×

जानिए कैसे तैयार होती है 'Ease Of Doing Business Ranking'

ईज़ ऑफ़ डूइंग बिज़नेस रैंकिंग में आंध्र प्रदेश पहले और उत्तर प्रदेश दूसरे स्थान पर है। उत्तर प्रदेश ने पिछले साल के मुकाबले 10 स्थान की छलांग लगाई है।

Shivani
Published on: 8 Sept 2020 7:54 PM IST
जानिए कैसे तैयार होती है Ease Of Doing Business Ranking
X
ईज़ ऑफ़ डूइंग बिज़नेस रैंकिंग में आंध्र प्रदेश पहले और उत्तर प्रदेश दूसरे स्थान पर है। उत्तर प्रदेश ने पिछले साल के मुकाबले 10 स्थान की छलांग लगाई है।

नीलमणि लाल

लखनऊ: भारत सरकार की ओर से ईज़ ऑफ़ डूइंग बिज़नेस रैंकिंग में आंध्र प्रदेश पहले और उत्तर प्रदेश दूसरे स्थान पर है। उत्तर प्रदेश ने पिछले साल के मुकाबले 10 स्थान की छलांग लगाई है। उत्तर प्रदेश सरकार इसे उपलब्धि की तरह पेश कर रही है लेकिन इस रैंकिंग को लेकर अब सवाल उठने लगे हैं और ओडिशा और पंजाब ने इस रैंकिग को लेकर शिकायत दर्ज करने की बात कही है।

ईज़ ऑफ़ डूइंग बिज़नेस रैंकिंग आंध्र पहले और यूपी दूसरे स्थान पर

भारत सरकार के डिपार्टमेंट ऑफ इंडस्ट्रियल पॉलिसी और प्रमोशन (डीआईपीपी) ‘ईज ऑफ डूइंग बिजनेस’ यानी बिजनेस करने की सहूलियत की रैंकिंग के बारे में राज्यों की लिस्ट जारी करता है। मोदी सरकार ने वर्ल्ड बैंक के मापदंडों को ध्यान में रखकर राज्यों की रैंकिंग की है। ‘ईज ऑफ डूइंग बिजनेस’ में कारोबार लगाने, निवेश, कानूनों की सहूलियत, सिंगल विंडो सिस्टम आदि 25 प्रकार के मानक हैं जिनके सर्वे के आधार पर रैंकिंग बनायी गयी है। रैंकिंग में उद्योगपतियों के अनुभव और फीडबैक को भी एक आधार बनाया गया है।

ये भी पढ़ें- भारत का ‘सीक्रेट हथियार’: नाम से ही डरा चीन, करगिल युद्ध में किया था कमाल

औद्योगिक निवेश :

किस राज्य में कितना औद्योगिक निवेश आया, कितने एम्ओयू पर हस्ताक्षर हुए, कुल निवेश कितना रहा, और निवेश से क्या लाभ मिलेगा ये सब ध्यान में रखा जाता है। रैंकिंग का ये नया बिंदु है जो पहले शामिल नहीं था।

Know how to prepare Ease of Doing Business Ranking

कारोबार लगाना :

इस केटेगरी में देखा जाता है कि राज्यों ने ‘इन्वेस्टर सपोर्ट सिस्टम’ बनाया है या नहीं। कोई राज्य उद्योग लगाने के लिए लोकेशन के साथ सरकारी विभागों की मंजूरी जल्दी दिलाने में कितनी मदद करता है, उद्योग लगाने के लिए सभी विवरण एक जगह मौजूद हैं या नहीं, सभी आवेदनों को एकल बिंदु पर क्लीयर करना और सरकारी विभागों का तय समय में काम पूरा करना इस केटेगरी में शामिल हैं।

ये भी पढ़ें- सबसे ताकतवर महिला: icici को ऐसे बनाया सबसे बड़ा बैंक, गलती ने ला दिया सड़क पर

जमीन का आवंटन और निर्माण की इजाजत :

कंस्ट्रक्शन परमिट, जमीन का आबंटन, बिजली कनेक्शन की सहूलियत, है या नहीं। फायर एनओसी, संपत्ति पंजीकरण सिस्टम कितना सुगम और बेहतर है ये भी देखा जाता है। उद्योग लगाने के लिए निर्माण परमिट जैसी जरूरतों पर राज्य सरकारों ने कितना काम किया है, भी एक आवश्‍यक पहलू है।

पर्यावरण से जुड़ीं प्रकिया :

कोई राज्य उद्योग की सहूलियत के लिए पर्यावरण से सम्बंधित स्वीकृति किस तरह से देता है ये इस बिंदु में देखा जाता है। इसमें पर्यावरण क्लेअरेंस, शॉप एंड एस्टैबलिशमेंट रजिस्ट्रेशन, बिल्डिंग प्लान की मंजूरी, फैक्ट्री लाइसेंस रजिस्ट्रेशन आदि से जुड़ी प्रक्रियाएं शामिल हैं।

Know how to prepare Ease of Doing Business Ranking

श्रम कानून से जुड़े मुद्दे :

किसी राज्य राज्य में श्रम कानून कितने बेहतर हैं, राज्य सरकार ने श्रमिकों को हुनरमंद बनाने के लिए क्या क्या काम किये हैं, श्रमिकों की ट्रेनिंग के लिए सरकारी संस्थान हैं कि नहीं और बेहतर तरीके से काम करते हैं कि नहीं, इन सबके आदि के आधार पर लेबर रेग्‍युलेशन में रैंकिंग दी जाती है।

ये भी पढ़ें- चीन को छोड़ा: ऑस्ट्रेलिया ने अपने पत्रकारों को वापस बुलाया, ये है वजह…

इंफ्रास्ट्रक्चर संबंधित सुविधायें :

सड़क, बिजली आदि इंफ्रास्ट्रक्चर को लेकर राज्य की क्या स्थिति है, नियामक संस्था और नीति फ्रेमवर्क कैसा है। कारोबार या फैक्ट्री चलाने के लिए बिजली व पानी की सप्लाई, बिजली कनेक्शन के लिए समयसीमा तय करना और बिल्डिंग प्लान मंजूरी के लिए समय सीमा तय करना इसमें शामिल है।

टैक्स प्रक्रिया :

टैक्स प्रक्रिया का रजिस्ट्रेशन और पालन, राज्यों द्वारा किए गए टैक्स रिफॉर्म, वैट और अन्य करों के ई-रजिस्ट्रेशन के मामले में राज्यों की स्थिति, स्टेट टैक्स का ऑनलाइन पेमेंट और रिटर्न की ई-फाइलिंग आदि इसमें आते हैं। राज्यों द्वारा वैट व अन्य करों को ऑनलाइन करना और टैक्स रजिस्ट्रेशन सर्टिफिकेट एक दिन में मिलने आदि के आधार पर रैकिंग तय की जाती है।

Know how to prepare Ease of Doing Business Ranking (2)

इंडस्ट्री इंस्पेक्शन और प्रवर्तन :

इस बिंदु के तहत अकाउंट ऑडिट, विवादों का शीघ्र निपटान और इससे जुड़ी प्रक्रिया को तय समय में खत्म करना आदि शामिल है। ई-कोर्ट की तैयारी, इंस्पेक्टर राज से मुक्ति और लाइसेंस राज खत्म करना भी इसमें शामिल है।

ये भी पढ़ें- कंगना ने टॉयलेट पर किए करोड़ो खर्च, बना दिया शानदार ऑफिस, BMC का आरोप

सिंगल विंडो सिस्टम :

इस व्यवस्था को लेकर कानून बनाना भी रैंकिंग में शामिल है। इसमें यह भी देखा गया है कि ईज ऑफ डूइंग बिजनेस में राज्य सरकार सिंगल विंडो स्ट्रक्चर को ऑनलाइन करने की दिशा में कितनी आगे बढ़ी है। इसका उद्देश्य ये है कि निवेशकों को सरकारी विभागों की स्वीकृतियों के बारे में आसानी से पता चल सके।

दोस्तों देश दुनिया की और खबरों को तेजी से जानने के लिए बनें रहें न्यूजट्रैक के साथ। हमें फेसबुक पर फॉलों करने के लिए @newstrack और ट्विटर पर फॉलो करने के लिए @newstrackmedia पर क्लिक करें।



Shivani

Shivani

Next Story