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डर डर के जी रहे बाघ को भारत में मिला जीवनदान, दो गुनी हो जाएगी संख्या
बाघ की अब तक पता चली नौ प्रजातियों में से तीन तो पूरी तरह खत्म हो गई हैं। बंगाल रायल टाइगर उत्तर पूर्वी क्षेत्रों को छोड़कर पूरे देश में यहां तक कि पड़ोसी देशों में भी पाया जाता है।
बाघ। नाम सुनते ही सिहरन सी हो जाती है। लेकिन क्या आपको पता है कि बाघ एक अत्यंत संकटग्रस्त प्राणी है। इनके रहने के स्थानों के लगातार कम होते जाने और अवैध शिकार ने इनके वजूद को खतरे में डाल दिया है। बाघ की अब तक पता चली नौ प्रजातियों में से तीन तो पूरी तरह खत्म हो गई हैं। बंगाल रायल टाइगर उत्तर पूर्वी क्षेत्रों को छोड़कर पूरे देश में यहां तक कि पड़ोसी देशों में भी पाया जाता है। बंगाल रायल टाइगर को ही आज से लगभग 48 साल पहले 18 नवंबर 1972 को इसके संरक्षण के लिए ही राष्ट्रीय पशु घोषित किया गया था।
दुनिया में बाघों की संख्या..
पूरी दुनिया में बाघों की संख्या छह हजार से भी कम है। उनमें से लगभग चार हजार बाघ भारत में पाए जाते हैं। यानी दुनिया के 70 फीसदी बाघ भारत में रहते हैं। भारत के बाघ को एक अलग प्रजाति माना जाता है, जिसका वैज्ञानिक नाम है पेंथेरा टाइग्रिस है।
भारत में बाघों की घटती जनसंख्याह की जांच के लिए अप्रैल 1973 में प्रोजेक्ट टाइगर (बाघ परियोजना) शुरू की गई। अब तक इस परियोजना के अधीन बाघ के 27 आरक्षित क्षेत्रों की स्था पना की गई है जिनमें 37761 वर्ग कि॰मी॰ क्षेत्र शामिल है।
विलुप्त उप प्रजाति के बाघ का डीएनए
एक और मजे की बात भारतीय बाघों पर किए गए एक शोध में पशु वैज्ञानिकों को बाघों पूर्वजों के चीन से आने के संकेत मिले हैं। कुछ समय पहले वैज्ञानिकों को एक विलुप्त उप प्रजाति के बाघ का डीएनए मिला था। उसकी जांच से वैज्ञानिकों को पता चला है कि भारत के राष्ट्रीय पशु बाघ के पूर्वज लगभग 10 हजार साल पहले मध्य चीन से भारत आए थे।
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और इससे भी बड़ी बात ये है कि चीन से भारत आने के लिए बाघों के पूर्वजों ने चीन के जिस संकरे गांसु गलियारे का इस्तेमाल किया था, हजारों साल बाद वही मार्ग व्यापारिक सिल्क रूट (रेशम मार्ग) के नाम से दुनिया में प्रसिद्ध हुआ। यानी इंसानों ने जिस सिल्क रूट की खोज करने में हजारों साल लगा दिए, उसे इन चालाक बाघों ने उससे भी सदियों पहले खोज लिया था।
बाघों की संख्या भारत में निरंतर बढ़ रही
गुड न्यूज ये है कि बाघों की संख्या भारत में निरंतर बढ़ रही है। पिछले छह साल में ही भारत में बाघों की संख्या दोगुनी से ज्यादा हो चुकी है। अक्टूबर 2012 में हुई बाघों की गणना के अनुसार उस वक्त देश में बाघों की संख्या मात्र 1706 थी। 2012 में देश के 41 टाइगर रिजर्व में जनवरी से सितंबर के दौरान 69 बाघों की मृत्यु हुई थी। इनमें से 41 की मृत्यु अवैध शिकार या दुर्घटनाओं में हुई थी। 28 बाघों की मृत्यु प्राकृतिक रूप से हुई थी। वर्ष 2016 की जनगणना में 17 राज्यों की 49 सेंचुरी में बाघों की संख्या बढ़कर 2226 पहुंच चुकी थी। वर्तमान में दुनिया भर में बाघों की जनसंख्या तकरीबन 6000 है। इनमें से 3891 बाघ (लगभग 70 फीसद) भारत में हैं। सरकार ने वर्ष 2022 तक बाघों की इस जनसंख्या को दोगुना करने का लक्ष्य तय किया है।
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बाघों के प्रति भारत की गहरी सोच का ही नतीजा है कि सन 2018 की बाघ गणना में कैमरा ट्रैपिंग के जरिए दुनिया का सबसे बड़ा वन्यजीव सर्वेक्षण किया गया। और यह एक कीर्तिमान बन गया जिसके लिए भारत को गिनीज बुक ऑफ वर्ल्ड रिकॉर्ड में जगह मिली।
रामकृष्ण वाजपेयी