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माता सीता ने केवल एक ही पुत्र को दिया था जन्म, जानिए क्या है पूरी सच्चाई

रामायण के वैसे तो कई संस्करण हैं, और ज्यादातर में राम कथा को तोड़-मरोड़ कर ही पेश की गई है। इन संस्करण में ऐसी कई बातें जोड़ी गई हैं, जिनके कोई प्रमाण नहीं मिलते हैं।

Shreya
Published on: 30 April 2020 11:36 AM GMT
माता सीता ने केवल एक ही पुत्र को दिया था जन्म, जानिए क्या है पूरी सच्चाई
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लखनऊ: कोरोना वायरस के चलते पूरे देश में लॉकडाउन लागू किया गया है। लॉकडाउन के दौरान कई ऐतिहासिक टीवी सीरियल्स ने एक बार फिर टीवी पर वापसी कर ली है। इनमें से एक रामानंद सागर का सीरियल रामायण भी है। लोगों की डिमांड को देखते हुए दूरदर्शन ने एक बार फिर से टीवी पर रामायण का टेलिकास्ट कर दिया है। ये टीवी सीरियल TRP पर अपनी धाक जमाए हुए है।

रामायण में हुई लव-कुश की एंट्री

रामायण सीरियल में अब भगवान राम और माता सीता के पुत्रों यानि लव और कुश की भी एंट्री हो चुकी है। सीरियल में उनका जन्म दिखाने के बाद अब महर्षि वाल्मीकि द्वारा लव-कुश को दी जा रही शिक्षा के बारे में दर्शाया जा रहा है। ज्ञात हो कि महर्षि वाल्मीकि ने ही रामायण (महाकाव्य) की रचना की थी। उस काल की सभी सही जानकारी इन्हीं के रामायण में ही मिलती है।

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माता सीता ने केवल एक पुत्र को ही दिया था जन्म

रामायण के वैसे तो कई संस्करण हैं, और ज्यादातर में राम कथा को तोड़-मरोड़ कर ही पेश की गई है। इन संस्करण में ऐसी कई बातें जोड़ी गई हैं, जिनके कोई प्रमाण नहीं मिलते हैं। सभी को पता है कि भगवान राम और माता सीता के दो पुत्र लव और कुश थे। लेकिन क्या आपको पता है कि माता सीता ने केवल एक ही पुत्र को जन्म दिया था, जिनका नाम है लव। दुसरे पुत्र को कुशा द्वारा उत्पन्न किया गया था।

जैसे कि सभी को पता है माता सीता ने महर्षि वाल्मीकि के ही आश्रम में ही अपने पुत्र को जन्म दिया था। वैसे तो उनके पुत्र के जन्म के बारे में कई बातें कही जाती हैं। लोककथाओं में कहा गया है कि माता सीता ने दो पुत्रों को जन्म दिया था, लेकिन महर्षि वाल्मीकि के रामायण में इस बात का उल्लेख नहीं मिलता है।

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क्या है इसके पीछे की कहानी?

कहा जाता है कि माता सीता ने केवल एक ही पुत्र को जन्म दिया था। माता सीता ने केवल लव को जन्म दिया था। माता सीता ज्यादातर समय अपने पुत्र के पालन-पोषण में ही लगी रहती थीं। कहते हैं कि, एक बार माता सीता को जंगल से लकड़ियां लाने के लिए वन जाना था। इसलिए उन्होंने महर्षि वाल्मीकि को लव का ध्यान रखने के लिए कहा। उस समय महर्षि किसी काम में व्यस्त थे तो उन्होंने सिर हिलाकर लव को वहां रखने के लिए कहा।

माता सीता जब वहां से जाने लगीं तो उन्होंने महर्षि वाल्मीकि को व्यस्त देखा, तो उन्होंने लव को अपने साथ ले जाना ही सही समझा। लेकिन लव को ले जाते वक्त महर्षि ने माता सीता को नहीं देखा।

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लव को ना देख घबरा गए थे महर्षि वाल्मीकि

थोड़े समय बाद जब महर्षि ने वहां देखा तो लव वहां नहीं थे। इस पर महर्षि वाल्मीकि को लगा कि कहीं लव को कोई जानवर तो अपने साथ नहीं ले गया। वो डर गए कि माता सीता जब वन से वापस आएंगी तो वो उन्हें क्या जवाब देंगे। कहीं वो रोने न लगे। इसी डर के चलते उन्होंने पास ही पड़े एक कुषा को उठा लिया और अपने मंत्रों से उसमें जान डाल दी। जिससे कुश जैसा ही एक बालक अवतरित हुआ। महर्षि ने सोचा कि सीता के लौटने पर मैं इस बालक को उसे सौंप दूंगा।

कुशा से जन्म होने के चलते नाम पड़ा 'कुश'

लेकिन कुछ देर बाद जब माता सीता वन से लौटीं तो महर्षि उनके साथ लव को देख हैरान रह गए। लेकिन माता सीता ने लव जैसा ही दूसरा बालक देखा तो वो बहुत खुश हो गईं। चूंकि इस बालक का जन्म कुशा के जरिए हुआ था तो उसका नाम कुश रखा गया। और तभी से ये दोनों बालक लव और कुश भगवान राम और माता सीता के पुत्र के रुप में जाने गए।

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