×

TRENDING TAGS :

Aaj Ka Rashifal

लॉकडाउन शुरू होते ही ग्रामीणों को मुफ्त में बांट रही हूं सब्जियां

मैं ओडिशा के भद्रक जिले की रहने वाली हूं। मेरे चार बच्चे हैं। मैं तकरीबन दो दशक से अपने सात एकड़ खेत में सब्जियां उगा रही हूं। साथ ही एक डेयरी भी खोल रखी है, जिसमें करीब दो दर्जन गायों का पालन-पोषण होता है। इसी से हमारा परिवार चलता है। मेरे पति खेती करते हैं। हर साल हमें खेती से तकरीबन तीन लाख रूपये की आमदनी होती है। ज

suman
Published on: 16 May 2020 5:05 PM IST
लॉकडाउन शुरू होते ही ग्रामीणों को मुफ्त में बांट रही हूं सब्जियां
X

छाया रानी साहू

भद्रक :चाहे वह आम आदमी हो, कॉरपोरेट्स, एनजीओ या सरकार, इन कठिन समय में अधिक से अच्छा करने के लिए कई पहल की गई हैं। गौरतलब है कि भारत में प्रवासी मजदूरों और दैनिक ग्रामीणों की विशाल संख्या कोरोनोवायरस महामारी के दौरान सबसे अधिक प्रभावित हुई है।

यह पढ़ें...लॉकडाउन: सरकारी काम से वंचित लोगों की मदद

मैं ओडिशा के भद्रक जिले की रहने वाली हूं। मेरे चार बच्चे हैं। मैं तकरीबन दो दशक से अपने सात एकड़ खेत में सब्जियां उगा रही हूं। साथ ही एक डेयरी भी खोल रखी है, जिसमें करीब दो दर्जन गायों का पालन-पोषण होता है। इसी से हमारा परिवार चलता है। मेरे पति खेती करते हैं। हर साल हमें खेती से तकरीबन तीन लाख रूपये की आमदनी होती है। जब लॉकडाउन की घोषणा हुई, तब हमारे पास करीब पच्चीस-तीस क्विंटल सब्जियां थीं, पर उन्हें बाहर नहीं ले जा सकते थे। स्थानीय बाजार में मांग में बेहद कमी आ गयी। हालांकि ऑनलाइन बिक्री से हम उन्हें बेचक चालीस-पचास हजार रुपये कमा सकते थे। लेकिन ब्यापारी लॉकडाउन का हवाला देते हुए हमारी उपज को कम कीमत पर खरीदना चाहते थे। इसलिए हमने कम कीमत में उन सब्जियों को बेचने के बजाय उन्हें गरीबों के बीच मुफ्त क्विंटल सब्जियां पांच पंचायतों के गांवों में वितरित की हैं। सब्जियों के अलावा मैंने उन बुजुर्गों को दूध भी वितरित करना शुरू किया है, जो मवेशी पालने में असमर्थ हैं। लॉकडाउन से पहले भी मैं और मेरा परिवार गरीबों की मदद कर रहा था।

पैदल भी जाती हूं

इस काम में मैंने कुछ स्वंयसेवकों का भी सहयोग लिया है। हम किराये के टेंपों से आसपास के गांवों में जाते हैं और तंबू लगाकर सामाजिक दूरी का ध्यान रखते हुए लोगों की कतार में सब्जियां वितरित करते हैं। कभी-कभी हम पैदल भी जाकर लोगों के बीच सब्जियां बांटते हैं।

ताजा सब्जियां

बड़े गांव में हम स्वंयसेवकों के अलावा अपने परिजनों को भी साथ ले जाते हैं, लेकिन छोटे गांव में मैं अकेले स्वयंसेवकों के साथ जाती हूं। सब्जियों के आसान वितरण के लिए हम दो से तीन किलो के पैकेट बनाते हैं। हर पैकेट में ताजा टमाटर, कद्दू, बैंगल, भिंडी, गाजर, हरी मिर्च होती हैं, जो रोज के खाने के लिए उपयोगी रहती है।

यह पढ़ें...प्रवासी मजदूरों के पलायन पर राजनीति न करें: मायावती

जागरूक भी करते हैं

सब्जियों के वितरण के दौरान हम सभी आवश्यक सावधानियां बरतते हैं। मैं खुद मास्क लगाती हूं, और सभी स्वयंसेवक भी मास्क लगाते हैं। साथ ही हम लोगों को इस वायरस के बारे में जागरूक भी करते हैं। मैं खुश हू कि लोगों तक किसी तरह सहायता पहुंचा पा रही हूं।



\
suman

suman

Next Story