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जान लीजिये, अदृश्य दुश्मन कोरोना से बचा नहीं पाएगा कोई

कोरोना वायरस बहुत चालाक दुश्मन है। ये अदृश्य और बहुत चोरी छुपे काम करने वाला वाइरस है। प्रयोगशालाओं में पता चला है कि ये तीन घंटे तक हवा में, तीन दिन तक प्लास्टिक और स्टेनलेस स्टील पर जिंदा रह सकता है।

Dharmendra kumar
Published on: 23 March 2020 6:58 PM IST
जान लीजिये, अदृश्य दुश्मन कोरोना से बचा नहीं पाएगा कोई
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नीलमणि लाल

लखनऊ: कोरोना वायरस बहुत चालाक दुश्मन है। ये अदृश्य और बहुत चोरी छुपे काम करने वाला वाइरस है। प्रयोगशालाओं में पता चला है कि ये तीन घंटे तक हवा में, तीन दिन तक प्लास्टिक और स्टेनलेस स्टील पर जिंदा रह सकता है। अगर आपको इसने धर दबोचा तो फिर 5 से 19 दिन तक आपको पता भी नहीं चल पाएगा। कुछ लोगों को ये ऐसे पकड़ता है कि उनमें कभी कोई लक्षण सामने आता भी नहीं है, लेकिन फिर भी ये लोग अन्य लोगों में वायरस फैलाने में सक्षम बने रहते हैं।

अगर आप में ये वायरस है तो आप अपनी दादी, नानी या किसी भी उम्रदराज या किसी क्रोनिक बीमारी से ग्रस्त व्यक्ति को ये वायरस दे सकते हैं। नतीजा ये होगा कि वह संक्रमित इंसान जान गंवा देगा या अस्पताल के बेड तक पहुंच जाएगा।

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सबक : हम सब एक दूसरे के लिए ज़िम्मेवार हैं। ऐसा मानिए कि आपके कोरोना वायरस है और इसी हिसाब से अन्य लोगों के साथ बर्ताव करें।

इतनी आसान भी नहीं सुरक्षा

कोरोना वायरस और एड्स में बहुत समानता है। कोरोना में सोशल डिसटेनसिंग या लोगों से दूरी बनाने को कहा जा रहा है, तो वहीं एचआईवी एड्स में सेफ सेक्स पर ज़ोर रहा है। रिसर्च बताती है कि एड्स के डर के माहौल में लोग सेफ सेक्स नियमों का पालन तो बहुत करते थे, लेकिन समय के साथ साथ ये डर खत्म होता गया। नतीजा ये कि एचआईवी आज भी मौजूद है।

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आज की महामारी के दौर में लोग अभी तो दूरियां बनाए हुये हैं, लेकिन कितने दिन ये दूरी बनी रह पाएगी?हम सब लापरवाही करेंगे, सोशल डिसटेनसिंग के साथ समझौते करेंगे। जोखिम उठाएंगे और गलतियां भी करेंगे।

ये समझ लीजिये कि कोरोना वायरस से कोई बचा नहीं पाएगा, सिवाय खुद आपके। आपको खुद अपने को शिक्षित करना होगा कि अपनी और दूसरों की जान कैसे बचाई जाये। इसकी वजह ये है कि किसी भी तरह कि कोई गाइडलाइन हर संभव स्थिति का अनुमान नहीं लगा सकती।

मिसाल के तौर पर यदि आप वाराणसी, आगरा या जयपुर जा कर दो रात किसी होटल में रुकते हैं तो क्या आपको पता है उन कमरों में कौन कौन रुका था? और क्या उन कमरों को पूरी तरह साफ किया गया था? ऐसे में आज कोई जागरूक इंसान क्या कर रहा होगा? प्रत्येक दरवाजे के हैंडल, स्विच, दराजों की हैंडल, मेज की सतह, कुर्सियों के हत्थे को सैनीटाइजर से अच्छी तरह पोंछ कर ही छुआ होगा।

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ये तो अनजान जगह पर ठहरने की बात हुई, लेकिन सभी स्थितियों में आपको कैलकुलेटेड रिस्क लेना ही होगा। वो रिस्क जो सोशल डिसटेनसिंग को बहुत दूर तक ले जाते हैं। लोगों से मिलना जुलना, किसी भी चीज को छूना,व्यक्तिगत सफाई ये सब आप किस हद तक ले जाते हैं ये खुद ही तय करना होगा। कोई भी गाइडलाइन ये नहीं बता सकती या बचा सकती है।



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Dharmendra kumar

Dharmendra kumar

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