×

प्यार और विश्वास का प्रतीक है करवा चौथ, जानिए पूजा का शुभ मुहूर्त

करवाचौथ व्रत में भगवान शिव शंकर, माता पार्वती, कार्तिकेय, गणेश और चंद्र देवता की पूजा-अर्चना करने का विधान है। करवाचौथ की कथा सुनने से विवाहित महिलाओं का सुहाग बना रहता है, उनके घर में सुख, शान्ति,समृद्धि और सन्तान सुख मिलता है।

Newstrack
Published on: 1 Nov 2020 11:04 AM IST
प्यार और विश्वास का प्रतीक है करवा चौथ, जानिए पूजा का शुभ मुहूर्त
X
करवाचौथ व्रत में भगवान शिव शंकर, माता पार्वती, कार्तिकेय, गणेश और चंद्र देवता की पूजा-अर्चना करने का विधान है। इस साल 4 नवबंर को करवाचौथ का व्रत है।

नीलमणि लाल

लखनऊ: सभी विवाहित स्त्रियां साल भर करवा चौथ पर्व का इंतजार करती हैं और इसकी सभी विधियों को बड़े श्रद्धा-भाव से पूरा करती हैं। करवाचौथ का पर्व पति-पत्नी के मजबूत रिश्ते, प्यार और विश्वास का प्रतीक है।

मान्यताएं

मान्यताओं के अनुसार एक बार देवताओं और दानवों में युद्ध शुरू हो गया और उस युद्ध में देवताओं की हार हो रही थी। ऐसे में देवता ब्रह्मदेव के पास गए और रक्षा की प्रार्थना की। ब्रह्मदेव ने कहा कि इस संकट से बचने के लिए सभी देवताओं की पत्नियों को अपने-अपने पतियों के लिए व्रत रखना चाहिए और सच्चे दिल से उनकी विजय के लिए प्रार्थना करनी चाहिए।

ब्रह्मदेव ने यह वचन दिया कि ऐसा करने पर निश्चित ही इस युद्ध में देवताओं की जीत होगी। ब्रह्मदेव के इस सुझाव को सभी देवताओं और उनकी पत्नियों ने खुशी-खुशी स्वीकार किया। ब्रह्मदेव के कहे अनुसार कार्तिक माह की चतुर्थी के दिन सभी देवताओं की पत्नियों ने व्रत रखा और अपने पतियों यानी देवताओं की विजय के लिए प्रार्थना की। उनकी यह प्रार्थना स्वीकार हुई और युद्ध में देवताओं की जीत हुई।

ये भी पढ़ें...फ्रांस के बाद अब इस देश में भी 1 महीने के लिए दूसरा लॉकडाउन, इन सेवाओं पर रोक

इस खुशखबरी को सुन कर सभी देव पत्नियों ने अपना व्रत खोला और खाना खाया। उस समय आकाश में चांद भी निकल आया था। माना जाता है कि इसी दिन से करवाचौथ के व्रत के परंपरा शुरू हुई। महाभारत में भी करवाचौथ के महात्म्य पर एक कथा का उल्लेख मिलता है। भगवान श्री कृष्ण ने द्रौपदी को करवाचौथ की यह कथा सुनाते हुए कहा था कि पूर्ण श्रद्धा और विधि-पूर्वक इस व्रत को करने से समस्त दुख दूर हो जाते हैं और जीवन में सुख-सौभाग्य तथा धन-धान्य की प्राप्ति होने लगती है। श्री कृष्ण भगवान की आज्ञा मानकर द्रौपदी ने भी करवा-चौथ का व्रत रखा था। इस व्रत के प्रभाव से ही अर्जुन सहित पांचों पांडवों ने महाभारत के युद्ध में कौरवों की सेना को पराजित कर विजय हासिल की।

Karwa Chauth

ये भी पढ़ें...शाह संभालेंगे पश्चिम बंगाल का मोर्चा, विधानसभा चुनाव से पहले BJP को मिला बड़ा मुद्दा

मेहंदी का महत्व

मान्यता है कि जिस लड़की के हाथों की मेहंदी ज्यादा गहरी रचती है, उसे अपने पति तथा ससुराल से अधिक प्रेम मिलता है। लोग ऐसा भी मानते हैं कि गहरी रची मेहंदी आपके पति की लंबी उम्र तथा अच्छा स्वास्थ्य भी दर्शाती है। इसीलिए करवा चौथ में हाथों में मेहंदी लगवाने की परम्परा चली आ रही है।

करवाचौथ पूजन

इस व्रत में भगवान शिव शंकर, माता पार्वती, कार्तिकेय, गणेश और चंद्र देवता की पूजा-अर्चना करने का विधान है। करवाचौथ की कथा सुनने से विवाहित महिलाओं का सुहाग बना रहता है, उनके घर में सुख, शान्ति,समृद्धि और सन्तान सुख मिलता है। करवा चौथ के पूजन में धातु के करवे (बर्तन) का पूजन श्रेष्ठ माना गया है। यदि धातु का करवा न हो तो मिट्टी के करवे से भी पूजन का विधान है।

ये भी पढ़ें...फ्रांस में फिर हुआ बड़ा हमला, पादरी को मारी गोली, पूरे इलाके में दहशत

व्रत रखने वाली स्त्री सुबह नित्यकर्मों से निवृत्त होकर, स्नान एवं संध्या आदि करके, आचमन के बाद संकल्प लेकर यह कहे कि मैं अपने सौभाग्य एवं पुत्र-पौत्रादि तथा निश्चल संपत्ति की प्राप्ति के लिए करवा चौथ का व्रत करूंगी। यह व्रत निराहार ही नहीं, अपितु निर्जला के रूप में करना अधिक फलप्रद माना जाता है। इस व्रत में शिव-पार्वती, कार्तिकेय और गौरा का पूजन करने का विधान है। चूँकि अब लोग रात 12 बजे से ही नए दिन का कैलेंडर मानते हैं सो करवा चौथ का व्रत भी स्त्रियां रात 12 बजे से शुरू कर देती हैं। कहीं-कहीं इस दिन सुबह सर्योदय से पहले सरगी खाने की भी परंपरा है। सरगी सुबह सवेरे खा ली जाती है।

Karwa Chauth

ऐसे करें व्रत पूजन

घर के मंदिर की दीवार पर गेरू से फलक बनाएं और चावल को पीसकर उससे करवा का चित्र बनाएं। इस रीति को करवा धरना कहा जाता है। शाम को मां पार्वती और शिव की कोई ऐसी फोटो लकड़ी के आसन पर रखें, जिसमें भगवान गणेश मां पार्वती की गोद में बैठे हों। कोरे करवा में जल भरकर करवा चौथ व्रत कथा सुनें या पढ़ें। मां पार्वती को श्रृंगार सामग्री चढ़ाएं या उनका श्रृंगार करें। इसके बाद मां पार्वती भगवान गणेश और शिव की अराधना करें। चंद्रोदय के बाद चांद की पूजा करें और अर्घ्य दें। पति के हाथ से पानी पीकर या निवाला खाकर अपना व्रत खोलें। पूजन के बाद सास- ससुर और घर के बड़ों का आशीर्वाद जरूर लें। एक तांबे या मिट्टी के पात्र में चावल, उड़द की दाल, सुहाग की सामग्री, जैसे - सिंदूर, चूडियां शीशा, कंघी, रिबन और रुपया रखकर किसी बड़ी सुहागिन स्त्री या अपनी सास के पांव छूकर उन्हें भेंट करनी चाहिए।

ये भी पढ़ें...अडानी समूह का हो जाएगा ये इंटरनेशनल एयरपोर्ट, 50 सालों तक संभालेगा कमान

चंद्रदेव के साथ-साथ भगवान शिव, देवी पार्वती और कार्तिकेय की भी पूजा की जाती है। माना जाता है कि अगर इन सभी की पूजा की जाए तो माता पार्वती के आशीर्वाद से जीवन में सभी प्रकार के सुख मिलते हैं।

Karwa Chauth

इस बार विशेष फलदायी होगा करवाचौथ

इस बार करवाचौथ का व्रत और पूजन बहुत विशेष है। ज्योतिषों के मुताबिक इस बार 70 साल बाद करवाचौथ पर ऐसा योग बन रहा है। रोहिणी नक्षत्र और मंगल एक साथ: इस बार रोहिणी नक्षत्र और मंगल का योग एक साथ आ रहा है। ज्योतिष के मुताबिक यह योग करवाचौथ को और अधिक मंगलकारी बना रहा है। इससे पूजन का फल हजारों गुना अधिक होगा।

ये भी पढ़ें...अब वीगन बनने की बारीः लेकिन जान लें, वीगन और वेजेटेरियन का फर्क

व्रत की कथा

करवाचौथ कथा का सार यह है कि शाकप्रस्थपुर वेदधर्मा ब्राह्मण की विवाहिता पुत्री वीरवती ने करवा चौथ का व्रत किया था। नियमानुसार उसे चंद्रोदय के बाद भोजन करना था, परंतु उससे भूख नहीं सही गई और वह व्याकुल हो उठी। उसके भाइयों से अपनी बहन की व्याकुलता देखी नहीं गई और उन्होंने पीपल की आड़ में आतिशबाजी का सुंदर प्रकाश फैलाकर चंद्रोदय दिखा दिया और वीरवती को भोजन करा दिया। परिणाम यह हुआ कि उसका पति तत्काल अदृश्य हो गया। अधीर वीरवती ने बारह महीने तक प्रत्येक चतुर्थी को व्रत रखा और करवा चौथ के दिन उसकी तपस्या से उसका पति पुनः प्राप्त हो गया।

ये भी पढ़ें...आकाशदीप से टिमटिमाने लगे काशी के घाट, शहीदों के याद में जलते हैं दीये

शुभ मुहूर्त

इस साल करवा चौथ व्रत पर पूजन का शुभ मुहूर्त शाम 5:29 बजे से 6:48 बजे तक का रहेगा। इस दिन चंद्रोदय रात 8:16 बजे पर होगा। पांचांग के अनुसार, चतुर्थी तिथि का आरंभ 4 नवंबर को तड़के 03:24 पर होगा. चतुर्थी तिथि 5 नवंबर शाम 5:14 तक रहेगी।

ये भी पढ़ें...आरके श्रीवास्तव का बढ़ता कद: पूर्व सांसद आरके सिन्हा ने दिया मंच, 2014 में मिले थे

दोस्तों देश दुनिया की और खबरों को तेजी से जानने के लिए बनें रहें न्यूजट्रैक के साथ। हमें फेसबुक पर फॉलों करने के लिए @newstrack और ट्विटर पर फॉलो करने के लिए @newstrackmedia पर क्लिक करें



Newstrack

Newstrack

Next Story