिरोये गीतों को सुनने वालों की खूब संख्या
वहीं एक गीत के बोल हैं ‘चुम्मा बिना कईसे रही तोहार ई भतरवा‘ को भी खूब पंसद किया जा रहा है। इसी तरह उभरते गायक रिंटू गुप्ता द्वारा गाया गीत ‘काम नहीं करी तोहार टोना, चाइना से आइल बा कोरोना‘ को यू-ट्यूब पर हजारों लोग सुन चुके हैं। भोजपुरी गायकों के एक बड़े तबके के विरोध के बाद भी अश्लीलता में पिरोये गीतों को सुनने वालों की खूब संख्या है।
भोजपुरी की दुनिया में डायमंड स्टार के नाम से सुप्रसिद्ध गुडडू रंगीला का गीत, ‘हमरा लंहमा में कोरोना वायरस घुसल बाडे हो‘ को खूब पंसद किया जा रहा है। वहीं भोजपुरी गायक आर्यन ‘एसो न रंग भउजी के लगहिहे कोराना वायरस बा चोली मे‘ भी खूब हिट हुआ है।
इसी तरह से गायक गुंजन सिंह के गीतों का बोल, ‘तोहार जवानी कोरोना वायरस‘ यह बताने के लिए पर्याप्त है कि भोजपुरी में अश्लीलता की घुसपैठ किस हद तक है। भोजपुरी में कई किताब लिखने वाले साहित्यकार रविन्द्र श्रीवास्तव उर्फ जुगानी काका कहते हैं कि भोजपुरी की मिठास को अश्लीलता से खत्म किया जा रहा है।
मेशा से भोजपुरी ने तत्कालीन समाज के ज्वलंत मुद्दों को गायकी में पिरोया है। अश्लीलता के बजाय कोरोना से जागरूकता को लेकर कलाकारों ने प्रयास किया होता, तो उन्हें वाहवाही मिलती।
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शारदा सिन्हा सादगी में हिट तो अन्य क्यों नहीं
जानमाने भोजपुरी लोक गायक राकेश श्रीवास्तव कहते हैं कि गुड्डू रंगीला जैसे गायकों में मानवता नाम की चीज ही नहीं रह गई है। ऐसे गायकों को समाज से बहिष्कृत कर देना चाहिए। लोगों को शारदा सिन्हा से सीखना चाहिए कि भोजपुरी की मिठास भरे गीतों से भी सुपर स्टार बना जा सकता है।
वहीं लोकगायिका चेता सिंह कहती हैं कि 'इस समय दुनिया के साथ ही हमारा देश बुरे दौर से गुजर रहा है। ऐसे में इस प्रकार के गीत समाज में बुरा असर डालते हैं। ऐसे गीतों का बहिष्कार होगा, तो गायक अच्छा गाने को मजबूर होंगे। गायक को संवेदनशीलता का परिचय देना चाहिए।
भोजपुरी गायक राकेश उपाध्याय का कहना है कि एक कलाकार संवेदनशील होता है लेकिन गुड्डू रंगीला ने जो गीत गाया है वह संवेदनाओं का मारने वाला है। भोजपुरी गीत संस्कार से जुड़े होते हैं। सस्ती लोकप्रियता के लिए कोरोना वायरस को गीत से जोड़ा गया।
वहीं भोजपुरी गायिका प्रतिमा श्रीवास्तव का कहना है कि ऐसे लोगों की मानसिकता गंदी होती है। देश पर अगर कोई विपत्ति आये तो भी गुड्डू रंगीला जैसे गायक सस्ती लोकप्रियता तलाशने में लगे रहते हैं। इससे बड़ी कोई और ओछी हरकत नहीं हो सकती है।
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