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लाखों का कर्ज चुकाने के लिए पिता की वारिस बन गई बेटी
एक इलाके में एक भले आदमी का देहांत हो गया। लोग अर्थी ले जाने को तैयार हुये और जब उठाकर श्मशान ले जाने लगे तो एक आदमी आगे आया और अर्थी का एक पांव पकड़ लिया। और बोला की मरने वाले से मेरे 15 लाख लेने हैं, पहले मुझे पैसे दो फिर उसको जाने दूंगा।
नई दिल्लीः एक इलाके में एक भले आदमी का देहांत हो गया। लोग अर्थी ले जाने को तैयार हुये और जब उठाकर श्मशान ले जाने लगे तो एक आदमी आगे आया और अर्थी का एक पांव पकड़ लिया। और बोला की मरने वाले से मेरे 15 लाख लेने हैं, पहले मुझे पैसे दो फिर उसको जाने दूंगा।
सुविचारः
अब तमाम लोग खड़े तमाशा देख रहे हैं, बेटों ने कहा की मरने वाले ने हमें तो कोई ऐसी बात नहीं की कि वह कर्जदार हैं, इसलिए हम नहीं दे सकते । मृतक के भाइयों ने कहा की जब बेटे जिम्मेदार नहीं तो हम क्यों दें।
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अब सारे खड़े हैं और उसने अर्थी पकड़ी हुई है, जब काफ़ी देर गुज़र गई तो बात घर की औरतों तक भी पहुंच गई। मरने वाले की एकलौती बेटी ने जब बात सुनी तो फौरन अपना सारा ज़ेवर उतारा और अपनी सारी नक़द रकम जमा करके उस आदमी के लिए भिजवा दिया और कहा की भगवान के लिए ये रकम और ज़ेवर बेच के उसकी रकम रखो और मेरे पिताजी की अंतिम यात्रा ना रोको।
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मैं मरने से पहले सारा कर्ज़ अदा कर दूंगी और बाकी रकम का जल्दी बंदोबस्त कर दूंगी। अब वह अर्थी पकड़ने वाला शख्स खड़ा हुआ और सारे लोगों से मुखातिब हो कर बोला,असल बात यह है कि मरने वाले से 15 लाख लेना नहीं बल्कि उनको देना है, और उनके किसी वारिस को मैं जानता नहीं था तो मैने यह खेल खेला , अब मुझे पता चल चुका है कि उसकी वारिस एक बेटी है और उसका कोई बेटा या भाई नहीं है”
इसलिए कहते हैः
मत मारो तुम कोख में इसको
इसे सुंदर जग में आने दो,
छोड़ो तुम अपनी सोच ये छोटी
एक माँ को ख़ुशी मनाने दो,
बेटी के आने पर अब तुम
घी के दिये जलाओ,
आज ये संदेशा पूरे जग में फैलाओं कि बेटी बचाओ बेटी पढ़ाओ।
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