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कन्हैया कुमार व लोजपा सांसद को लेकर अटकलें, इन मुलाकातों से गरमाई सियासत
सियासी जानकारों का कहना है कि मुख्यमंत्री नीतीश कुमार पार्टी को मजबूत बनाने की कोशिश में जुटे हुए हैं और इसी कारण उन्होंने आरसीपी सिंह को नया अध्यक्ष बनाकर संगठन को मजबूत बनाने की जिम्मेदारी सौंपी है।
अंशुमान तिवारी
पटना: बिहार में इन दिनों मुलाकातों की सियासत पर कयासबाजी से माहौल गरमाया हुआ है। लोक जनशक्ति पार्टी के सांसद चंदन कुमार की गुलदस्ते के साथ मुख्यमंत्री नीतीश कुमार से मुलाकात के बाद लोजपा में टूट की कयासबाजी फिर शुरू हो गई।
दूसरी और सीपीआई नेता और जेएनयू के पूर्व अध्यक्ष कन्हैया कुमार की जदयू नेता और शिक्षा मंत्री अशोक चौधरी से हुई मुलाकात सियासी हलकों में चर्चा का विषय बन गई। हालांकि इन मुलाकातों के बारे में चंदन कुमार और कन्हैया कुमार की ओर से कोई टिप्पणी नहीं की गई है मगर राजनीतिक गलियारों में इन मुलाकातों के मायने तलाशे जाने लगे हैं।
जदयू को मजबूत बनाने में जुटे नीतीश
बिहार में मकर संक्रांति के बाद से ही सियासी दलों में टूट की चर्चाएं काफी जोरों से चल रही हैं। ऐसे में इन मुलाकातों का निहितार्थ तलाशा जाना कोई अनोखी बात नहीं है। इन मुलाकातों के सियासी मतलब इसलिए भी नहीं निकाले जा रहे हैं क्योंकि इन दिनों जदयू की ओर से पार्टी के विस्तार की तैयारियों पर काफी जोर दिया जा रहा है।
पिछले विधानसभा चुनाव के दौरान पार्टी सिर्फ 43 सीटें जीतने में कामयाब हो सकी थी और उसके बाद पार्टी को मजबूत बनाने की कोशिशें शुरू कर दी गई हैं। पार्टी के वरिष्ठ नेता पार्टी के भीतर और बाहर समीकरणों को दुरुस्त करने की कोशिश में जुटे हुए हैं।
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नीतीश ने शुरू किया मुलाकातों का दौर
सियासी जानकारों का कहना है कि मुख्यमंत्री नीतीश कुमार पार्टी को मजबूत बनाने की कोशिश में जुटे हुए हैं और इसी कारण उन्होंने आरसीपी सिंह को नया अध्यक्ष बनाकर संगठन को मजबूत बनाने की जिम्मेदारी सौंपी है। इसके साथ ही वे खुद भी विभिन्न दलों के सांसदों और विधायकों से मुलाकात कर उनकी समस्याओं का निराकरण करने में जुटे हुए हैं।
कन्हैया ने की अशोक चौधरी से मुलाकात
सीपीआई के नेता कन्हैया कुमार की अशोक चौधरी से मुलाकात इसलिए भी चर्चा का विषय बन गई क्योंकि पार्टी की ओर से पिछले दिनों में कन्हैया कुमार के खिलाफ निंदा प्रस्ताव पारित किया गया था। पार्टी की ओर से निंदा प्रस्ताव पारित किए जाने के बाद कन्हैया कुमार ने चुप्पी साध रखी है।
सोमवार को उनकी चौधरी से मुलाकात सियासी हलकों में चर्चा का विषय बन गई। उनके जदयू में शामिल होने के बाबत पूछे गए सवाल पर जदयू के नेता अजय आलोक ने कहा कि यदि कन्हैया कुमार अपनी विचारधारा को छोड़कर जदयू की विचारधारा अपनाने को तैयार हैं तो हमें पार्टी में उनका स्वागत करने में कोई दिक्कत नहीं है।
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जदयू अध्यक्ष ने स्पष्ट किया रुख
पार्टी के राष्ट्रीय अध्यक्ष आरसीपी सिंह का कहना है कि हमारी पार्टी की विचारधारा न्याय के साथ विकास करना है। ऐसे में यदि कोई भी नौजवान या महिला मुख्यमंत्री नीतीश कुमार के विकास और उनके व्यक्तित्व से प्रभावित होकर पार्टी में आना चाहते है तो उसका स्वागत है।
पारित हुआ था प्रस्ताव
कन्हैया कुमार पर पिछले दिनों अपनी पार्टी के कार्यालय सचिव इंद्र भूषण के साथ बदसलूकी करने का आरोप लगा था। इसके बाद हैदराबाद में हुई पार्टी की महत्वपूर्ण बैठक में कार्यालय सचिव के साथ मारपीट की घटना पर कन्हैया कुमार के खिलाफ निंदा प्रस्ताव पारित किया गया।
कन्हैया कुमार का समर्थन करने के लिए कोई भी खुलकर सामने नहीं आया और निंदा प्रस्ताव पर मतदान के दौरान 110 में से सिर्फ तीन सदस्यों को छोड़कर बाकी सभी ने इसका समर्थन किया। इससे समझा जा सकता है कि इस मुद्दे को लेकर कन्हैया कुमार अपनी पार्टी में ही पूरी तरह अलग-थलग पड़ गए।
लोजपा सांसद को लेकर शुरू हुईं चर्चाएं
लोजपा सांसद चंदन कुमार की मुख्यमंत्री नीतीश कुमार से मुलाकात भी सियासी हलकों में चर्चा का विषय बनी हुई है। चंदन कुमार फूलों का गुलदस्ता लेकर मुख्यमंत्री नीतीश कुमार से मुलाकात करने उनके आवास पर पहुंचे। लोजपा सांसद की सीएम से मुलाकात की तस्वीरें सोशल मीडिया पर वायरल होते ही इसे लेकर तरह-तरह की चर्चाएं होने लगीं। लोजपा के मुखिया चिराग पासवान ने विधानसभा चुनाव से पहले से ही मुख्यमंत्री नीतीश कुमार के खिलाफ मोर्चा खोल रखा है। हालांकि विधानसभा चुनाव के दौरान वे भी अपनी ताकत दिखाने में पूरी तरह विफल रहे।
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पार्टी की ओर से पेश की गई सफाई
उनकी पार्टी के सिर्फ एक प्रत्याशी राजकुमार सिंह चुनाव जीतने में कामयाब रहे। पार्टी के इकलौते विधायक ने भी पिछले दिनों नीतीश कुमार की तारीफ की थी। नवादा के सांसद चंदन कुमार भी मुख्यमंत्री से मिले हैं। हालांकि इस मुलाकात के बारे में चंदन सिंह की ओर से कोई बयान नहीं जारी किया गया है मगर पार्टी की ओर से सफाई पेश की गई कि उन्होंने क्षेत्र की समस्याओं के बाबत चर्चा करने के लिए मुख्यमंत्री से मुलाकात की है।
ताकत बढ़ाने में जुटे हुए हैं नीतीश
पिछले विधानसभा चुनाव के दौरान एनडीए और विपक्षी गठबंधन के बीच कांटे का मुकाबला हुआ था। हालांकि एनडीए बहुमत पाने में कामयाब रहा। महागठबंधन की ओर से मिल रही चुनौतियों के कारण नीतीश कुमार अपनी ताकत बढ़ाने की कोशिश में जुटे हुए हैं। पिछले दिनों उन्हें इस मामले में कामयाबी भी मिली थी और उन्होंने बसपा विधायक जमा खां और निर्दलीय विधायक सुमित सिंह को तोड़ लिया था। बाद में मंत्रिमंडल विस्तार में ये दोनों विधायक मंत्री बनने में कामयाब रहे। अब हर किसी की नजर इन दो चर्चित सियासी मुलाकातों पर टिकी है कि आखिरकार इसका क्या नतीजा निकलता है।
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