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हिंदू नहीं थी इंदिरा गांधी! भुगतना पड़ा ऐसा अंजाम कि राहुल-प्रियंका ने नहीं की ये हिम्मत
भारत एक विभिन्न धर्मों वाला देश है। यहां ऐसे लाखों मंदिर-मस्जिद है जो कि अपने आप में इतिहास को समेटे हुए है। आज हम आपको एक ऐसे मंदिर के बारे में बताने जा रहे हैं जिसका इतिहास आपको हैरान कर देगा।
नई दिल्ली: भारत एक विभिन्न धर्मों वाला देश है। यहां ऐसे लाखों मंदिर-मस्जिद है जो कि अपने आप में इतिहास को समेटे हुए है। आज हम आपको एक ऐसे मंदिर के बारे में बताने जा रहे हैं जिसका इतिहास आपको हैरान कर देगा।
दरअसल,ओडिशा राज्य के शहर पुरी में श्री जगन्नाथ मंदिर हिन्दुओं का प्रसिद्ध मंदिर है, यह मंदिर भगवान श्रीकृष्ण को समर्पित है। यह मंदिर हिंदुओं की चार धाम यात्रा में माना जाता है। जगन्नाथ मंदिर का हर साल निकलने वाला रथ यात्रा उत्सव संसार में बहुप्रसिद्ध है। पुरी के इस मंदिर में तीन मुख्य देवता विराजमान हैं। इस मंदिर भगवान जगन्नाथ के साथ उनके बड़े भाई बलभद्र व उनकी बहन सुभद्रा तीनों, तीन अलग-अलग भव्य और सुंदर आकर्षक रथों में विराजमान होकर नगर की यात्रा को निकलते हैं।
मंदिर से जुड़ा एक इतिहास
इस मंदिर से जुड़ा एक इतिहास हम आपको बताने जा रहे हैं। हुआ ये कि वर्ष 1984 में तत्कालीन प्रधानमंत्री इंदिरा गांधी को जगन्नाथ मंदिर में प्रवेश की इजाजत नहीं दी गई थी। ऐसा इसलिए हुआ था क्योंकि इस मंदिर में प्रवेश की इजाजत सिर्फ और सिर्फ सनातन हिन्दुओं को ही मिलती है। इस मंदिर का प्रशासन सिर्फ हिन्दू, सिख, बौद्ध और जैन धर्म के लोगों को ही मंदिर में प्रवेश की अनुमति देता है। इसके अलावा दूसरे धर्म के लोगों और विदेशी लोगों के प्रवेश पर सदियों पुराना प्रतिबंध लगा हुआ है।
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इसलिए भारत की प्रधानमंत्री को भी इस मंदिर में अंदर प्रवेश करने की इजाजत नहीं दी गई। यानी भारत का प्रधानमंत्री भी अगर हिन्दू नहीं है तो वो इस मंदिर में प्रवेश नहीं कर सकता है। जगन्नाथ मंदिर के पुजारियों के मुताबिक इंदिरा गांधी हिन्दू नहीं बल्कि पारसी हैं। इसलिए 1984 में उन्हें इस मंदिर में प्रवेश की अनुमति नहीं दी गई थी। मंदिर के प्रबंधकों के अनुसार इंदिरा गांधी का विवाह एक पारसी फिरोज जहांगीर गांधी से हुआ था। इसलिए विवाह के बाद वो तकनीकी रूप से हिन्दू नहीं रहीं। इसी वजह से उन्हें जगन्नाथ मंदिर में प्रवेश नहीं दिया गया।
गांधी परिवार का इतिहास
बताते चलें कि इंदिरा गांधी, राजीव गांधी, राहुल गांधी, प्रियंका गांधी वाड्रा को गांधी सरनेम पंडित जवाहर लाल नेहरू से नहीं बल्कि फिरोज गांधी से मिला था। लेकिन इसके बाद भी फिरोज गांधी को कांग्रेस पार्टी की तरफ से वो सम्मान नहीं दिया गया जो इंदिरा गांधी, राजीव गांधी को मिला। फिरोज गांधी दुनिया में ऐसे एकलौते शख़्स थे जिसके ससुर दुनिया के सबसे बड़े लोकतंत्र के पहले प्रधानमंत्री हो और बाद में उसकी पत्नी और उसका पुत्र भी इस देश का प्रधानमंत्री बना हों। लेकिन फिर भी उनके बारे में किसी को भी ज्यादा कुछ पता नहीं होगा।
बता दें कि फिरोज इंदिरा की शादी के बाद महात्मा गांधी ने अपना सरनेम दिया था। जहां तक बात जगन्नाथ मंदिर के प्रवेश की है तो इंदिरा गांधी के बाद गांधी परिवार का कोई भी सदस्य इस मंदिर में प्रवेश की हिम्मत जुटा नहीं पाया।
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ध्यान रहे कि 'जनेऊधारी' राहुल गांधी ने अपनी हिन्दुत्ववादी छवि को दर्शाने के लिए चुनावी माहौल में कैलाश मानसरोवर की यात्रा की और भगवान केदारनाथ के भी दर्शन किए लेकिन जगन्नाथ के दर्शन करने से बचना ही मुनासिब समझा।
जगन्नाथ मंदिर में गैर हिन्दुओं को प्रवेश क्यों नहीं मिलता?
(1.) जगन्नाथ मंदिर में शिलापट्ट में 5 भाषाओं पर लिखा है। यहां सिर्फ सनातन हिन्दुओं को ही प्रवेश की इजाजत है।
(2.) वर्ष 2005 में थाईलैंड की रानी को मंदिर में प्रवेश की इजाजत नहीं दी गई थी। वो बौद्ध धर्म की थी, लेकिन विदेशी होने की वजह से उन्हें इस मंदिर में प्रवेश की इजाजत नहीं मिली थी।
(3.) सिर्फ भारत के बौद्ध धर्म के लोगों को ही जगन्नाथ मंदिर में प्रवेश की इजाजत है।
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(4.) वर्ष 2006 में स्विजरलैंड की एक नागरिक ने जगन्नाथ मंदिर को 1 करोड़ 78 लाख रूपए दान में दिए थे। लेकिन ईसाई होने की वजह से उन्हें भी मंदिर में प्रवेश की इजाजत नहीं दी गई।
जगन्नाथ मंदिर को 20 बार विदेशी हमलावरों द्वारा लूटा गया
वर्ष 1977 में इस्कॉन आंदोलन के संस्थापक भक्ति वेदांत स्वामी प्रभुपाद पुरी आए। उनके अनुयायियों को मंदिर में प्रवेश की अनुमति नहीं दी गई। यानी पैसा हो या राजनीतिक शक्ति जगन्नाथ मंदिर में किसी का रसूख नहीं चलता। जगन्नाथ मंदिर को 20 बार विदेशी हमलावरों द्वारा लूटा गया। इन्हीं हमलों की वजह से ही गैर हिन्दू और विदेशियों के प्रवेश पर ये प्रतिबंध लगाया गया।